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दशहरा पर्व पर आखिर क्यों की जाती है अस्त्र-शस्त्र पूजा, जाने इसका महत्वं

विशेष। दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजन का विधान है और यह शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। जब राजा महाराजा अपने शस्त्र की पूजा आराधना करते थे तो वही अब सेना एवं पुलिस विभाग में भी इस दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। इसके पीछे का तर्क है कि शस्त्र पूजा करने से व्यक्ति के साहस और शक्ति में वृद्धि होती है, तो कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।

शस्त्र पूजा के कई तरह की है कथाएं

विजयदशमी के दिन शस्त्र की पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। शास्त्र के ज्ञाता बताते है कि प्रभु श्री राम ने माता सीता को रावण की कैद से मुक्ति दिलाने के लिए युद्ध कर रावण का वध किया तब श्री राम ने उस युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र की पूजा किए थें। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है, कि महिषासुर नामक पराक्रमी राक्षस था। उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। जिससे परेशान देवताओं ने शक्ति का आवाहन किए तो देवी मां प्रकट हुई। देवताओं ने महिषासुर का अंत करने के लिए देवी को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किये, जिससे देवी ने महिषासुर का वध करके स्वर्ग को सुरक्षित किया था। नवरात्रि के समापन पर विजयदशमी के दिन शस्त्र की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन अपने शस्त्र आदि की पूजा करने से देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ऐसे करे पूजन

दशहरे पर होने वाली आयुध पूजा को वीरता, सुरक्षा और शक्ति का पूजन माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान की साफ-सफाई करें। आश्विन शुक्ल दशमी को पहले अपराजिता का पूजन किया जाता है। इसके बाद सभी शस्त्रों, औजारों, वाहनों और उपकरण कि जैसे तलवार, बंदूक, धनुष-बाण, वाहन, मशीनरी आदि को साफ करें और इन्हें साफ वस्त्र बिछाकर उस पर व्यवस्थित तरीके से रखें। इन पर गंगाजल छिड़कें और हल्दी, चंदन और अक्षत से तिलक करें और फूल अर्पित करें। शस्त्रों पर मौली बांधें। इस दौरान शस्त्र देवता पूजन रक्षा कर्ता पूजनश् मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद माता का ध्यान करते हुए दीपक जलाकर धूप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद आरती करें। अब दोनों हाथों से मां काली का ध्यान करके अपने परिवार की रक्षा और कार्यक्षेत्र में तरक्की की प्रार्थना करें।

शस्त्र पूजा का महत्व

आदिकाल से ही शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है। पुराने समय में राजा इसी दिन सीमोल्लंघन किया करते थे। ऐसा कहा जाता है कि शस्त्र पूजा करने से व्यक्ति के साहस और शक्ति में वृद्धि होती है। कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि मिलती है। वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार वाहनों आदि को माता काली का स्वरूप माना जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि अपने वाहनों की पूजा करने से दुर्घटना होने का डर नहीं रहता है।

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