MLA Abbas Ansari Case : बाल बाल बची अब्बास अंसारी की विधायकी! उच्च न्यायालय ने रद्द की 2 वर्ष की सज़ा

MLA Abbas Ansari Case : उत्तर प्रदेश की राजनीति का जाना-माना नाम अब्बास अंसारी, जो अक्सर किसी न किसी मामले में उलझे रहते हैं, को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बेटे और यूपी की मऊ सदर सीट से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की 2 साल की सजा रद्द कर दी है। दरअसल, अब्बास अंसारी ने भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके लिए उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। निचली अदालत ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा दी गई 2 साल की सजा को रद्द कर दिया है। इसका मतलब है कि अब मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की सजा रद्द कर दी। MLA Abbas Ansari Case

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की सजा के फैसले को रद्द कर दिया है। इस संबंध में 30 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अब उनका विधायक का दर्जा बहाल रहेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में सजा को निलंबित कर दिया था। आज जस्टिस समीर जैन ने यह फैसला सुनाया है। गौरतलब है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे अंसारी ने 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य सरकार के अधिकारियों को परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।

अब्बास के खिलाफ किन धाराओं में मामला दर्ज किया गया था? MLA Abbas Ansari Case

इस मामले में सुनवाई के बाद, मऊ की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट ने अब्बास अंसारी को आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाना) और धारा 189 (लोक सेवक को चोट पहुँचाने की धमकी देना) के तहत दो-दो साल कैद की सजा सुनाई। इसके अलावा, धारा 506 में एक साल और धारा 171-एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव या व्यक्तिगत पहचान का दुरुपयोग) के तहत छह महीने कैद की सजा सुनाई गई।

अब्बास अंसारी के चुनाव एजेंट मंसूर को छह महीने कैद की सजा सुनाई गई।

विशेष अदालत ने सभी सजाएँ एक साथ चलाने का आदेश दिया था। इसके अलावा दो हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। भाषण के दौरान मंच पर मौजूद अब्बास अंसारी के चुनाव एजेंट मंसूर अंसारी को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले के खिलाफ अब्बास अंसारी की अपील मऊ के विशेष अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। इसके साथ ही अंसारी ने सजा निलंबन की अर्जी भी दी थी, जिसे 5 जुलाई को खारिज कर दिया गया था। इसी आदेश के खिलाफ उन्होंने यह पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।

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