One Nation One Election Lok Sabha: भाजपा सरकार का महत्वपूर्ण विधेयक एक देश एक चुनाव संसद में पास हो चुका है। केंद्र की मोदी सरकार को वन नेशन वन इलेक्शन बिल को दोनों सदनों में पारित कराना होगा, जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ेगी। अभी तक इस बिल पर विपक्षी दलों की सहमति नहीं मिल पाई है। फिलहाल इस बिल पर विस्तृत चर्चा के लिए इसे जीपीसी के पास भेज दिया गया है। लेकिन विपक्ष देश में एक साथ चुनाव कराने वाले इस बिल पर कभी अपनी स्वीकृति नहीं देगा। इसके पीछे विपक्ष का डर शामिल है।
संसद में ‘एक देश एक चुनाव’ की अग्निपरीक्षा | one nation one election lok sabha
मोदी सरकार के एक देश एक चुनाव बिल की अग्निपरीक्षा जारी है। मंगलवार को संसद में बिल को पेश किया गया था। विधेयक के लिए दो बार की वोटिंग कराई गई थी। दूसरी बार इलेक्टॉनिक वोटिंग हुई थी जिसमें कुल 462 वोटों में से 269 वोट विधेयक के पक्ष में पड़े थे जबकि 198 वोट विपक्ष में डाले गए थे। देश में लागू होने के लिए ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ बिल को दो-तिहाई बहुमत हासिल करना होगा। केंद्र सरकार के इस बिल को पास कराने के लिए अधिक वोटों की आवश्यकता पड़ेगी।
भाजपा के लिए आसान नहीं दो-तिहाई समर्थन पाना | one nation one election bill passed or no
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए विपक्षी खेमे से वोट चुराना इतना आसान नहीं होगा। लेकिन बिल के समर्थन में अधिक वोटों की संख्या को जुटाने के लिए विपक्षी तालमेल को बिगाड़ना भी भाजपा के लिए काफी मुश्किल हो सकता है। फिलहाल मोदी सरकार अथक प्रयास कर रही है कि जल्द ही एक देश एक चुनाव विधेयक पास हो जाए। इसके लिए जेपीसी के पास बिल को चर्चा के लिए भेज दिया गया है।
बिल के विरोध में क्यो हैं विपक्ष | one nation, one election bill
विपक्षी दल ‘एक देश एक चुनाव’ बिल का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार इस विधेयक को लागू कर देश में एक साथ चुनाव कराने की बात कहकर चुनाव रहित देश बनाना चाहती है। इस विधेयक को लेकर विपक्षियों का सबसे डर यही है कि भाजपा सरकार इस बिल के जरिए लोकतंत्र से चुनाव को ही गायब न कर दें। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “एक साथ चुनाव कराना चुनाव रहित राष्ट्र बनाने का प्रयास है। भाजपा को चुनावी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कोई भरोसा नहीं है।”
केसी वेणुगोपाल ने कहा, “यह स्पष्ट है कि एक राष्ट्र एक चुनाव, चुनाव रहित देश को बदलने का एक प्रयास है। यह भाजपा का मुख्य एजेंडा है। उन्हें चुनावी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कोई विश्वास नहीं है। वे लोकतंत्र के मूल्यों को नष्ट करने के लिए इस तरह की अवधारणा ला रहे हैं। प्रत्येक राज्य, चाहे वह कर्नाटक हो, केरल हो, मणिपुर हो या जम्मू-कश्मीर हो, उसकी अपनी विशिष्टता है। हमें इस विविधता का जश्न मनाना होगा। विविधता में एकता इस देश की ताकत है। लेकिन भाजपा न तो लोकतंत्र में विश्वास करती है और न ही विविधता में। एक राष्ट्र एक चुनाव भारत में कभी लागू नहीं हो सकता। हालांकि, हम जानते हैं कि भाजपा इसे संसद में पारित करवा सकती है।”