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Asam के 29 जिले पूरी तरह से डूब गए हैं, 24 लाख की आबादी पूरी तरह से बेहाल है

Assam: पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य असम बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है. राज्य के 29 जिलों में बाढ़ के हालात हैं. नदी, नाले और पगडंडियों में फर्क करना मुश्किल हो गया है. गांव और नदी किनारे एक हो गए हैं. राज्य की सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. कुदरत बारिश के रूप में कहर बरपा रही है. लोगों के घर पानी में डूब गए हैं. कई लोगों के घर पानी की लहरों के आगे ढह गए. जो लोग जो कुछ भी बटोर पाए, बचाव शिविर में चले गए. लेकिन जो समय रहते बाहर नहीं आ पाए, वे पानी के बहाव में बह गए. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जलभराव वाले इलाकों का दौरा किया. और दावा किया कि अब स्थिति नियंत्रण में है. राहत और बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स उनके दावे के उलट कहानी बयां कर रही हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक Assam में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर है। करीब 24 लाख लोग इससे प्रभावित हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के मुताबिक बाढ़ के कारण जान गंवाने वालों की संख्या 64 तक पहुंच गई है। राज्य भर के 3,535 गांवों के करीब 23.9 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 50 हजार से ज्यादा लोगों ने शेल्टर होम में शरण ली है।

बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला धुबरी है. यहां करीब 8 लाख लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं. इसके बाद कछार और दारंग ज़िले हैं. जहां 1.5 लाख से ज़्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. इनके अलावा कछार, कामरूप, धुबरी, नागांव, ग्वालपाड़ा, बारपेटा, डिब्रूगढ़, बोंगाईगांव, लखीमपुर, जोरहाट, कोकराझार, करीमगंज और तिनसुकिया बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िलों में शामिल हैं.

जोरहाट से धुबरी तक ब्रह्मपुत्र और बराक जैसी प्रमुख नदियों में जलस्तर बढ़ा हुआ है। कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। करीमगंज शहर के एपी घाट, बीपी घाट और कुशियारा में बराक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसके अलावा बूढ़ीदेहिंग, दिखो, दिसांग, धनसिरी, जिया भराली, कोपिली और संकोश जैसी नदियां अलग-अलग जगहों पर खतरे के निशान को पार कर गई हैं। बाढ़ के कारण करीब 68 हजार 768 हेक्टेयर फसल क्षेत्र जलमग्न हो गया है।

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काजीरंगा नेशनल पार्क (Kaziranga National Park) में बाढ़ के कारण अब तक 114 जंगली जानवरों की मौत हो चुकी है। इनमें 6 गैंडे भी शामिल हैं। हाल के वर्षों में केजीरंगा नेशनल पार्क में यह सबसे भीषण बाढ़ है। जिसमें इतने जानवर मारे गए हैं।

पिछले हफ़्ते असम के मैदानी इलाके भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। क्योंकि ऊपरी क्षेत्र में स्थित कई बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है। इनमें असम-अरुणाचल सीमा पर रंगनदी और सुबनसिरी लोअर डैम, नागालैंड में दोयांग डैम और पड़ोसी भूटान में कुरिचू डैम शामिल हैं। इसके अलावा गुवाहाटी के कटोरे के आकार वाले निचले इलाकों में बढ़ते कंक्रीट निर्माण ने इस क्षेत्र में बाढ़ की संभावना को और बढ़ा दिया है।

Assam राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,

तबाही के बावजूद उम्मीद की किरण दिख रही है। क्योंकि 2 जुलाई से स्थिति में सुधार होने लगा है। और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में जलस्तर कम होने लगेगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम में बाढ़ की स्थिति का आकलन करने के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से बात की है। अमित शाह ने ट्वीट किया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं, राहत पहुंचा रहे हैं और पीड़ितों को बचा रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले असम में 4-5 साल में एक बार बाढ़ आती थी, लेकिन अब हर साल 3 से 4 बार बाढ़ आ रही है। असम में बार-बार ऐसी स्थिति क्यों पैदा हो रही है? इसे समझने से पहले हमें यहां की भौगोलिक स्थिति पर गौर करना होगा। असम की भौगोलिक स्थिति एक कटोरे की तरह है, जिसमें पानी इकट्ठा होता रहता है।

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरा Assam राज्य नदी घाटी में बसा हुआ है. असम का कुल क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किलोमीटर है. जिसमें से 56,194 वर्ग किलोमीटर ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में बसा है. बाकी 22,444 वर्ग किलोमीटर इलाका बराक नदी की घाटी में बसा है. हर साल असम का करीब 40 फीसदी इलाका बाढ़ में डूब जाता है. ब्रह्मपुत्र और बराक के अलावा राज्य में 48 छोटी और सहायक नदियां हैं. जिसकी वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा रहता है.

https://youtu.be/cBvV_D6_ZIo?si=6ecbOwzUHe5JyO5U

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