Winter Forecast Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में ठंड ने समय से पहले दस्तक दे दी है, और मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार की सर्दी 110 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ सकती है (cold wave forecast MP)। हिमालय क्षेत्र में 86% हिस्से पर बर्फ की चादर बिछने और ला नीना प्रभाव (La Niña activation) के चलते देशभर में तीसरी सबसे तेज ठंड पड़ने की स्थिति बन रही है। मध्य प्रदेश सहित उत्तर और मध्य भारत में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है, जो सामान्य से कई डिग्री नीचे है।
मौसम विभाग के अनुसार, भोपाल में रविवार रात का न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 3.6 डिग्री कम है (Bhopal temperature drop)। अक्टूबर के पहले पखवाड़े में यह तापमान पिछले 26 वर्षों में तीसरी सबसे कम रीडिंग है। पूरे राज्य में रात्रि का पारा 15 डिग्री तक लुढ़क गया है, खासकर राजस्थान सीमा से सटे जिलों में। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी बर्फबारी (Himalayan snowfall impact in Madhya Pradesh) के कारण यह ठंड सामान्य से दो महीने पहले आ गई है, और दिसंबर तक ला नीना के सक्रिय होने से औसत तापमान 3-4 डिग्री और गिर सकता है।
प्रभावित क्षेत्रों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे शहर शामिल हैं, जहां ठंडी हवाओं ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है (Madhya Pradesh cold spell)। राज्य के पूर्वी जिलों—सिंगरौली, सिद्धी, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, जबलपुर, छिंदवाड़ा और पंधुरना से मानसून की विदाई हो चुकी है, लेकिन 15-16 अक्टूबर को दक्षिणी हिस्सों में बारिश का अलर्ट जारी है। डॉ. मेहता जैसे ग्लेशियोलॉजिस्ट ने कहा, “हिमालय पर कम तापमान के कारण बर्फ पिघल नहीं रही, जिससे ग्लेशियर पांच साल तक रिचार्ज हो जाएंगे।” यह स्थिति नदियों के जल स्तर को बनाए रखने में मददगार साबित होगी
वैज्ञानिक आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय उपमहाद्वीप का औसत सतही तापमान पिछले 122 वर्षों में 0.99 डिग्री बढ़ा है, लेकिन 2025 के अंत तक ला नीना से यह वृद्धि अस्थायी रूप से उलट जाएगी। मध्य प्रदेश में मानसून इस साल 3 महीने 28 दिन चला, जो जून 16 से शुरू होकर अक्टूबर की शुरुआत में समाप्त हुआ। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह असामान्य ठंड स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकती है, इसलिए बुजुर्गों और बच्चों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
यह मौसनी बदलाव जलवायु परिवर्तन (climate change effects India) का संकेत भी माना जा रहा है, जहां गर्मी के बाद अचानक ठंड ने किसानों को फसलों के लिए चिंतित कर दिया है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और गिरावट की भविष्यवाणी की है, जिससे राज्य में कंबल और हीटर की मांग बढ़ गई है।