अयोध्या में क्यों नहीं बन पा रही मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद?

अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) के सुप्रीम कोर्ट फैसले के 6 साल बाद भी बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के बदले बनने वाली ‘मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह मस्जिद’ (Muhammad bin Abdullah Mosque) का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव (Dhannipur Village) में 5 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित इस मस्जिद का नक्शा (Dhannipur Mosque Map) अयोध्या विकास प्राधिकरण (Ayodhya Development Authority) ने रिजेक्ट कर दिया है। वजह? 8 सरकारी विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र न मिलना। राम मंदिर (Ram Mandir) की भव्यता के बीच ये देरी मुस्लिम समुदाय के लिए निराशा का सबब बनी हुई है।

8 विभागों से NOC न मिलना—क्या हैं आपत्तियां?

  • मस्जिद निर्माण के लिए 8 विभागों से NOC जरूरी थी, लेकिन किसी ने भी हरी झंडी नहीं दी। ADA ने दस्तावेजों की कमी का हवाला देकर नक्शा खारिज कर दिया। प्रमुख आपत्तियां:
  • सबसे बड़ी आपत्ति—मस्जिद और अस्पताल की इमारत की ऊंचाई के हिसाब से पहुंच मार्ग 12 मीटर चौड़ा होना चाहिए। लेकिन मौके पर मुख्य रोड सिर्फ 4 मीटर और अन्य 6 मीटर हैं। इससे इमरजेंसी व्हीकल्स का आना-जाना मुश्किल है ।
  • PWD प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नागरिक उड्डयन विभाग, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, नगर निगम, जिला मजिस्ट्रेट से भी NOC मांगी गई, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है.

मस्जिद बनेगी या नहीं ?

ट्रस्ट का प्लान वही है 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद, मेडिकल कॉलेज और लाइब्रेरी का कॉम्प्लेक्स। गांव में लगे लोहे के बोर्ड पर डिजाइन फोटो भी यही दिखाते हैं। लेकिन रिजेक्शन के बाद ट्रस्ट नया नक्शा जमा कर सकता है या कोर्ट जा सकता है। धन्नीपुर गांव की आबादी करीब 2500 है, जिसमें 60% मुस्लिम हैं। स्थानीय लोग 2019 से मस्जिद बनने का इंतजार कर रहे हैं जमीन खाली पड़ी है, जहां बच्चे क्रिकेट खेलते हैं।

SC के फैसले के तीन महीने बाद शुरू होना था निर्माण

सुप्रीम कोर्ट का फैसला साफ था. मस्जिद 3-3 महीने में शुरू होनी चाहिए थी। लेकिन सरकारी मंजूरियां न मिलने से देरी। ट्रस्ट का कहना है कि ये नौकरशाही की देरी है, जबकि कुछ लोग इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। गांव में कोई बड़ा विरोध नहीं, लेकिन अयोध्या के सेंसिटिव माहौल में छोटी-मोटी आपत्तियां उठती रहती हैं। मुस्लिम संगठन इसे न्यायिक फैसले का अपमान बता रहे हैं।

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