Bagheli Kahawat: शब्द सांची विंध्य के सब दर्शकन का राम-राम अउर प्रणाम ! अपना पंचेन केर इया माटी कार्यक्रम मा स्वागत है, जेमाही हम पंचे अपने रिमहाई लोकसंस्कृति के बारे मा बताइत हयन। इया समय चौमास लगा लाग हय, सामन के महीना चलत लाग हय, अउर समय खूब पानी बरसत है, जउने का देखि-देखि जिउ हरियर रहत हय। लेकिन इया समय खाए-पिए मा परहेजउ करय का पड़त हय, काहे कि तबीयत बहुत जल्दी खराब होत ही। एहिन से पहिले के जमाने के आपन पुरिखा, खाय-पियय के कुछु नियम बनाए रहें हें, के कउन महीना मा कउन चीज से परहेज करय का चाही। ता चली आज के इया वीडियो मा एहिन से जुड़ी एक ठे बघेली कहाबत के बात कीन जाय, जउने मा कउन महीना मा कउन चीज के परहेज करय चाही, एखर बात कीन गय ही। ता चली एक बेर पुनि के मनई चलत हय, बघेली के गुरतुलई से डूबि, रिमहाई लोकसंस्कृति के यात्रा मा।
बघेली उक्खान में छिपा है साल भर का डाइट प्लान | Bagheli Kahawat
