Akshaya Tritiya 2025 | समूचे विन्धय में अक्षय तृतीया पर गूंजायमान होगा ये गीत….मैं तो अक्षय परताप मांग लाऊं पार्वती मैइया मनाऊं…

akashya tritiya 2025

विंध्य क्षेत्र के बघेलखंड में अक्ती यानी अक्षय तृतीया का आसय प्रकृति से ,
तो बुंदेलखंड में शुभता का प्रतीक है अक्षय तृतीया

Author: Shushma Pandey

Akshaya Tritiya 2025: विंध्य क्षेत्र में अक्षय तृतीया की विशेष पुण्यकारी तिथि के रूप में मनाई जाती है। इसकी मान्यता के विभिन्न महत्वपूर्ण तथ्य हैं जिसमें सबसे विशेष यह कि अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म हुआ था अतः उनके प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य में समूचे विंध्य क्षेत्र में धार्मिक अनुष्ठान, हवन-यज्ञ भंडारे होते हैं जिसमें विन्धय के ज़िला सतना में भगवान परशुराम की विशालकाय प्रतिमा की सज़ावट इस तिथि के अलंकृत व शुभ होने का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

Akshaya Tritiya 2025: विंध्य सहित ब्रह्मांड भी सुशोभित


इस पुण्य बेला पर तारामंडल के दो विशेष नक्षत्र सूर्य और चंद्रमा,अपनी-अपनी उच्च राशि में होते हैं जो सनातन धर्म में बेहद ही दुर्लभ व शुभकारी क्षण पल जाता है। अक्षय तृतीया समूचे भारतवर्ष में भले ही अपनी-अपनी क्षेत्रीय परंपरागत रूप से विविध रूप से मनाते हों लेकिन इसका एकमात्र उद्देश्य धार्मिक तिथि-त्योहार के रीति-रिवाजों को संरक्षित व संवर्धित कर युवा पीढ़ी को संस्कारिक बनाना व समाजिक नैतिक जिम्मेदारी निभाना है।

शुभारंभ के लिए अविनाशी है अक्षय तृतीया


अक्षय तृतीया बैसाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया को पड़ती है। इस तिथि पर सुख-समृद्धि व सु-अवसरों मानकर खासकर विंध्य में अच्छी फ़सल की आस में किसान खेतों में हल-चलवा परंपरा निभा कर भूमि पूजन करते हैं जो विंध्य की विशेष परंपरा है। इस त्योहार की कथाएं कभी कृष्ण-सुदामा की मित्रता,कभी पांडवों को प्राप्त अक्षय पात्र के तिलिस्म से चकाचौंध कर विश्वास,श्रद्धा,के साथ हमें सीधे पिछली पीढ़ियों से जोड़ती है।

Akshaya Tritiya और विंध्य के रीति-रिवाज


किसी भी शुभ कार्य जैसे शादी-विवाह,ज़मीन-मकान, वाहन खरीदी,मकान बनाने भूमि पूजन,गृहप्रवेश के लिए Akshaya Tritiya 2025 अनंत शुभकारी मानी जाती है। इस दिन लोग विशेष रूप से मिट्टी के पात्र,सोने-चांदी,नया वाहन  खरीदना शुभ मनाते हैं। जबकि विंध्य क्षेत्र में अक्षय तृतीया पर विशेष रूप से मिट्टी के मटके खरीदना व जल भरकर पियाऊं व मंदिर में दान कर पुण्य कमाते हैं। इस अवसर पर गुड़-बताशा,बिजना (बांस की लकड़ी का हेण्ड मेड पंखा)। दान करना बघेलखंड यानी विंध्य का अनूठा रिवाज है जिसका उद्देश्य तेज़ धूप की तपिश से राहगीरों को राहत पहुंचाना और समाज में मानवीय कर्तव्य निभाना है।

इस दिन विंध्य के रिवाज़ – पूजे जाते हैं पुतरा-पुतरिया


मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड जो कभी विन्ध्य का ही हिस्सा था अक्षय तृतीया के रीति-रिवाज विन्ध्य के बघेलखंड से बिल्कुल भिन्न हैं । इस दिन युवा लड़के-लड़कियां मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों को लक्ष्मी-नारायण का स्वरूप मानकर बड़ी ही धूमधाम से ब्याह रचाते हैं जिससे सामाजिक सौहार्द बढ़ता है।

बनाएं जाते हैं स्वादिष्ट देशी पकवान


अक्षय तृतीया पर विंध्य के बघेल खंड की तरह बुंदेलखंड में भी विशेष पारंपरिक देसी पकवान बनते हैं। बघेलखंड में जहां गुड़-बताशा,शरबत और जवा-चना व गेहूं का सत्तू वितरण करते हैं वही बुंदेलखंड में आज भीगी हुई चने की दाल के फरे और गुड़ व नए गेहूं, गुड़ व गाय के दूध से गुलगुले बना कर प्रसाद वितरण किया जाता है।

विन्ध्य क्षेत्र और सनातन


अक्षय तृतीया पर विन्धय क्षेत्र में ही सनातन धर्म संस्कृति के विभिन्न स्वरूप हैं जिसमें इस तिथि को भगवान परशुराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है वहीं बहुत जगह इस दिन शिव-पार्वती का विशेष पूजन कर जिलहरी पर मिट्टी या धातु की पानी की मटकी रखते हैं टिप्टी कहा जाता है ।

पारंपरिक लोक गीतों का चलन


इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के लोकगीत गाए जाते हैं जैसे राम-सीता विवाह गीत, बनरा-बनरी, सुहाग,कृष्ण भजन व ऋतु परक गीत आदि वहीं विन्धय में महिलाओं द्वारा शिव-पार्वती के विवाह का सुहाग गीत…..मैं तो अक्षय बरदान मांग लाऊं,पार्वती मियां मनाऊं…महिलाओं द्वारा इस अवसर सुना जा सकता है।

वट सावित्री यानी बरा-बरसाईत पर छूटेंगी गांठ


मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों का विवाह अविवाहित युक-युवती बरगद व आम के पेड़ के नीचे कराते है। घर पहुंचने पर सुहागिन महिलाएं गुड्डा-गुड़िया का स्वागत कलश दिखा कर व पानी बताशा-गुलगुला खिलाकर करती हैं। इस मौके पर दुल्हा-दुल्हन बने गुड्गांडे-गुड़ियों की गांठ जोड़ते हुए घर की महिलाएं विवाह योग्य लड़के-लड़कियों के विवाह की कामना करती हैं ये मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया पूजा घर में रखें जाते हैं और बरा-बरसाईत यानी वटसावित्री के दिन गांठ खोल कर गुड्डे-गुड़ियां बच्चों को खेलने के लिए दे दिए जाते हैं।

सोशल मीडिया फैक्ट्स


अक्षय तृतीया की शुभता को लेकर सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर एस्ट्रोलॉजर्स कौणी,कपास, मिट्टी के पात्र,पीली सरसों व सेंधा नमक खरीदकर समृद्धि को प्राप्त करने की सलाह देकर खूब वायरल हो रहे हैं।

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