विंध्य के युवाओं की उड़ान!

मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुकात रखने वाली एक लड़की जिसके पिता एक प्राइमरी स्कूल में असिस्टेंट टीचर हैं MPPSC 2019 की परीक्षा में पहली रैंक लेकर आती है.रिजल्ट आया और पूरा राज्य और सतना जिला प्रिया पाठक की इस उपलब्धि पर गौरवान्वित हो उठा.यकीनन प्रिया किसी भी परिचय की मोहताज नहीं हैं. प्रिया पूरे विंध्य क्षेत्र का गर्व हैं.आज युवा दिवस है और विंध्य के युवा हर मायनों में और हर क्षेत्र में अव्वल हैं.आज हम विंध्य के ऐसे ही युवाओं की बात करेंगे जिन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन कर के न सिर्फ क्षेत्र बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है. बात सिविल सर्विसेज की हो रही है तो भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC यानि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन जिसके जरिये देश में आईएएस आईपीएस अधिकारिओं की नियुक्ति की जाती है उसकी बात कर लेते हैं. UPSC न सिर्फ देश का बल्कि वर्ल्ड का टफेस्ट एग्जाम है.7 महीने पहले UPSC ने अपने रिजल्ट्स घोषित किए जिसमे रीवा के बोदाबाग निवासी रोमिल द्विवेदी की 364वीं रैंक आयी थी.रोमिल ने परीक्षा की तैयारी जॉब के साथ की थी.वो मुंबई स्थित एक्सिस बैंक में असिस्टेंट वाईस प्रेसिडेंट थे.2016 में UPSC की परीक्षा क्रैक करने वाली सुरभि गौतम की कहानी भी काम प्रेरणादायक नहीं है.

हिंदी माध्यम से आने वाली सुरभि के लिए UPSC का सफर आसान नहीं था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।उन्हें 2013 में आईईएस सर्विसेज के लिए भी चुना गया था और इस परीक्षा में उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान मिला था। 2016 में, उन्होंने AIR 50 के साथ आईएएस परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बन गईं.

2012 बैच के आईएएस रोहित सिंह भी क्षेत्र के लिए गर्व हैं. चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग देश भर के लिए गर्व का क्षण था.देश सेवा में समर्पित वैज्ञानिकों की टीम में विंध्य के युवा वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई। सतना के करसरा के रहने वाले ओम पांडेय ऑर्बिट रेज कराने का जिम्मा सम्भाल रहे थे। वहीं चित्रकूट के निर्लेश सिंह ने लैंडिंग के वक्त चंद्रयान की गति पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी निभाई। सतना के इन युवा वैज्ञानिकों के अलावा रीवा के तरुण सिंह, उमरिया से शिवांशु मिश्रा भी लॉचिंग और लैंडिंग टीम का हिस्सा रहे।

स्वामी विवेकानंद कहते थे कि महिलाओं ने युगों तक कष्ट सहा है, और इससे उसे असीम धैर्य और अनंत दृढ़ता मिली है।”

वो समय चला गया जब डिफेन्स सर्विसेज में मात्र पुरुषों का जाना सही माना  जाता था.हालाँकि अभी भी इस फील्ड में पुरुषों का बोलबाला है लेकिन क्षेत्र में महिलाएं आगे आ रही हैं.विंध्य के रीवा से अवनि चतुर्वेदी फाइटर जेट उड़ने वाली पहली महिला भारतीय पायलट हैं.वो युद्ध की स्थिति में सुखोई जैसे विमान भी उड़ा सकती हैं.अवनि के पिता दिनकर चतुर्वेदी जल संसाधन विभाग में सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर हैं.जनवरी 2023 में पहली बार भारतीय वायुसेना की महिला फाइटर पायलट देश के बाहर होने वाले हवाई युद्धाभ्यास के लिए भारतीय दल का हिस्सा थीं। देश की पहली तीन महिला फाइटर पायलटों में से एक स्क्वॉड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी ने  युद्ध अभ्यास ‘वीर गार्जियन’ में भाग लिया था.

