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Economic Survey 2025: हर साल क्यों गिर रही रुपए की क़ीमत? आर्थिक सर्वेक्षण में जानें कारण

Economic Survey 2025 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि पिछले साल भू-राजनीतिक तनावों के बीच मजबूत अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता के कारण रुपये में गिरावट आई थी। भारतीय मुद्रा के कमजोर होने के पीछे यही मुख्य कारण था। बता दें, रुपये के कमजोर होने से भारत का आयात बिल बढ़ा है। विदेशों से सामान आयात करना महंगा हो गया है। आने वाले समय में रुपये को थामे रखना भी चुनौती हो सकता है।

आज क्या है रुपये की स्थिति? Economic Survey 2025

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 जारी होने से पहले शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया सीमित दायरे में कारोबार करता हुआ तीन पैसे गिरकर 86.65 प्रति डॉलर पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 86.63 पर खुला और फिर 86.65 तक फिसल गया, जो पिछले बंद से तीन पैसे की गिरावट दर्शाता है। रुपया गुरुवार को सात पैसे गिरकर 86.62 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था आम तौर पर माना जाता है कि गिरती मुद्रा कमजोर अर्थव्यवस्था का संकेत है।

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क्या फिर आयेगा रुपए में गिरावट? Economic Survey 2025

पिछले साल, एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्रंप 2.0 के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 8-10 प्रतिशत तक गिर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड जे. ट्रंप की ऐतिहासिक वापसी ने बाजारों और चुनिंदा परिसंपत्ति वर्गों को नई मजबूती दी है, जबकि अब ध्यान व्यापक आर्थिक प्रभावों और आपूर्ति श्रृंखला पुनर्गठन पर केंद्रित हो गया है। 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 की घोषणा और अमेरिकी व्यापार शुल्क से संबंधित घटनाओं और डॉलर पर उनके प्रभाव से रुपये पर असर पड़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने स्थानीय मुद्रा को मजबूत करने के लिए संभवतः हस्तक्षेप किया है।

क्या मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ेगा?

इसी तरह, जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण ने अधिक रोजगार सृजन का सुझाव दिया है, वित्त मंत्री मनरेगा के लिए बजट आवंटन बढ़ा सकते हैं। निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से करीब 14% कम था। इसी तरह वित्त मंत्री अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ा सकती हैं और ग्रीन एनर्जी, हाइड्रोजन, सोलर पावर और ईवी के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए कई रियायतें ला सकती हैं। वे सोलर पैनल के लिए रियायतों की घोषणा कर सकती हैं और चीन से ऐसे पैनलों के आयात पर नए प्रतिबंध भी लगा सकती हैं। आर्थिक सर्वेक्षण का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट है कि सरकार चुनिंदा क्षेत्रों के लिए नई पीएलआई योजनाओं की घोषणा कर सकती है।

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