हर साल 21 जून को विश्व संगीत दिवस – World Music Day मनाया जाता है। यह दिन न सिर्फ संगीत प्रेमियों के लिए खास होता है, बल्कि इस दिन का उद्देश्य है संगीत को जीवन के हर पहलू से जोड़ना, चाहे वह आनंद हो, ध्यान हो या चिकित्सा। संगीत सिर्फ स्वर और लय नहीं है, यह एक साधना है जो आत्मा को शुद्ध करती है, मन को शांत करती है और शरीर को ऊर्जावान बनाती है। आज विश्व संगीत दिवस के खास मौके पर आइए जानते हैं कि संगीत से हम अपने जीवन को कैसे संवार सकते हैं।
आत्मा की आवाज़ तो साधना का स्वरूप है संगीत
भारत की सांस्कृतिक विरासत में संगीत को “नाद ब्रह्म” कहा गया है। रागों की उत्पत्ति ऋषियों के ध्यान और साधना से हुई थी। यह कोई संयोग नहीं कि तानपुरा, सितार या बांसुरी की ध्वनि सुनते ही मन स्थिर होने लगता है। संगीत एक प्रकार की साधना है, जिसमें सुरों के माध्यम से आत्मा परमात्मा से जुड़ने लगती है। शास्त्रीय संगीत, भजन, सूफी गायन और कीर्तन, ये सब आध्यात्मिक ऊर्जाओं को जाग्रत करने वाले माध्यम हैं।
हमें संगीत से जुड़े रहना इसीलिए जरूरी है कि हम मन,कर्म,वचन से संगीतमय यानी सकारात्मक बनें।
मानसिक शांति और संगीत के लिए संगीत को कहें ‘थैंक यू’
आज की आपाधापी और तनाव से भरी दिनचर्या में मानसिक शांति एक सपना बन गई है। ऐसे में संगीतमय ध्यान यानी Music Meditation एक कारगर उपाय है जो शांति देने वाले इंस्ट्रूमेंटल म्यूज़िक, साउंड बाथ जैसी थैरेपी या फिर नेचर साउंड म्यूज़िक जैसे बारिश, समुद्र की लहरें, पंछियों की आवाज़ें आदि ये सभी मन को गहराई से शांति देते हैं। जब हम अपनी आंखें बंद कर संगीत में डूबते हैं, तो हमारी सांसें स्थिर हो जाती हैं, हार्टरेट सामान्य होता है और मन चिंतन से मुक्त होकर शांति की ओर बढ़ता है जिससे मन-मस्तिष्क और शरीर को सुकून मिलता है।
म्यूज़िकल थैरेपी – दवा से नहीं, राग से इलाज
आजकल म्यूज़िक थेरेपी Musical Therapy एक वैज्ञानिक और प्रभावशाली चिकित्सा पद्धति के रूप में उभर रही है। यह तनाव, अवसाद, अनिद्रा, और यहां तक कि डिमेंशिया जैसे रोगों में भी लाभदायक सिद्ध हो रही है। बच्चों में फोकस बढ़ाना हो,बुजुर्गों में याददाश्त सुधारने हो, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों में संतुलन लाने में भी संगीत एक वरदान बन चुका है।
दिलों को जोड़ने वाली कड़ी भी है संगीत
विश्व संगीत दिवस का मूल उद्देश्य है, संगीत का विस्तार करते हुए संरक्षित करना,इसे हर एक तक पहुंचाना। यह दिन हमें याद दिलाता है कि संगीत किसी एक देश या संस्कृति की धरोहर नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज की सांझी विरासत है। कहना ग़लत नहीं होगा कि संगीत भाषा की वो शैली है जिसका कोई पर्याय नहीं है।
विशेष :- विश्व संगीत दिवस सिर्फ एक जश्न नहीं, बल्कि एक अवसर है संगीत को साधना की तरह अपनाने का, मानसिक स्वास्थ्य के लिए इसे दिनचर्या में शामिल करने का और हर व्यक्ति को इस चमत्कारी कला के संपर्क में लाने का। तो आइए, आज के दिन कुछ पल संगीत के नाम करें… क्योंकि जब शब्द चुप हो जाते हैं, तब संगीत बोलता है चलिए संगीत सुनें।