21st June Yoga Day: हर साल 21 जून को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग दिवस योग के महत्वता को दिखाता हुआ ऐसा दिन है जिस दिन हम योग आसन को वैश्विक रूप से रेखांकित करते हैं। योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित करता है। योग आत्मा मन और ब्रह्मांड के बीच संतुलन बनाता है। आज के इस लेख में हम आपको शिव से जुड़े कुछ ऐसे योगासन बताने वाले हैं जिससे आप भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

शिवजी की तरह ऊर्जा प्राप्त करने के लिए करे यह तीन आसन ( yog ke janak kaun hain)
जैसा कि हम सब जानते हैं भगवान शिव को आदियोगी कहा जाता है। कहा जाता है कि योग का जन्म भगवान शिव की प्रेरणा से ही हुआ था। शिव ही दुनिया के सबसे पहले योगी थे और इन्हीं ने योग के सिद्धांत लोगों के लिए बनाए हैं।
यदि आप भी शिव भगवान की तरह लचीला शरीर और ऊर्जावान चरित्र पाना चाहते हैं तो हम आज लेकर आए हैं आपके लिए शिवजी की प्रेरणा से बने यह तीन महत्वपूर्ण योग आसन।
आईए जानते हैं शिवजी की प्रेरणा से जनित तीन महत्व पूर्ण योग मुद्राएं कौन सी है? (Shivji ke priya asan)
अथई योग मुद्रा (शिव पोज): अथाई योग मुद्रा को शिव जी का सबसे प्रिय आसान कहा जाता है। इस आसन में आपको कंबल बिछाकर आरामदायक मुद्रा में बैठना होगा। दोनों पैरों को सामने सीधा फैलाना होगा और पीठ सीधी रखनी होगी । दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर ध्यान केंद्रित कर सांस लेनी होगी। इस योग का सबसे महत्वपूर्ण लाभ होता है कि इससे मांसपेशियां स्ट्रेट होती है। शरीर का अग्रभाग लचीला बनता है पेट और स्पाइन की लचक में सुधार होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
त्रिकोणासन: शिवजी का दूसरा सबसे प्रिय आसान है त्रिकोणआसन। इस आसन में आपके पैरों को लगभग 3.5 फिट की दूरी पर फैलाना होगा। इसके बाद आपको दायां पैर 90 डिग्री बाहर और बाया पैर 15 डिग्री अंदर घूमाना होगा। बाएं हाथ को नीचे घुटने पर या टखने पर रखना होगा और दाया हाथ ऊपर की ओर फैलाना होगा और आसन करते हुए गहरी सांस लेनी होगी।
इस आसन से पीठ और पेट की मसल्स ताकतवर बनती है। हृदय और फेफड़े का व्यायाम होता है और रक्त संचार बेहतर होता है। यह आसान मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
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भुजंगासन: कहा जाता है कि योग मुद्रा में भुजंग आसन सबसे महत्वपूर्ण आसान होता है। भुजंगासन करने के लिए आपको पेट के बल लेटना होगा और हथेलियां कंधे के नीचे रखनी होगी। इस दौरान सांस भीतर खींचकर छाती को ऊपर उठाना होगा और नाभि को जमीन पर बनाए रखना होगा। यह आसान बिल्कुल सांप की तरह किया जाता है जिसमें कंधे के पीछे की ओर गर्दन को सीधा रखना होता है। इस आसन को करने से रीड की हड्डी मजबूत होती है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। पीठ दर्द से मुक्ति मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।