धार्मिक महत्वं। सनातन धर्म में सभी संस्कारों की तरह ही अंतिम संस्कार का विधान है। इसमें सफेद वस्त्र पहनने की परंपरा बहुत पुरानी है। अंतिम संस्कार में अक्सर लोग सफेद कपड़ों पर नजर आ जाते है। सफेद कपड़ों को पहनने की धार्मिक मान्यताएं एवं आध्यात्मिक कारण बताए जाते है।
यह रंग शांति का प्रतीक
हिंदू और जैन धर्म में, इसे धार्मिक और नैतिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, जैसा कि धार्मिक अनुष्ठानों में इसके उपयोग से स्पष्ट होता है। यह रंग शांति का भी प्रतीक है और मानसिक शांति प्रदान करता है। सफेद कपड़े पहनने से मन शांत रहता है और नकारात्मकता दूर होती है। माना जाता है कि सफेद रंग शांति, पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। इसे पहनने का उद्देश्य मन को शांत रखना और दुख की घड़ी में परिवार को मानसिक संबल देना होता है। यह किसी भी नकारात्मकता को दूर करने वाला, मन को स्थिर करने वाला और सादगी को दर्शाने वाला माना जाता है।
मानसिक शांति प्रदान करता
अंतिम संस्कार में चमकीले या रंग-बिरंगे कपड़े पहनना अनुचित माना जाता है, क्योंकि यह समय सादगी और संयम का होता है। सफेद कपड़े भावनाओं को नियंत्रित रखने और मन को स्थिर करने का संदेश देते हैं। समय के साथ यह परंपरा समाज में शोक व्यक्त करने का तरीका बन गई है। किसी घर में मृत्यु होने पर सफेद कपड़े पहनकर पहुंचना उस परिवार के प्रति संवेदना और सम्मान का प्रतीक है।
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