बीते हुए साल में सिविल जज की परीक्षा में रीवा की दो बहने जस्विता और अर्पिता शुक्ला ने सफलता हासिल की.छोटी बहन जस्विता ने 2019 में mpcj परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया और बड़ी बहन अर्पिता ने साल 2023 में  ये परीक्षा क्रैक करके परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है.इनके पिता पैरालिसिस से जूझ रहे हैं.विपरीत परिस्थितियों में दोनों बहनो ने परीक्षा की तैयारी की और इसमें सफलता हासिल की.

अब रुख करते हैं खेल की ओर.अभी एक महीने का ही समय हुआ है विंध्य के सौम्य पांडेय, जो सीधी जिले के भरतपुर के निवासी हैं उनका सिलेक्शन न सिर्फ भारतीय टीम के अंडर 19 में हुआ है बल्कि इसमें वो बतौर उपकप्तान पद पर भी चयनित हुए हैं.अंडर 19 एशिया कप के पहले मैच में इनका प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा.इन्होने अंडर 19 एशिया कप में अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ मैच में बेहतरीन प्रदर्शन किया। आठ ओवर में उन्होंने मात्र 21 रन दिए। इनकी गेदबाजी का इकोनॉमी रेट भी 2.63 रहा।जो बहुत बेहतरीन है.सौम्य का  शुरू से ही क्रिकेट में रुझान काफी ज्यादा था.सौम्य इससे पहले अंडर 19 इंडिया ए में बतौर कप्तान थे. बाद में भारतीय टीम के अंडर 19 में बतौर उप कप्तान इनका सिलेक्शन हो गया.

अब थोड़ा पीछे चलते हैं. साल 2022 में रीवा के हरिहरपुर के रहने वाले कुलदीप सेन का सिलेक्शन न्यू ज़ीलैण्ड दौरे के लिए हुआ था.भारतीय टीम में उनका सिलेक्शन क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी.कुलदीप सेन ने 11 साल इस खेल को दिए. इस दौरान कई असफलताओं को झेलते हुए वो यहाँ तक पहुंचे।कुलदीप को उनकी तेज़ गेंदबाजी के लिए रेवांचल एक्सप्रेस कहा जाता है.कुलदीप की कहानी और भी प्रेरणादायक इसलिए हो जाती है क्योंकि उनके पिता रीवा में बाल काटने की दुकान चलाते थे.कुलदीप के करीबी बताते हैं कुलदीप हद्द से ज्यादा मेहनती हैं.उन्होंने पिता से क्रिकेट खेलने के चक्कर में मार भी खाई लेकिन क्रिकेट के प्रति जूनून ऐसा था की कभी हार नहीं मानी। 

अगला नाम है ईश्वर पांडेय का. इंडिया A में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद ईश्वर पांडेय का सिलेक्शन भारतीय टीम में हुआ. हालाँकि ईश्वर को कभी टीम में खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन IPL में चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से वो बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे.ईश्वर पांडेय ने रीवा शहर के युवाओं को क्रिकेट में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

हर फील्ड की तरह क्रिकेट में भी महिलाओं की भागीदारी बीते समय में बढ़ी है। विंध्य क्षेत्र में भी इसके उदहारण हैं.भारतीय महिला क्रिकेट टीम में विंध्य क्षेत्र से दो महिलाओं ने अपने कीर्तिमान स्थापित किये हैं.पहली हैं भारतीय महिला क्रिकेट टीम की आलराउंडर पूजा वस्त्राकार ।पूजा का जन्म 1999 में मध्य प्रदेश के शहडोल में हुआ था.पूजा वस्त्राकार अपने भाई बहनों में सबसे छोटी हैं.बड़ा परिवार होने के कारण आर्थिक समस्याएं भी थी जिस वजह से वो कपड़े धोने की मोगरी या लकड़ी के पट्टे से क्रिकेट खेलती थी.वो लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं.उनकी मेहनत को देखते हुए स्कूल में उनका शुल्क भी माफ़ कर दिया गया था. उनके टैलेंट से क्रिकेट कोच आशुतोष श्रीवास्तव काफी प्रभावित थे और उन्होंने पूजा को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. पूजा की मेहनत रंग लाई और महज 15 साल की उम्र में उनका चयन इंडिया ग्रीन वूमेन स्क्वॉड में हो गया. पूजा ने 18 साल की उम्र में भारत के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर पदार्पण किया.मिताली राज की अगुआई में विमेंस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी .इस मैच में पूजा वस्त्राकर का अहम योगदान रहा.मिताली राज ने भी उनकी तारीफ़ की थी.

