SIP Investment: देश में Mutual Fund की दुनिया तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही एक हैरान करने वाला रुझान भी देखने को मिल रहा है. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए रिकॉर्ड संख्या में निवेशक जुड़ रहे हैं, लेकिन इसमें एक चौंका देने वाला आंकडा है जी हां करीब 10 में से 9 निवेशक पहले 3 सालों में ही अपने SIP बंद कर देते हैं. इसका मतलब है कि लंबे समय तक पैसे बढ़ाने का सबसे आसान तरीका भी अक्सर अधूरा रह जाता है.
इस पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट
वित्तीय जानकारों का कहना है कि इसका कारण आमतौर पर हमारी भावनाएं हैं. शुरुआत में हम बड़े उत्साह में निवेश शुरू करते हैं. थोड़े समय बाद, बाजार में गिरावट आती है तो डर और चिंता हमें रोक देती है. फिर जब बाजार में तेजी आती है, तब हम पछताते हुए वापस आते हैं. इस तरह उत्साह, डर और पछतावा SIP के असली फायदे को कम कर देता है.
SIP रोकने की भारी कीमत
वेल्थ मैनेजर्स कहते हैं कि SIP बीच में रोक देने की कीमत अक्सर निवेशक की सोच से बहुत ज्यादा होती है. उदाहरण के लिए, अगर कोई हर महीने 5,000 रुपए की SIP के जरिए 20 साल तक निवेश करता है और सालाना 12% की औसत रिटर्न मिलता है, तो उसका निवेश लगभग 45 लाख रुपए तक बढ़ सकता है.
लेकिन अगर इस दौरान सिर्फ तीन साल के लिए निवेश रोक दिया जाए, तो फाइनल अमाउंट में लगभग 15 लाख रुपए की कमी आ सकती है. यह नुकसान सिर्फ कंपाउंडिंग कम होने के कारण होता है. इसका मतलब है कि छोटे-छोटे रुकावटें भी लंबी अवधि में बड़ा फर्क डाल सकती हैं.
बाजार में गिरावट के दौर में SIP का सही फायदा
एक्सपर्ट कहते हैं कि रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा तब सबसे ज्यादा होता है जब बाजार नीचे गिर रहा होता है. उस समय निवेशक को कम कीमत पर ज्यादा म्यूचुअल फंड यूनिट्स मिलती है. लेकिन ज्यादातर निवेशक ठीक उसी समय पीछे हट जाते हैं, यानी जब बाजार में गिरावट आती है. असल में SIP की ताकत तब दिखती है जब निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच भी लगातार इसके जरिए निवेश करते रहें.
Long Term निवेश में अनुशासन सबसे जरूरी
एक्सपर्ट कहते हैं कि लंबी अवधि के निवेश में अनुशासन सबसे अहम होता है. मार्केट के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को समझने या भविष्यवाणी करने की कोशिश से ज्यादा जरूरी है कि आप नियमित रूप से निवेश करते रहें. हर बार इन्वेस्टमेंट रोकना आपके फाइनेंशियल गोल को पीछे खींच देता है.
उतार चढ़ाव बाजार का हिस्सा
गौर करने वाली बात यह है कि जो अनुभवी निवेशक होते हैं वो बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान भी निवेश जारी रखते हैं. वे इसे शेयर बाजार का सामान्य हिस्सा मानते हैं और इसे डरने की वजह नहीं बनने देते हैं जी हां भले ही बाजार अस्थिर लगे, एक्सपर्ट बार-बार कहते हैं कि धैर्य रखने वाले निवेशकों को लंबे समय में हमेशा फायदा हुआ है.
