World Theatre Day 2024: रीवा: विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर कलाकारों के साथ विशेष आयोजन रंग उत्सव नाट्य समिति एवं रामम सांस्कृतिक समिति के कलाकारों द्वारा रीवा में किया गया। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं, यथा नाटक, कविता पाठ, संगीत और नृत्य विधा से जुड़े कार्यक्रम हुए । उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्वलन के दौरान वरिष्ठ रंगकर्मी श्री योगेश त्रिपाठी एवं अखण्ड प्रताप सिंह उपस्थित रहे।
Rewa News: स्वागत उद्बोधन के समय शुभम पाण्डेय ने विश्व रंग मंच दिवस के अवसर पर इस वर्ष का रंग मंच दिवस संदेश का वाचन किया। इस वर्ष का रंगमंच दिवस संदेश नार्वे के मशहूर लेखक एवं रंगकर्मी जॉन फॉस ने दिया जिसका हिंदी भावानुवाद श्री योगेश त्रिपाठी जी ने किया। रंग उत्सव नाट्य समिति के निदेशक अंकित मिश्रा ने कहा कि विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास अन्याय और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने तथा जन जागरूकता को बढ़ाने से जुड़ा है। रंगमंच एक विश्व स्तरीय पहल को लेकर आया जो समाज में समानता, न्याय, और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रोत्साहित करता है। रंगमंचीय कला के माध्यम से कलाकर विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है । रंगमंच हमे यह सिखाता है कि कैसे कला के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। इसी लिए पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि विश्व रंगमंच दिवस, कला एवं संस्कृति के माध्यम से जन सम्मान और जागरूकता बढ़ाने की एक पहल है ।
श्री योगेश त्रिपाठी जी ने कहा कि
- रंगमंच की दुनिया एक परिवार की तरह है। रंगमंच के विविध रंग हैं। रंगमंच मानव कल्पना, भावना और अभिनय का ऐसा मंच है, जो दर्शकों के जीवन से जुड़े कई पहलुओं से रूबरू करवाता है, यह एक ही प्रस्तुति में कई दफ़े हमे हंसाता है, और रुलाता भी है साथ ही यह सोचने हेतु मजबूर भी करता है। कलाकारों में प्रतिद्वंद्विता नही होनी चाहिए बल्कि एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना होनी चाहिए।
समिति के संरक्षक श्री विभू सूरी ने संदेश दिया कि अपनी कला को सतत रूप से निखारने हेतु हमे मेहनत करते रहना चाहिए। कला के माध्यम से समाज सुधार करना बेहद आवश्यक है, कला देश को सुखी और समृद्ध बनाने का भी माध्यम है। 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस यानी वर्ल्ड थियेटर डे मनाया जाता है. यह रंगमच के सभी कलाकारों के लिए सबसे विशेष दिन है. विश्व रंगमंच दिवस को मनाने की शुरूआत 1961 में हुई थी. वर्ल्ड थियेटर डे को आयोजित करने का मूल उद्देश्य जनमानस में रंगमंच के महत्व और सामाजिक प्रभावों के बारे में जागरूक करना है. यह दिन रंगमंच से जुड़े उन सभी कलाकारों साथियों को समर्पित है, जो अपने अभिनय और रचनात्मकता से किसी भी क्षेत्र के दर्शकों का मनोरंजन कर रहे होते हैं.
कब हुई शुरुआत
साल 1961 में इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट ने वर्ल्ड थियेटर डे की शुरुआत की थी. यूनेस्को का सहयोगी यह इंस्टीट्यूट, दुनियाभर में थियेटर को बढ़ावा देने में सहयोगी है । सन् 1962 में प्रसिद्ध नाटककार जीन कोक्ट्यू ने विश्व रंगमंच दिवस से जुड़ा पहला संदेश बनाया, उन्होंने रंगमंच के महत्व और इसके माध्यम से समाज को प्रभावित करने की क्षमता पर विशेष प्रकाश डाला । वर्तमान में दुनियाभर में अनेकों इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट के साथ ही स्थानीय समूह अलग-अलग तरीकों से इस विशेष दिन को सेलिब्रेट करते हैं । हर साल की तरह इस साल भी वर्ल्ड थियेटर डे पर थीम तैयार की गई है । यह थीम रंगमंच की विभिन्न भूमिकाओं पर प्रकाश डालने वाली है, जो संस्कृतियों को प्रदर्शित करने, लोगों को जोड़ने और युवाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।
इस अवसर पर रंग उत्सव नाट्य समिति एवं रामम सांस्कृतिक समिति के कलाकारों ने अपनी बात रखी जिनमे संध्या चौहान, विशेष मिश्र, अनस मसूरी, सिद्धार्थ प्रजापति, ग्लोरी जायसवाल, शिवेंद्र पटेल, गौरव सिंह, लकी कुशवाहा, खुशी मिश्रा, आरती कुशवाहा, स्मृति सिंह, अमृता सिंह, भूमि पाठक, साक्षी शुक्ला, अश्विनी जायसवाल, आदित्य ,दीपक पटेल, रितिक मिश्र, प्रभाकर विश्वकर्मा, रोहित तिवारी, रोहित सेन, साहिल मेहरा शामिल रहे।