Chaitra Ram Navami 2025 | क्यों मनाई जाती है रामनवमी? जाने श्रीराम के जन्म की कथा.

Ramnavami Jyotish Upay

Chaitra Ram Navami 2025 Hindi Mein: भगवान राम की कहानी भारत के जन-जन से जुड़ी हुई है, भारतीय संस्कृति में जितना राम रचे बसे हुए हैं, संभवतः और कोई नहीं। श्रीराम भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं और बिना आत्मा शरीर निर्जीव है। भगवान राम को भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से सातवां अवतार माना जाता है। उनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशिल्या के यहाँ चैत्र शुक्लपक्ष की नौवीं तिथि को हुआ था। जिसके कारण उस दिन रामनवमी मनाई जाती है।

भगवान विष्णु ने दिया देवताओं को अवतार लेने का वचन | Chaitra Ram Navami 2025

त्रेता युग में रावण नाम का एक बलशाली राक्षसों का राजा हुआ। वह अपने परिवार और कुटुम्बों के साथ समुद्र के बीच स्थित लंका द्वीप में सोने के महल में रहा करता था। वह महर्षि पुलतस्य के पुत्र विश्रवा और उसकी राक्षस कुल की पत्नी कैकेशी का पुत्र था। उसने घोर तपस्या कर ब्रम्हदेव से एक अजेय वर प्राप्त किया था। जिसके अनुसार उसे संसार में कोई नहीं मार सकता था। चूंकि मनुष्यों और वानरों वह तुच्छ समझता था, इसीलिए उसने उनको इस वर में शामिल नहीं किया था। बल के घमंड में आकर वह देवताओं को खूब त्रस्त करता था। उसके अत्याचारों से पृथ्वी त्राहि-त्राहि करने लगी, तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें रावण के अत्याचारों से बचाने के लिए कहा। भगवान ने देवताओं को वचन दिया, वह ब्रम्हदेव के वर की मर्यादाओं का मान रखते हुए, पृथ्वी पर अपने अनुचरों के साथ मनुष्य रूप में अवतार लेंगे।

अयोध्या के पराक्रमी राजा दशरथ | Chaitra Ram Navami 2025

श्रीराम के जन्म कि कथा कई ग्रंथों में आई है। श्रीराम के जीवन चरित्र को केंद्र पर रखकर कई ग्रंथ भी लिखे गए हैं, जिनमें वाल्मीकिकृति रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस अत्यंत लोकप्रिय हैं। इन कथाओं के अनुसार अयोध्या में इक्क्षवाकु कुल के सूर्यवंशीय राजा दशरथ शासन किया करते थे। राजा दशरथ के कौशिल्या, कैकेई और सुमित्रा नाम की तीन पत्नियाँ थीं।

राजा की संतान प्राप्ति की कामना | Chaitra Ram Navami 2025

राज्य वैभव सबकुछ होने के बाद भी राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थी। राजा दशरथ को इस बात का बड़ा दुख था। एक बार राजा दशरथ ने अपने मन की व्यथा अपने राजगुरु महर्षि वसिष्ठ को बताई। महर्षि ने इस समस्या के लिए राजा दशरथ को ऋष्यशृंग ऋषि के पास जाने का परामर्श दिया। महर्षि ऋष्यशृंग पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया करते थे। कथानुसार राजा दशरथ पैदल ही बिना नंगे पैर ऋषि के आश्रम पहुंचे, और उन्हें अपने मानसिक अवस्था से अवगत कराया। राजा का दुख और उनके विनय से प्रसन्न महर्षि ऋष्यशृंग ने यज्ञ करने की स्वीकृति दी।

यज्ञ का पुण्यफल खीर के प्रसाद रूप में प्राप्त हुआ | Chaitra Ram Navami 2025

महर्षि ऋष्यशृंग ने राजा दशरथ को याजक बना अयोध्या में बहुत बड़ा पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ का बहुत शुभ पुण्यफल प्राप्त हुआ। यज्ञ देवता ने प्रकट होकर राजा दशरथ को एक खीर का पात्र देकर उसे रानी को खिला देने के लिए कहा। राजा दशरथ खीर का पात्र लेकर राजमहल गए। उन्होंने खीर को दो हिस्से में बाँट कर एक हिस्सा अपनी बड़ी रानी कौशिल्या को और एक हिस्सा अपनी प्रिय पत्नी रानी कैकेई को दिया। दोनों रानियों ने अपने-अपने हिस्से से एक-एक हिस्सा रानी सुमित्रा को दे दिया। तीनों रानियों ने प्रसाद रूप से खीर को ग्रहण किया।

