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आपके बच्चे का भी पढाई में नहीं लगता मन? कहीं ये बीमारी तो नहीं!

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मुग़ल शासन के एक बड़े राजा रहे अकबर अनपढ़ थे इसी लिए उनके दरबार में नवरत्नों को खास जगह दी गई थी। बादशाहों में अरबी, उर्दू और फारसी सहित कई भाषाओं को जानकारी दी जाती थी पर मुग़ल बादशाह अकबर को पढाई में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी। इतिहासकार एंड्रे विंक के मुताबिक शहजादे अकबर को कई बार पढ़ाने-लिखाने की कोशिश की गई. पर लंबे कोशिशों के बावजूद भी अकबर को शिक्षित करने में लोग फेल हो गए. बचपन में अकबर का ये हाल देखकर पढ़ने के लिए हुमायूं ने उन्हें दूसरे देश तक भेज दिया पर उससे भी कुछ नहीं हुआ। सिर्फ अकबर ही नहीं लियोनार्डो दा विंची, थॉमस एडिसन, स्टीफन स्पीलबर्ग, एफ. स्कॉट फिट्ज़गेराल्ड जैसी महान हस्तियां भी बचपन में ऐसी ही थे जिनका पढाई में जीरो इंट्रेस्ट था।

मेरी ये बात सुन के अगर आप भी अपने बच्चे से इसे रिलेट कर पा रहे है तो हा ये जानकारी आपके लिए ही है – क्योंकि अक्सर ही ज़्यदातर लोगों के साथ ऐसा होता है की वो कितनी भी कोशिश कर ले पर उनके बच्चे का मन पढ़ने में लगता ही नहीं है। तो सतर्क हो जाइये क्योंकि ऐसा नहीं है की वो खुद से ऐसा कर रहा है। बच्चे को डिसलेक्सिया की दिक्कत भी हो सकती है।

डिसलेक्सिया ये कोई गंभीर बीमारी नहीं है। ये एक ताउम्र चलने वाली एक स्थिति होती है जिसमें बच्चे की पढ़ने, लिखने और बोलने की क्षमता प्रभावित हो जाती। डिस्लेक्सिया दिमाग के उन हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है, जो language पर काम करते हैं। ये कोई मानसिक समस्या नहीं है, इसलिए इसमें बच्चे का intelligence level एक स्वस्थ बच्चे के जैसा होता है। हालांकि, डिस्लेक्सिया के कुछ गंभीर मामलों में बच्चों को याददाश्त और शारीरिक हलचल को कण्ट्रोल करने जैसी कुछ दिक्कते हो सकते है। डिसलेक्सिया का प्रभाव इंसान में लाइफ के हर स्टेज में अलग अलग हो सकता है। पर जो इसके लक्षण है वो छोटे बच्चो में आसानी से दिखता है क्योंकि 3-4 साल से ही उनकी स्कूलिंग शुरू हो जाती है और उनके सीखने- याद करने का दौर चालू हो जाता है।

अब हम आपको बताते हैं इसके कुछ खास लक्षण :

डिस्लेक्सिक बच्चा बोलना बाकि बच्चों के Comparison में देर से शुरू करता है। उन्हें नयी शब्दावली समझने, letters को याद करने, दोहराने में काफी दिक्कत आती है। डिसलेक्सिक बच्चा किसी भी तरीके से पढ़ने से कतराता है और Specially क्लास में ऊँची आवाज़ में पढ़ने से बचता है।  डिस्लेक्सिक बच्चों को होमवर्क को पूरा करने में बहुत ज्यादा समय लगता है। और जब ऐसा बच्चा प्राइमरी स्कूल में इंटर करता है तो उन्हें number sequences को फोलो करना काफी tough लगता है। Specially रंगों के नाम weak, month डेट, टाइम ये सब याद करना बच्चे को कठिन लगता है। ऐसी बच्चों को तो शुरुआत में पेंसिल तक पकड़ने में कठिनाई आती है इसी के चलते उनकी hand writing गन्दी और स्पीड भी धीमी होती है।

डिसलेक्सिया का कारण :

इसकी वजह की- विशेषज्ञों का मानना है कि डिस्लेक्सिया की वजह बुद्धि की कमी नहीं हैं। वहीं कुछ अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि डिस्लेक्सिया एक genetic disorders है, जो माँ बाप से बच्चों में आता है। इसके अलावा पैदाइश के टाइम बच्चे का फिजिकली कमज़ोर होना। और प्रेगनेंसी के दौरान माँ का नशीली चीज़े लेना इसकी खास वजह बन सकता है। पर उन बच्चों को ये दिक्कत होने की खास वजह जेनेटिक्ली ही होती है। यानि की अगर किसी माता-पिता को डिस्लेक्सिया है, तो बच्चे को ये बीमारी होने की संभावना 30% से 50% होती है।

डिसलेक्सिया का इलाज :

किसी भी दिक्कत का कोई न कोई उपाय तो होता ही है। क्योंकि हर माँ बाप अपने बच्चे को Successful बनाने के लिए अच्छी education देते पर बावजूद इसके उनके बच्चे को डिसलेक्सिया की दिक्कत होतो इससे निपटने के लिए इसके शुरूआती चरणों में ही इसे पकड़ कर सही टाइम पर इसका निदान काफी ज़रूरी होता है जिससे बच्चे के लक्षणों को कुछ हद तक ठीक किया जा सके।

इसमें बच्चे को बाकि बच्चों की बजाए स्पेशल education दी जा सकती है। इसके लिए पढ़ाते समय स्पेशल technique का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिसमें बच्चे को pictures, रिकॉर्डिंग की मदद से चीजें सिखाई जाएँ। इस दौरान बच्चे को बिलकुल ही मेंटली सपोर्ट दें और उनके स्किल्स को appreciate करें। इसके अलावा अपनी lifestyle में कुछ सुधार करके और क्षमता के मुताबिक काम में बदलाव करके भी डिस्लेक्सिया से होने वाली दिक्कतों से निपटने में मदद मिल सकती है।

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