SUPREME COURT: यदि बच्चा गवाही देने में सक्षम तो साक्ष्य सिरे से खारिज नहीं!

SUPREME COURT ने कहा, मामले में यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि पीड़ित की बेटी को गवाही देने के लिए मजबूर किया गया था

NEW DELHI: सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम के तहत गवाह के लिए कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं है। एक बच्चे की गवाही, जिसे गवाही देने में सक्षम माना जाता है, साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बाल गवाह को सक्षम गवाह करार दिया। साथ ही कहा, इस गवाही को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता।

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ज्यादातर घरेलू हिंसा के मामले

इस मामले में एक महिला के पति पर हत्या का आरोप लगा था। पीठ (SUPREME COURT) ने कहा, इस मामले में यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि पीड़ित की बेटी को गवाही देने के लिए मजबूर किया गया था। अदालतों में नियमित रूप से ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें तनावपूर्ण वैवाहिक संबंधों और उसके चरित्र पर संदेह के कारण पति अपनी पत्नी की हत्या करने जैसा कदम उठाते हैं। ऐसे अपराध आमतौर पर बंद दरवाजों के पीछे होते हैं और पुलिस और अभियोजन पक्ष के लिए सबूत तक पहुंचना बेहद मुश्किल होता है।

प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य – SUPREME COURT

पीठ (SUPREME COURT) ने कहा, साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के तहत किसी बच्चे की गवाही दर्ज करने से पहले, ट्रायल कोर्ट के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य है। यह जानना जरूरी है कि क्या बच्चा गवाह सबूत प्रदान करने के औचित्य और उससे पूछे गए सवालों के महत्व को समझने में सक्षम है। पीठ (SUPREME COURT) ने कहा, साक्ष्य अधिनियम गवाह के लिए कोई न्यूनतम आयु तय नहीं करता है। यदि बच्चा गवाह के रूप में सक्षम पाया जाता है, तो उसके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को आंख मूंदकर खारिज नहीं किया जा सकता है।

SUPREME COURT ने माना बच्चा भी दे सकता है गवाही

शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जून 2010 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुना रही थी। शीर्ष अदालत ने कहा, यदि बच्चा गवाही देने में सक्षम पाया जाता है। तो उसकी गवाही सभी उद्देश्यों के लिए किसी अन्य गवाह के बराबर मानी जाएगी। किसी बच्चे के गवाह की गवाही दर्ज करते समय अदालत को एकमात्र सावधानी यह बरतनी चाहिए। गवाह भरोसेमंद होना चाहिए क्योंकि बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं और उन्हें प्रशिक्षित किया जा सकता है।

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