07 अगस्त 1947 का दिन भारतीय इतिहास के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण दिन है . इस दिन पकिस्तान बनाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने हमेशा के लिए भारत छोड़ दिया था। शाम के वक्त दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर डकोटा विमान तैयार खड़ा था। मंजिल थी कराची। यह विमान देश के विभाजन के असल जिम्मेदार मोहम्मद अली जिन्ना का इंतजार कर रहा था . भारत में यह उनका आखिरी दिन था।
मोहम्मद अली जिन्ना के भारत छोड़ने से पहले लार्ड माउंटबेटन ने अपनी रॉल्स रॉयल्स कार भी उन्हें उपहार में दी.
71 वर्षीय मोहम्मद अली जिन्ना बंटवारे के बाद भारत से अलग होने वाले पाकिस्तान की अगुवाई करने वाले थे . उस वक्त स्थिति भयावय थी। चारों तरफ लूटमार थी। लाखों शरणार्थी अपने जमीन को छोड़कर दूसरे वतन में जा रहे थे.
जब जिन्ना पालम एयरपोर्ट पहुंचे तो चंद लोग उन्हें अलविदा कहने आये थे। जिन्ना ने उन्हें विदा कहने आये लोगों से हाथ मिलाया और तेजी से डकोटा विमान की ओर बढ़ गए। ये रॉयल एयरफोर्स ब्रिटेन का विमान था, जो उन्हें ले जाने वाला था.
मोहम्मद अली जिन्ना का भारत में आखिरी समय काफी व्यस्तताओं के बीच बीता। दिन में जिन्ना कई लोगों से मिले. डालमिया भी उनसे मिलने आए. उनकी बेटी उस दिन मुंबई में ही थी. लेकिन ना तो उनकी उससे बात ही हुई ना ही वो उनसे मिलने आई. बेटी से वो नाराज थे, क्योंकि उसने उनकी मर्जी के खिलाफ नेविल वाडिया से शादी कर ली थी. उसने उनके साथ पाकिस्तान जाने से साफ मना कर दिया था.
डकोटा विमान सीधे मौरीपुर में उतरा, जो कराची की हवाई पट्टी थी. जहां जिन्ना दिल्ली से चुपचाप और बगैर गहमागहमी के विदा हुए थे, वहीं कराची की इस हवाई पट्टी पर उनके स्वागत के लिए 50 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा थे.
कराची हवाई अड्डे पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे थे . हवाई अड्डे से उनका काफिला कराची की सडक़ों पर निकला. सडक़ों के दोनों ओर लोग उनके स्वागत के लिए इकट्ठा थे. जिन्ना ये सोचकर मुंबई का मकान छोड़ गए थे कि वो कभी वहां फिर वापस लौट सकेंगे. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. और वह हमेशा के लिए पाकिस्तान के हो गए।
मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- जिन्ना बॉम्बे विश्वविद्यालय और लंदन के लिंकन इन में शिक्षा प्राप्त की
- 1913 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग बनाने से पहले वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा थे, जो ब्रिटिश शासन से स्वायत्तता पर ध्यान केंद्रित कर रही थी
- जिन्ना 1913 से लेकर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की स्वतंत्रता तक अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के नेता रहे और उसके बाद अपनी मृत्यु तक पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल रहे।
- 1920 में जिन्ना ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन का विरोध किया और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
- समय के साथ मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच मतभेद बढ़ते गए। कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन नहीं किया, जबकि जिन्ना ने 1940 में अलग मुस्लिम राज्य पाकिस्तान की मांग की
- जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल बने, जिसका गठन 14 अगस्त 1947 को हुआ था। हालाँकि, 11 सितंबर 1948 को तपेदिक से उनकी मृत्यु हो गई