दरअसल महिला के पहले पति का आरोप था कि उसकी पत्नी से तलाक का मामला चल रहा है. पत्नी ने बिना तलाक हुए ही दूसरी शादी कर ली. याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी, उसके दूसरे पति और सास-ससुर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उसका आरोप था कि उसकी पत्नी को उसके माता-पिता ने ही दूसरी शादी का बढ़ावा दिया था. इस मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई। मामले में महिला के माता-पिता को बरी कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई को एक महिला और उसके दूसरे पति को 6-6 महीने की जेल की सजा सुनाई है. महिला पर आरोप था कि उसने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना ही दूसरी शादी कर ली. आरोपी महिला के पहले पति ने अपने सास-ससुर और पत्नी के दूसरे पति के खिलाफ केस दर्ज कराया था. मामला सेशन कोर्ट से सीधा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. वक
यह मामला जस्टिस रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की बेंच पर पहुंचा। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला और उसके दूसरे पति को एक साथ जेल नहीं भेजा जाएगा। पहले महिला का दूसरा पति 6 माह जेल में रहेगा। उसकी सजा पूरी होने के दो हफ्ते के अंदर महिला को सरेंडर करना होगा। इस फैसले के पीछे का मुख्य कारण था महिला का 6 वर्षीय बेटा। बेंच ने कहा कि बच्चे की देखभाल अच्छे से हो सके इसके लिए दोनों को अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है.
दरअसल महिला के पहले पति का आरोप था कि उसकी पत्नी से तलाक का मामला चल रहा है. पत्नी ने बिना तलाक हुए ही दूसरी शादी कर ली. याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी, उसके दूसरे पति और सास-ससुर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उसका आरोप था कि उसकी पत्नी को उसके माता-पिता ने ही दूसरी शादी का बढ़ावा दिया था. इस मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई। मामले में महिला के माता-पिता को बरी कर दिया गया. लेकिन महिला और उसके दूसरे पति को आईपीसी की धारा 494 के तहत एक-एक वर्ष की सजा सुनाई थी. साथ ही 2 हजार रुपए का अर्थदंड दिया गया था.
ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला और उसके दूसरे पति ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने अदालत उठने तक कारावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई थी. मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट महिला के दूसरे पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट फैसले की सुनवाई करते हुए महिला और उसके दूसरे पति को छः-छः माह की सजा सुनाई। साथ ही 20 हजार रुपए के अर्थदंड को कम कर 2 हजार कर दिया।