जाति जनगणना के बाद क्या सार्वजनिक होगी रोहिणी आयोग की रिपोर्ट

Rohini Commission Report News In Hindi: पिछले दिनों ही केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आगामी 2026 की जनगणना में जातियों की भी गणना करवाने का फैसला लिया है। इस घोषणा के बाद ही जाति जनगणना करवाने के बावत कई राजनैतिक दलों में क्रेडिट लेने की होड़ मच गई है। ऐसे में यह सवाल उठता है क्या मोदी सरकार आगामी दिनों में रोहिणी आयोग की को भी सार्वजनिक कर सकती है। जिसमें ओबीसी के उपवर्गीकरण की बात की गई थी। बिहार में बीजेपी के कई सहयोगी इसकी मांग कर रहे हैं।

क्या सार्वजनिक होगी रोहिणी आयोग की रिपोर्ट

पिछले ही दिनों मोदी सरकार ने जाति जनगणना करवाने का फैसला किया था। जिसकी सभी विपक्षी दलों ने स्वागत किया था, इसके साथ ही बहुत सारे राजनैतिक दलों में इसका श्रेय लेने की होड़ भी मैच गई है। ऐसे में सवाल उठता है क्या जाति जनगणना के फैसले के बाद केंद्र सरकार रोहिणी आयोग की रिपोर्ट्स को भी सार्वजनिक करेगी। जिसमें कोटे के अंदर कोटा अर्थात ओबीसी के वर्गीकरण की बात की गई थी।

क्या है रोहिणी आयोग

2017 में केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यालय के पूर्व चीफ जस्टिस जज जी. रोहिणी के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग के गठन का मुख्य उद्देश्य भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग (obc) के बीच आरक्षण लाभों को न्यायसंगत वितरण को सुनिश्चित करना था। इस आयोग को ओबीसी के उपवर्गीकरण पर सुझाव देने का काम दिया गया था। 2023 में इस आयोग ने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी, लेकिन उसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

बिहार में बीजेपी के कुछ सहयोगी कर रहे मांग

बिहार में भाजपा के प्रमुख सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि सरकार द्वारा जातिगत जनगणना करवाए जाने के बाद विपक्षी दलों में इसका श्रेय लेने की होड़ मैच गई है। सरकार को अब ओबीसी और एससी के बीच उपवर्गीकरण पर विचार करना चाहिए। बिहार में अतिपिछड़ा और महादलित हैं। उनके लिए राज्य में 1977 से ही आरक्षण लागू है। सरकार को इसे अब केंद्र में भी लागू करना चाहिए। इसके लिए रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। ऐसी ही मांग बीजेपी के एक और सहयोगी निषाद पार्टी के संजय निषाद ने भी की है।

उत्तरप्रदेश में भी बनाई गई थी समिति

उत्तरप्रदेश में भी अपने पहले कार्यकाल के दौरान बीजेपी सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में आरक्षण के उपवर्गीकरण के लिए एक समिति बनाई थी, जिसने 2018 में अपनी रिपोर्ट जारी की थी। इस समिति ने ओबीसी तथा दलितों की तीन श्रेणियाँ सुझाईं। पिछड़े वर्ग के लिए- पिछड़ा, अतिपिछड़ा और अत्यधिक पिछड़ा और दलितों के लिए- दलित, अतिदलित और महादलित।

बीजेपी की राजनीति के अनुकूल है उपवर्गीकरण

राजनीति के जानकार मानते हैं उपवर्गीकरण बीजेपी के राजनीति के अनुकूल है। क्योंकि ओबीसी और एससी के प्रमुख और वर्चस्वशाली जातियों के पास अपने राजनैतिक संगठन हैं। बीजेपी ने इससे पहले कर्नाटक और हरियाणा राज्य में अपनी सरकारों के दौरान कोटा के भीतर कोटा सिस्टम लागू किया था।

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