Wipro Share Price : देश की शीर्ष आईटी कंपनियों में से एक विप्रो ने हर शेयर पर एक बोनस शेयर देने का ऐलान किया है। इसके लिए 3 दिसंबर को रिकॉर्ड डेट तय की गई है। चूंकि रिकॉर्ड डेट और एक्स-डेट आमतौर पर एक ही होती है, इसलिए बोनस शेयर पाने के लिए कंपनी के शेयर खरीदने का आज आखिरी दिन है। पिछले एक साल में विप्रो के शेयरों में करीब 40 फीसदी की तेजी आई है, जबकि छह महीने में इसमें 30 फीसदी का उछाल आया है। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में कंपनी का शेयर बीएसई पर 0.48 फीसदी की तेजी के साथ 291 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
विप्रो ने 2004 से अब तक 6 बोनस जारी किए हैं। Wipro Share Price
कंपनी ने अक्टूबर में अपनी फाइलिंग में कहा था कि पोस्टल बैलेट के जरिए शेयरधारकों को 1:1 के अनुपात में बोनस इक्विटी शेयर जारी करने की सिफारिश की जाती है। यानी 2 रुपये का एक बोनस इक्विटी शेयर और प्रत्येक पूरी तरह से चुकता इक्विटी शेयर पर एक बोनस जारी किया जाएगा। ट्रेंडलाइन पर उपलब्ध डेटा के अनुसार, विप्रो ने 2004 से अब तक 6 बोनस जारी किए हैं। 21 नवंबर को फाइलिंग में कंपनी ने कहा कि उसके बोर्ड ने 3 दिसंबर, 2024 को रिकॉर्ड तिथि के रूप में निर्धारित किया है। कंपनी ने इससे पहले मार्च 2019 में 1:3 अनुपात में बोनस जारी किया था।
कहां तक जा सकती है कीमत? Wipro Share Price
बोनस इश्यू का मतलब है कि कंपनी अपने पास रखे हर शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर जारी करेगी। हालांकि, आपके निवेश का कुल मूल्य वही रहता है क्योंकि स्टॉक की कीमत आमतौर पर प्रचलन में शेयरों की बढ़ी हुई संख्या के अनुपात में समायोजित की जाती है। इस बीच, नुवामा ने विप्रो के शेयरों को बाय रेटिंग दी है और कहा है कि इसका लक्ष्य मूल्य बढ़ाकर 291 रुपये कर दिया गया है।
कंपनियां बोनस शेयर क्यों जारी करती हैं?
1: शेयर की कीमत कम करने के लिए: जब किसी कंपनी को लगता है कि उसके शेयर की कीमत बढ़ गई है, तो वह बोनस शेयर जारी कर सकती है। बोनस जारी करने पर शेयरों की संख्या आनुपातिक रूप से कम हो जाती है, लेकिन बाजार में तैर रहे शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसा करने से छोटी पूंजी वाले निवेशक भी कंपनी के शेयरों में आसानी से निवेश कर सकते हैं।
2: शेयरधारकों को खुश करना: बोनस शेयर जारी करके कंपनी अपने शेयरधारकों को खुश कर सकती है और उनका भरोसा बढ़ा सकती है। कंपनी अपने रिजर्व का इस्तेमाल करती है और लिक्विडिटी बढ़ाती है। बोनस के बाद आमतौर पर शेयरों में उछाल आता है। यह स्प्लिट स्टॉक से अलग है। दरअसल, स्प्लिटिंग में शेयर का अंकित मूल्य भी घट जाता है, जबकि बोनस देने पर शेयर का अंकित मूल्य बरकरार रहता है।
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