श्रीराम के जन्म की कथा | Chaitra Ram Navami 2025

देव कृपा से तीनों रानियों गर्भ से हुईं और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नौवीं तिथि में, राजा दशरथ के घर चार कुमारों ने जन्म लिया। इनमें से सबसे बड़ी रानी को जो पुत्र हुआ था उनका नाम राम रखा गया। जो भगवान विष्णु के अवतार थे। दूसरी रानी कैकेई से उत्पन्न पुत्र भरत थे, जो भगवान विष्णु के शंख के अवतार थे। जबकि तीसरी रानी सुमित्रा के दो पुत्र हुए, चूंकि उन्होंने खीर के दो हिस्से खाए थे। उनके बड़े पुत्र हुए लक्ष्मण जो शेषावतार माने जाते हैं। और सबसे छोटे पुत्र हुए शत्रुघ्न, जिनको भगवान के सुदर्शन चक्र का अवतार माना जाता है। इसी दिन भगवान के अवतार लेने के ही उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है।

भगवान श्रीराम के जन्म के समय शुभ योग | Chaitra Ram Navami 2025

भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नौवीं तिथि को हुआ। उस समय सूर्य पुष्य नक्षत्र में थे। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। जबकि श्रीराम के जन्म के समय देवताओं को प्रिय अभिजीत मुहूर्त था। भगवान का जन्म बहुत ही शुभ मुहूर्त में हुआ था। कहते हैं भगवान के जन्म के समय समस्त नगर में हर्षोल्लास छा गया। समस्त प्राकृति में शीतलता छा गई, नगरवासी जन्म के बारे में सुनकर नाचने-गाने लगे। आकाश से देवता पुष्पवर्षा करने लगे, आगे चलकर भगवान के जन्म के उत्सव को ही रामनवमी पर्व के रूप मे मनाया जाने लगा।

श्रीराम का परिवार

श्रीराम का जन्म इक्क्षवाकु वंश के महाराज दशरथ और उनकी पत्नी रानी कौशिल्या के यहाँ हुआ था। उनकी कैकेई और सुमित्रा नाम की दो अन्य माताएं और थी। इन दोनों माताओं से उनके भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न नाम के तीन भाई और थे। कुछ कथाओं के अनुसार शांता नाम की एक बहन भी थीं, जिनका विवाह ऋष्यशृंग ऋषि के साथ हुआ था। भगवान राम का विवाह मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता के साथ हुआ था। उनके छोटे भाई लक्ष्मण का विवाह राजा जनक की छोटी पुत्री उर्मिला के साथ हुआ था। जबकि उनके अन्य दो भाई भरत और शत्रुघ्न का विवाह राजा जनक के भाई कुशध्वज की पुत्रियाँ मांडवी और श्रुतिकीर्ति से हुआ था। भगवान राम के लव और कुश नाम के दो पुत्र थे।

रामकथा का स्त्रोत

रामकथा पर आधारित दो लोकप्रिय रचनाएँ संस्कृत में लिखी गई वाल्मीकि कृत रामायण और अवधी भाषा में लिखी गई गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस के अतिरिक्त लगभग 300 और रामायण विभिन्न भाषाओं और क्षेत्रों में प्राप्त होती हैं। महाभारत में श्रीराम की कथा आती है। गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- “हे अर्जुन मैं शस्त्रधारियों में राम हूँ”। महाभारत के वनपर्व में पांडवों को कम्यक वन में महर्षियों द्वारा श्रीराम की कथा सुनाई जाती है। दूसरी शताब्दी में अश्वघोष द्वारा संस्कृत भाषा में लिखे ग्रन्थ बुद्धचरितम में गौतम बुद्ध की तुलना श्रीराम से की गई है। बौद्ध जातक ग्रन्थ दशरथ – जातक के अनुसार बुद्ध राम के ही पुनर्जन्म हैं। बौद्ध ग्रंथों के साथ ही कई जैन ग्रंथों में भी रामकथा आई है। संगम साहित्य (तमिल ) जिनका प्रदुर्भाव ईसा के पहले की शताब्दी से लेकर दूसरी सदी के मध्य हुआ उसमें भी राम और उनकी लंका विजय है। कालिदास की रघुवंशम में भी राम हैं। इसके अलावा भी कई संस्कृत ग्रंथों और नाटकों में श्रीराम की कथाएं आती हैं। हालांकि इनमें से कई ग्रंथों में राम भले ही नायक ना हों लेकिन राम उपस्थित हैं, और कथा का नायक उनसे प्रभावित है।

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