Aatm Manthan :आप को पता है ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाने का एक मन्त्र है ! अगर आपकी ज़िंदगी में भी बहोत गिले शिकवे हैं तो इसे आज़मा के देख लीजिये , करना सिर्फ इतना है कि अगर आपसे ग़लती हो जाए तो माफ़ी मांग लें और अगर किसी और ने आपका दिल दुखाया हो तो उसे माफ़ कर दीजिए पर यक़ीन मानिये ये इतना आसान काम नहीं है पर इतना मुश्किल भी नहीं है कि हम कर न सकें और अगर आपने ये कर लिया तो आपसे अच्छी ज़िंदगी किसी की नहीं,क्योंकि ये कैसे भी गुज़रे सबसे ख़ूबसूरत लगेगी आपको।
क्यों है मुश्किल ये मन्त्र अपनाना :-
किसी से माफ़ी माँगना यानी अपनी ग़लती स्वीकार करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि हम अक्सर कहते हैं “सॉरी अब ऐसा नहीं होगा” मतलब अपनी ग़लती स्वीकारने के साथ ही अब ये ग़लती हम नहीं दोहराएंगे ये भी हमने वादा कर लिया है लेकिन होता ये है कि कभी-कभार ग़लती से ही सही वो ग़लती हमसे दोबारा हो ही जाती है। वहीं किसी को माफ़ करने का मतलब होता है उससे अपना दिल साफ़ कर लेना उसके लिए अपने दिल में कोई बुरी भावना न रखना। जो ज़्यादातर मुश्किल इसलिए हो जाता है कि किसी की एक ग़लती भी हमारी नज़र में उसकी एक बुरी छवि या इमेज हमारे दिल में बना देती है जिसे हम आसानी से मिटा नहीं पाते।
माफ़ी माँगना ज़्यादा मुश्किल है या किसी को माफ़ कर देना :-
मुश्किल दोनों काम हैं माफ़ी मांगना भी और माफ़ कर देना भी क्योंकि इन दोनों कामों के लिए हमें अपना दिल साफ़ रखने की ज़रूरत पड़ती है हमारे दिल में किसी के लिए कोई बुरी बात नहीं होगी ,कोई मन मुटाव नहीं होगा तभी हम ये कर पाएंगे। हम अपनी ग़लती तभी मान पाते हैं जब हम ग़लती को ग़लती समझते हैं। किसी से तुलना करके ये नहीं कहते कि ये कौन सी बड़ी बात है लोग तो क्या-क्या नहीं करते, मैंने तो बस इतना ही किया है। दूसरी तरफ हमें अगर किसी को माफ़ करना पड़े तो हम इसलिए भी नहीं कर पाते क्योंकि तब हमें उसके लिए अपना नज़रिया बदलना होता है अपने दिल से उसके लिए बुरी भावनाओं को निकालना होता है।
ऐसा करके क्या मिलता है :-
जब हम किसी से माफ़ी माँग लेते हैं या किसी को माफ़ कर देते हैं तो हमारे दिल में किसी के लिए कोई बैर नहीं भर पाता हम केवल अपने गुण-अवगुण पर ही ध्यान देते हैं, गुणों को ग्रहण करते हैं और अवगुणों को दूर कर पाते हैं। ये वो मन्त्र है जो बेहतर इंसान बनने में हमारी ही मदद करता है तो वहीं हमारी ज़िंदगी को इतना खूबसूरत बना देता है कि हमारे पास दूसरों की खुशियों से जलने की फुरसत नहीं होती ,हम अपने आप को बनाने में जुट जाते हैं वो भी खुद को सबसे सुखी महसूस करते हुए ज़िंदगी का लुत्फ़ लेते हुए। ग़ौर ज़रूर करिएगा इस बात पर फिर मिलेंगे “आत्म-मंथन” की अगली कड़ी में ,धन्यवाद।
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