Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर इंडिया गठबंधन में एकजुटता होती दिख रही है. INDIA गठबंधन में यूपी से लेकर दिल्ली तक सीट शेयरिंग हो गई है, लेकिन पंजाब में अभी भी पेंच नहीं सुलझ सका है. इंडिया गठबंधन में अभी भी कनफ्यूजन है, कहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस के साथ है तो वहीं पंजाब में प्रतिदंद्वी हैं। वहीं लेफ्ट केरल में अकेले लड़ने के मूड में है, तो बंगाल में इंडिया गठबंधन के साथ है.
Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और विपक्षी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग की गाड़ी भी फुल स्पीड से दौड़ रही है. यूपी, हरियाणा, गुजरात और गोवा के साथ ही केंद्र शाषित प्रदेश दिल्ली और चंडीगढ़ में इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और अन्य घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग का एलान हो चूका है. लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां इंडिया गठबंधन के दो घटक दल आमने सामने होंगे। कुछ राज्यों में अभी भी कनफ्यूजन की स्तिथि भी है.
कांग्रेस और दिल्ली-पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के बीच पांच राज्यों में गठबंधन का एलान हो गया है. केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और चंडीगढ़ के साथ ही हरयाणा, गोवा और गुजरात में ये दोनों दल गठबंधन का चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पंजाब में दोनों ही दल एक दूसरे को चुनौती देते नजर आएंगे। कुछ ऐसी ही स्तिथि लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन की भी नजर आ रही है.कांग्रेस और लेफ्ट बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक मिलकर चुनाव लड़ेंगे जबकि केरल में जहां लेफ्ट की सरकार है. वहां दोनों ही दलों के नेता और उम्मीदवार एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए जोर लगते नजर आएंगे।
TMC के साथ भी कुछ ऐसी ही तस्वीर नजर आ रही है. टीएमसी और कांग्रेस के बीच बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर बात बेपटरी होती दिख रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा है कि हम अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। टीएमसी एक तरफ पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ मेघालय समेत नार्थ ईस्ट के राज्यों और उत्तर प्रदेश में अपने लिए सीट भी चाह रही थी. चर्चा इस बात की भी है कि यूपी में टीएमसी अपने प्रवक्ता ललितेश पति त्रिपाठी के लिए एक सीट चाह रही है.
साथ और खिलाफ की सियासत से कनफ्यूजन
कहीं साथ और कहीं खिलाफ से न सिर्फ जनता, बल्कि राजनितिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए भी कनफ्यूजन की स्तिथि बनाने का खतरा है. नेता और कार्यकर्ता के लिए दूसरे राज्यों में विरोध या गठबंधन की स्तिथि जनता को समझा पाना चुनौतीपूर्ण होगा साथ ही जहां खिलाफ लड़ रहे, वहां एक दूसरे पर हमला करते समय भी लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना होगा।
खतरा इस बात का भी होगा की कहीं इंडिया गठबंधन के घटक दलों के नेता विरोधियों को अपने ही खिलाफ हमले का हथियार न दे बैठें। दूसरी तरफ, एनडीए इस गठबंधन को शुरुआत से ही अवसरवादी बताता रहा है और अब उसकी रणनीति कहीं साथ, कहीं खिलाफ के आधार पर विपक्ष को घेरने की भी होगी।
पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल तक गठबंधन का पेच क्या?
स्तिथि ये बन रही है कि आखिर कहीं दोस्ती तो कहीं विरोध के सुर क्यों बन रहे हैं? राजनितिक पंडितों की माने तो राज्य में दूसरे और तीसरे या पहले या तीसरे का गठबंधन हो सकता है लेकिन पहले और दूसरे नंबर की पार्टी में गठबंधन नहीं हो सकता। पंजाब से केरल तक सबसे बड़ा पेंच यही है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में है तो कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी है. पंजाब में ये दोनों पार्टियां पहले और दूसरे नंबर पर हैं. केरल में लेफ्ट और कांग्रेस प्रमुख प्रतिद्वंदी हैं. सरकार और विपक्षी कैसे साथ आएंगे?
अब मसला यही है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस को हटाकर ही सत्ता में आईं है. कांग्रेस की लोकल लीडरशिप ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है तो वहीं आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस को लेकर आक्रामक है. मान सरकार की कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कांग्रेसी नाराज हैं और शुरू से ही इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी की एंट्री का विरोध करते आए हैं. सूबे में दोनों दलों का साथ चुनाव लड़ना स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए भी असहज करने वाला होगा.
नए गठबंधन में पुराना फॉर्मूला
लेफ्ट और कांग्रेस के गठबंधन की बात करें तो दोनों दल केरल छोड़कर दूसरे राज्यों में पहले से भी गठबंधन में हैं जहां ये नंबर दो की पोजीशन से निचे हैं. पश्चिम बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस का गठबंधन पुराना है. यहां टीएमसी सत्ता में है और पिछले चुनाव में बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी लेकिन उससे पहले कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन ही मुख्य विपक्ष था. बिहार में भी नंबर वन और नंबर दो की लड़ाई आरजेडी-बीजेपी में है और इस राज्य में भी कांग्रेस-लेफ्ट, आरजेडी के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा हैं.