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कांवड़ यात्रा के कारण दुकानों पर मालिक के नाम के आदेश पर क्यों है विरोध?

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कावंड यात्रा कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी उससे पहले उत्तर प्रदेश प्रशासन ने यात्रा के मार्ग में आने वाली खान-पान की सभी दुकानों, ठेलो को ये निर्देश दिया है कि सब दुकानों या ठेलों पर अपने-अपने नाम साफ़ और बड़े अक्षरों में लिखेंगे। इस बात को लेकर विपक्ष के नेताओ ने इस निर्देश का विरोध करना शुरू कर दिया है।

क्या है मामला?

दरअसल उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है और इसे पहले प्रशासन ने सभी दुकानों, ढाबों और ठेलो जो कांवड़ यात्रा के मार्ग में पड़ेंगी उन पर उनके मालिक और कर्मचारी का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया। इस बात का विपक्ष के नेताओं ने खुल कर विरोध किया है। उनका मानना है कि ये इस लिए किया जा रहा है क्योंकि कांवड़ यात्रा करने वाले साधू कहीं किसी मुस्लिम या दलित के दुकान का खाना या फल नहिं खा लें।

कोंग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अपने वीडियो में कहा कि ;

”कावड़ यात्रा के शुरू होने से पहले जो येन निर्देश दिए गए हैं कि सभी को अपने ठेले या दुकानों पर अपना नाम लिखना होगा ये बिलकुल गलत है। ये लोग मुस्लिम और किसी जाती विशेष के व्यवसाय का बहिष्कार करना चाहते है। यदि किसी को भी कुछ खाना होगा तो पहले से होटलो और ढाबो में लिखा हुआ होता है ‘शुद्ध शाकाहारी भोजन’। भारत में बड़े मीट एक्सपोर्टर हिन्दू हैं, तो क्या हिन्दुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल-चावल बन जाता होगा, वैसे ही किसी दूसरे समाज के व्यक्ति द्वारा बेचे गए आम, अमरुद गोस्त तो नहीं बन जायेंगे। ”

बसपा प्रमुख मायावती ने क्या कहा?

मायावती ने इस निर्देश की निंदा करते हुए कहा की किसी दुकान, फल ठेले पर मालिक का पूरा नाम लिखवाना गलत परंपरा है। यूपी सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए, इससे शांत माहौल भी ख़राब होगा।

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

ओवैसी ने इस बात का कड़ा विरोध करते हुए कहा की ”ये भारत के अनुछेद 17 का उल्लंघन है, यह आजीविका के अधिकार का उल्लंघन है और इससे छुआछूत को बढ़ावा मिलेगा। ऐसा लगता है की मुस्लमान को अछूत बनाया जा रहा है जो बिलकुल गलत है। जब से ये निर्देश लागू हुआ है, तब हाइवे पर बने सभी मुस्लिम कर्मचारियों को निकाल दिया गया है, क्या ये दूसरों की आजीविका को छीनना चाहते हैं? ये दूसरों की आजीविका को बर्बाद करना कर रहें हैं।”

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