19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग हुई. पहले चरण की वोटिंग को लेकर दिन भर जगह-जगह से तसवीरें सामने आती रहीं। शाम 7 बजे तक औसत 60.03% मतदान दर्ज किया गया. जो कि पिछले साल की तुलना में कम है.
वोटर्स मतदान केंद तक क्यों नहीं पहुंचे?
सबसे ज्यादा वोटिंग त्रिपुरा में 80.17 फीसदी हुई. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 77.57,मेघालय में 74.21 प्रतिशत। वहीं सबसे कम वोटिंग बिहार में हुई महज 47.49%, यूपी में ये आंकड़ा 57.61% था. उत्तराखंड में 53.64% और राजस्थान में 50.95%. ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि वोटर्स मतदान केंद्र तक क्यों नहीं पहुंचे? और इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है?
चुनाव के समय पर सवाल
इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई का कहना है कि
“देशभर में कम वोटिंग हुई है ये कहना गलत होगा। कुछ जगहों पर ठीक वोटिंग हुई है. मैं कहूंगा मिक्स वोटिंग हुई है. इतने अलग-अलग राज्य है. और एक के फेज में ट्रेंड पकड़ना सही नहीं होगा। उत्तर भारत में वैसी वोटिंग नहीं हुई है. हमे सोचना चाहिए कि क्या चुनाव कराने के लिए ये ठीक समय था. गर्मी पिक पर हैं ऐसे समय में चुनाव कराएंगे तो वोटर टर्नआउट लो हो सकता है. यही चुनाव नवंबर में करते तो शायद 5-10% ज्यादा वोटिंग होती।”
पिक गर्मियों में राजस्थान जैसे राज्यों में वोटिंग हो रही है, तो उसका कुछ न कुछ असर होगा ही. राजस्थान में 4 महीने पहले ही विधानसभा चुनाव हुए हैं. विधानसभा चुनाव में ज्यादा उत्साह देखने को मिलता है. उम्मीदवार लोकल लेवल पर जोर लगाता है. लोकसभा चुनाव में डायराज्यदा होता है और प्रत्याशी के लिए मतदाताओं की संख्या भी. ऐसे में सबसे कनेक्ट कर पाना मुश्किल होता है.
हालांकि, राजदीप कहते हैं कि इस बार वोटरों में उत्साह कम है. इस पर विश्लेषण किया जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि भले ही अभी मतदाताओं में उत्साह कम हो लेकिन ये पहला फेज है. असली लड़ाई अभी कई राज्यों में होना बांकी है. अभी ये कहना कि किसका पलड़ा भरी होगा और कौन कमतर है,सही नहीं होगा।