अगला नाम है नुज़हत परवीन का। नुज़हत का पूरा नाम नुज़हत मसीह परवीन है और ये विंध्य के सिंगरौली में जन्मी थीं.ये एक फुटबॉल खिलाड़ी हुआ करती थीं और मध्य प्रदेश की अंडर-16 फुटबॉल टीम की कप्तान थीं।नुजहत महज 5 साल के अंदर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। क्रिकेट में उनकी यात्रा 2011 में शुरू हुई जब सिंगरौली में एक अंतर-जिला टूर्नामेंट के लिए एक महिला टीम का गठन किया गया था, और प्रशासन के पास पर्याप्त खिलाड़ी नहीं थे। नुजहत, जो उस समय जूनियर राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी थीं, उन्हें टीम का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया था।उन्होंने अंतर-जिला क्रिकेट प्रतियोगिता में सिंगरौली टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए एक विकेट-कीपर के रूप में शुरुआत की। उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें मध्य प्रदेश की अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम में विशेष स्थान दिया गया.012-13 में उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें सेंट्रल जोन अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम में उप-कप्तान चुना गया। उन्होंने 15 मई 2017 को 2017 दक्षिण अफ्रीका चतुष्कोणीय मुलाबले में आयरलैंड के खिलाफ महिला एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से शुरुआत की.1 महीने पहले रीवा जिले के एक छोटे गांव से वास्ता रखने वाले प्रमीश सिंह ने मलेशिया में ASIAN CLASSIC POWERLIFTING CHAMPIONSHIP में प्रमीश सिंह ने कांस्य पदक जीत कर क्षेत्र का नाम रोशन किया।

विंध्य क्षेत्र के अपने आर्ट फॉर्म्स हैं.फिर चाहे संगीत हो,नृत्य हो या खानपान हो.क्षेत्र में आदिवासियों का भी कला के क्षेत्र में बेहतर प्रतिनिधित्व है.फिर चाहे वो बैगा शाल हो या गोंड पेंटिंग।अब रुख करेंगे कला और संस्कृति की ओर 

संगीत से शुरुआत करते हैं.रीवा में जन्मी प्रतिभा सिंह बघेल भारत की एक जानी मानी गायिका हैं, वो हिंदुस्तानी क्लासिकल,ग़ज़ल और बॉलीवुड में गाने गाती हैं.प्रतिभा ने अपने संगीत करियर की शुरुआत ज़ी टीवी के सा रे गा मा पा शो से की थी.इसमें वो फाइनलिस्ट थीं.प्रतिभा का राषिद खान के साथ झीनी झनि रे सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गाना है.उन्होंने हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया,इसाक,शोरगुल अन्य कई फिल्मों के लिए गाना गाया है.2020 में, प्रतिभा ने वायलिन वादक दीपक पंडित के साथ बोले नैना नामक एक ग़ज़ल एल्बम जारी किया जिसमें गीतकार गुलज़ार और तबला वादक ज़ाकिर हुसैन भी थे । बताया गया है कि इसके ऑनलाइन वीडियो को दो दिनों में 50 मिलियन बार देखा गया है। 

संगीत के क्षेत्र में विंध्य की अनामिका त्रिपाठी का भी बड़ा योगदान है.इन्होने भोजपुरी सुर संग्राम में फाइनलिस्ट की जगह बनाई।लोकगीतों के लिए ये सोशल मीडिया में विख्यात हैं.मुकुल सोनी भी संगीत के क्षेत्र में बड़ा नाम हैं.

