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Zubin Garg’s Heartfelt Tribute: सिंगापुर में ज़ुबीन गर्ग की याद में St. John’s Island का नाम बदला, अब “Zubeen Garg Island”

St. John's Island renamed "Zubeen Garg Island

St. John's Island renamed "Zubeen Garg IslandSt. John's Island renamed "Zubeen Garg Island

St. John’s Island renamed “Zubeen Garg Island”: Zubeen Garg जिन्होंने “या अली”, “पाकीज़ा” जैसे गानों से पूरे भारत को अपनी आवाज़ का दीवाना बनाया, 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में एक दुखद हादसे में दुनिया छोड़ गए। नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के लिए सिंगापुर गए ज़ुबीन, लाजरस आइलैंड के पास एक दुर्घटना के शिकार हो गए थे। लेकिन उनके समर्थकों और चाहने वालों के दिल में वो आज भी जिंदा है जिसका प्रमाण भी दे दिया गया है। दरअसल असम के मशहूर गायक और सांस्कृतिक प्रतीक ज़ुबीन गर्ग की याद में सेंट जॉन आइलैंड का नाम बदलकर “ज़ुबीन गर्ग आइलैंड” कर दिया गया है। यह भावुक श्रद्धांजलि दुनिया भर में उनके फैंस के लिए एक ऐतिहासिक पल है।

Zubeen Garg का जीवनकाल

ज़ुबीन गर्ग का जन्म 18 नवंबर 1972 को मेघालय के तुरा में हुआ, लेकिन असम उनकी कर्मभूमि बना। तीन साल की उम्र से गायन शुरू करने वाले ज़ुबीन ने 1992 में अपने पहले एल्बम अनामिका के साथ संगीत जगत में कदम रखा। बॉलीवुड में “या अली” (गैंगस्टर, 2006) ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दी। असमिया, बंगाली, मराठी, तमिल और हिंदी सहित कई भाषाओं में उनके गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं। ज़ुबीन सिर्फ़ एक गायक नहीं थे; वे एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ असम में हुए प्रदर्शनों में उनकी आवाज़ गूंजी। हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक, ज़ुबीन ने हमेशा सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया।

Zubeen Garg की रहस्यमय मौत

19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के दौरान ज़ुबीन गर्ग लाजरस आइलैंड के पास एक यॉट पार्टी में शामिल हुए। तैरते समय उन्हें चक्कर आया और वे बेहोश हो गए। अस्पताल ले जाए जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शुरुआती खबरों में इसे स्कूबा डाइविंग हादसा बताया गया, लेकिन सिंगापुर पुलिस ने बाद में पुष्टि की कि यह डूबने से हुई मृत्यु थी, जिसमें कोई साजिश नहीं थी।

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