Bihar Earthquake: 15 जनवरी 1934 के विनाशकारी भूकंप की यादें आज भी बिहार में भौगोलिक रूप से मौजूद हैं। उस भूकंप का समाज पर ऐसा असर हुआ है कि 90 साल बाद भी लोग भूकंप की खबर से सहम जाते हैं। बिहार भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में आता है। 15 जनवरी की दोपहर आए भूकंप में पूरा बिहार इस कदर तबाह हो गया था कि उसका दर्द आज भी कई शहरों में महसूस किया जा सकता है। उस भूकंप ने मधुबनी जिले के राजनगर को खंडहरों के शहर में तब्दील कर दिया और कोसी इलाके में रेल संपर्क को इस तरह से खत्म कर दिया कि आज तक दरभंगा और सहरसा के बीच ट्रेनें ठीक से नहीं चल पाई हैं।
बिहार ने कई बार देखा है भयावह भूकंप का मंजर। Bihar Earthquake
हालांकि, बिहार ने कई बार भयावह भूकंप का मंजर देखा है। 4 जून 1764 को आया भूकंप तीव्रता के लिहाज से रिक्टर पैमाने पर 6 था, जबकि 23 अगस्त 1833 को आया भूकंप 7.5 था। बिहार में आखिरी बड़ा भूकंप 21 अगस्त 1988 को आया था, इसकी तीव्रता भी 6.6 थी। बिहार और भारत की बात तो छोड़िए, विश्व इतिहास में इतनी तीव्रता के भूकंप शायद ही कभी दर्ज किए गए हों।
बिहार में सबसे भयावह भूकंप 1934 का था। Bihar Earthquake
15 जनवरी 1934 को आए विनाशकारी भूकंप से जुड़ी कई बातें आज भी यहां के लोग याद कर सहम जाते हैं। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 8.4 मापी गई थी। हालांकि अब गांवों और शहरों में उस उम्र के बहुत कम लोग बचे हैं, लेकिन कहानियों और दस्तावेजों से इसकी भयावहता साफ महसूस होती है।
आठ जिले जोन पांच में, तबाही की आशंका
बिहार में भूकंप ने कई बार तबाही मचाई है और वैज्ञानिक भी आशंका जता चुके हैं कि यहां कभी भी बड़े पैमाने पर भूकंप आ सकता है। बिहार का हर जिला भूकंप की चपेट में है। 38 में से आठ जिले जोन पांच में हैं, जिसे सबसे खतरनाक माना जाता है। 22 जिले जोन चार में हैं, जहां ऊंची इमारतों के निर्माण पर रोक है। सिर्फ आठ जिले ऐसे हैं जो जोन तीन में आते हैं। इसलिए आज इस भू-भाग को बेहतर और प्रभावी आपदा प्रबंधन की जरूरत है। बिहार सरकार लगातार भूकंप को नजरअंदाज कर ऊंची-ऊंची इमारतें बनाने की अनुमति दे रही है, जिससे बड़ी तबाही हो सकती है।
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