नागालैंड:नागालैंड में 19 अप्रैल को हुए प्रथम चरण के चुनावों में राज्य के पूर्वी 6 जिलों में वोटिंग परसेंटेज शून्य था.इन जिलों को मिलाकर जनसँख्या 4 लाख 632 है और कुल 738 मतदान केंद्र बनाए गए थे.सबसे बड़ी और हैरत में डालने वाली बात ये है कि इन जिलों के 20 विधायक तक वोट डालने नहीं पहुंचे।और ये सब महज एक संगठन की धमकी के कारण हुआ है.इस संगठन का नाम है ENPO यानि EASTRERN NAGALAND PEOPLE’S ORGANISATION. मतदान शुरू होने से पहले नागालैंड में ईएनपीओ ने गुरुवार शाम 6 बजे से राज्य के पूर्वी हिस्से में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद लगा दिया था और लोगों से कहा था कि अगर वो मतदान के लिए जाते हैं और कोई कानून व्यवस्था की स्थिति बनती है तो इसके लिए वो खुद जिम्मेदार होंगे।मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है ताकि इस क्षेत्र को राज्य के बाकी हिस्सों के बराबर पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके.बीस विधायक जिन्होंने वोट नहीं दिए उनपर कार्यवाई करने की बात पर उन्होंने कहा हम टकराव नहीं चाहते,देखते हैं क्या होगा। वहीं नगालैंड के सीईओ वायसन आर ने इसे चुनाव के दौरान अनुचित प्रभाव डालने के प्रयास के रूप में देखते हुए ईएनपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
ENPO क्या है? ENPO छह राज्यों में काम करने वाली एक सिविल सोसाइटी है.अब सिविल सोसाइटी क्या है?सिविल सोसाइटी को एक गैर सरकारी संगठन के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अपने समाज के लोगों के अधिकारों की रक्षा करती है और उनके मुद्दों को आगे लेकर आती है.ENPO की स्थापना साल 1972 में इन छह राज्यों में रह रहे नागा ट्राइब के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने के उद्देश्य से की गयी थी.इन छह जिलों के नाम हैं मोन, तुएनसांग, किफिरे, लोंगलेंग, नोक्लाक और शामतोर।इन जिलों में जो ट्राइब रहती है उन्हें ईस्टर्न नगा कहते हैं.इनकी संस्कृति, वेश भूषा,और पूरा कल्चर एकदम अलग है और इसीलिए इसके संरक्षण और अपने राजनीतिक उत्थान के लिए इस संगठन की मांग है कि इन्हे नागालैंड से अलग एक ऑटोनोमस राज्य दिया जाये।इसी वजह से दो महीने से क्षेत्र में स्कूल और सरकारी कामकाज भी बंद हैं.ये संगठन पूर्वी नगा जाति की परम्पराओं और संस्कृति के संरक्षण के लिए नियमित कार्यशालाओं आदि का भी आयोजन कराता रहता है.
इस पूरे मामले की जमीनी हकीकत जानने के लिए हमने बात की गुवाहाटी के अख़बार दैनिक पूर्वोदय के संपादक रविशंकर रवि जी से .उन्होंने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पूर्वी नागालैंड की जमीनी हकीकत ही कुछ ऐसी है कि यहाँ के लोगों का एक ऑटोनोमस स्टेट की मांग करना जायज़ है.
पूर्वी नागालैंड में ‘Rampant Corruption’ -रविशंकर रवि
क्षेत्र में भ्रष्टाचार बहुत अधिक है.इसके साथ ही यहाँ का सारा विकास कार्य महज कागज़ों तक सीमित है. सड़क,स्वास्थ्य,शिक्षा और हर तरह की बुनियादी सुविधाएं महज कागजों में पूरी होती दिखा दी जाती हैं. ऐसे में राज्य से बाहर रह रहे युवा जब अपने घर आते हैं और इन हालातों को देखते हैं तो उनमे ये भाव आता है कि पूरी दुनिया आगे बढ़ रही है लेकिन हमारा क्षेत्र अभी भी पिछड़ा हुआ है और यही बात उनमे विरोध का भाव पैदा करती है.मुद्दे को अलगाववाद से जोड़कर देखने पर भी रविशंकर जी के विचार बेहद संतुलित और हकीकत से लबरेज़ हैं क्योंकि अक्सर इस तरह के मामलों को अलगाववाद से जोड़कर देखा जाने लगता है.ऐसे में लोगों तक इसकी सही और सटीक समझ होना बेहद जरुरी है कि अलगाववाद और अधिकारों के लिए मांग करना दोनों अलग हैं.
मुद्दे पर विस्तारपूर्ण जानकारी के लिए ये वीडियो देखिए।