रीवा जिले के गढ़ में शनिवार को दीवार ढहने से दो सगे भाई-बहन सहित चार बच्चों की मौत हो गई। हादसे में वीरेंद्र गुप्ता के बेटे सिद्धार्थ और बेटी मान्या की भी मौत हुई है। सिद्धार्थ तीन बहनों का इकलौता भाई था। चाचा सुरेंद्र गुप्ता का भी कोई बेटा नहीं है। उनकी तीनों लड़कियां भी सिद्धार्थ को ही राखी बांधती थीं। सभी संयुक्त परिवार में रहते हैं। इस हादसे में 6 बहनों ने अपने इकलौते भाई को खो दिया।
हादसे में जो दीवार गिरी है वह सनराइज पब्लिक स्कूल के पास में बनी हुई थी। जिसके बगल से रोज स्कूल के बच्चे गुजरते थे। बताया गया है कि 20 साल पुरानी, 30 फीट लंबी और करीब 7 फीट ऊंची यह दीवार काफी समय से जर्जर थी। मई में भी इस दीवार का कुछ हिस्सा ढह गया था। मकान मालिक से कई बार इसे गिराने के लिए स्कूल संचालक और अभिभावक कह चुके थे। लेकिन न तो इसे ढहाया गया और न ही इसकी मरम्मत कराई गई। जिस मकान की यह दीवार थी, वह दो भाइयों जगदीश और सतीश नामदेव का है। दोनों भाइयों के बीच आपस में विवाद था कि इस दीवार को कौन हटाएगा। लेकिन अकड़ के चलते दोनों ही अपनी ज़िद पर अड़े रहे। आखिरकार बारिश में यह दीवार गिर गई। यदि इन दो भाइयों में से किसी ने भी मानवता दिखाई होती और समय रहते इस दीवार को गिरा दिया होता तो, इन मासूमों की जान बच जाती। हालांकि अब पुलिस ने दोनों भाइयों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन उनका क्या कसूर था जिन्होंने अपनी जान गंवा दी और जिनके घरों के चिराग बुझ गए।
शहर से लेकर गांव तक कई ऐसे विवादित मामले हैं जिनपर समय रहते प्रशासन द्वारा करवाई नहीं की जाती है। और जब ऐसे ही कोई बड़ा हादसा हो जाता है। तो अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए फौरी तौर पर करवाई कर दी जाती है। लेकिन समय रहते कोई अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता। ग्रामीण क्षेत्रों में तो अक्सर ही ऐसे घटनाएं सामने आती हैं। जहां जमीनी विवाद में एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। राजस्व विभाग के कर्मचारी भी इस आग में घी डालने का काम करते हैं। विवाद को निपटने की बजाय और बढ़ा देते हैं। कभी इधर ज्यादा नाप देते हैं तो कभी उधर। उन्हें तो बस अपनी जेब गरम होने से मतलब है।