दृस्टिबाधिर रघुवीर शरण क्षेत्र के लिए गर्व हैं.उन्होंने महुआ टीवी के साल 2012 का सुर संग्राम भी जीत चुके हैं.रघुवीर और उनके भाई दोनों ही देखने में असमर्थ हैं.वो बताते हैं कि समाज के कई तरह के तानो को सहते और सुनते उन्होंने यहां तक की राह तय की है और इसमें उनके परिवार ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा। 

अगला नाम है मोहेना सिंह का.मोहेना रीवा राजघराने से आती हैं.लेकिन उन्होंने इसके इतर जाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई।मोहेना ने डांस इंडिया डांस रियलिटी शो में भाग लिया था और इसमें वो टॉप 5 में थीं.मोहेना को रीवा के लोगों से काफी ज्यादा आलोचना भी सहनी पड़ी थी क्योंकि लोग उन्हें एक राजकुमारी होते हुए टीवी डांस शो में देखना पसंद नहीं कर रहे थे.बहरहाल उन्होंने हार नहीं मानी। बाद में मोहेना को टीवी रियलिटी शो ये रिश्ता क्या कहलाता है में एक रोल दिया गया.कीर्ति का करैक्टर काफी लोकप्रिय हुआ और वो टीवी जगत में जाना माना नाम बन गयीं।

अगला नाम है कुमुद मिश्रा का. कुमुद मिश्रा ने विंध्य क्षेत्र से बॉलीवुड का लम्बा सफर तय किया है.उन्होंने रॉकस्टार जैसी फिल्मो में सकारात्मक किरदार से लेकर Jolly llb 2 में नकारात्मक किरदार भी बखूबी निभाए हैं.वो अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. एक्टिंग के क्षेत्र में सतना के शिवांकित सिंह परिहार आज एक बड़ा नाम हैं.वो रवीश की रिपोर्ट में मशहूर पत्रकार रवीश कुमार की मिमिक्री करने के लिए काफी फेमस हैं.उन्होंने बॉलीवुड फिल्मे जैसे दसवीं में एक्टिंग के अलावा TVF  के Aspirants जैसी वेब सीरीज से बड़ा नाम कमाया है.अगला नाम अरूणोदय सिंह का है.अरुणोदय सिंह मध्य प्रदेश के फॉर्मर चीफ मिनिस्टर अर्जुन सिंह के पोते हैं और इन्होने कई बॉलीवुड फिल्मो में काम किया है.हाल ही में आयी वेब सीरीज अपहरण से इन्हे काफी प्रसिद्धि मिली।

मनोज कुमार मिश्रा थिएटर आर्टिस्ट हैं.इन्हे 2020 में संगीत नाटक अकादमी की ओर से उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा अवार्ड भी मिल चुका है ।क्षेत्र में अन्य और युवाओं के नाम हैं जैसे विवेक त्रिपाठी ,ऋषि सिंह,विवेक मिश्रा।

विंध्य क्षेत्र Entrepreneurship के क्षेत्र में भी पीछे नहीं है. हम बात कर रहे हैं चाय सुट्टा बार के संस्थापक अनुभव दुबे की.UPSC की तैयारी करने दिल्ली गए एक लड़के का दिमाग ऐसा घूमा कि उसने फैसला लिया कि कुछ अलग करना है.वहीँ से चाय पर एक्सपेरिमेंट करने का सूझा और जन्म हुआ चाय सुट्टा बार का जिसकी फ्रैंचाइज़ी आज देश भर में है और करोड़ों के टर्नओवर के साथ इनका बिजनेस कई लोगों को रोजगार दे रहा है.

छोटे शहरों में बड़े सपने पलते हैं और इन सपनो को पंख देना हमारा काम है क्योंकि हर घर में कोई पूजा वस्त्राकर,अवनि चतुर्वेदी,प्रतिभा, ईश्वर,और कुलदीप  जरूर छुपे होंगे। जरुरत है तो सिर्फ उनके हुनर को पहचान कर उन्हें पंख देने की.उड़ने का काम वो स्वयं कर लेंगे।

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