जीत के रथ में सवार BJP को जयंत चौधरी क्यों चाहिए?

UP Politics:

Kya Jayant Chaudhary NDA men Shamil ho rahe: जो मुझे समझ नहीं पाए, वही इस बात की चर्चा कर रहे हैं. मैं बहुत जिद्दी आदमी हूं. जब कह देता हूं, मन बना लेता हूं तो बदलता नहीं हूं.

UP Politics: ये शब्द जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के हैं और ये बात उन्होंने 18 अगस्त 2023 को बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर कही थी. 5 महीने भी नहीं बीते कि जयंत के बीजेपी में जाने की चर्चा हो रही हैं. बात आकंड़ों की करे तो पिछले 2 लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी एक भी लोकसभा की सीट नहीं जीत पाई है. इसके बावजूद राम लहर पे सवार BJP जयंत को अपने साथ क्यों लाना चाहती है? UP में जयंत और उनकी राष्ट्रीय लोकदल पार्टी की क्या हैसियत है? 2024 में BJP और RLD दोनों के लिए ये गठजोड़ जरुरी क्यों है?

जयंत चौधरी को क्या ऑफर दिया गया है?

Jayant Chaudhary with BJP: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BJP ने राष्ट्रीय लोकदल यानि RLD के प्रमुख जयंत चौधरी को ऐसा प्रस्ताव दिया है कि उसको इंकार करना जयंत के लिए बहुत मुश्किल है. मिली जानकारी के अनुसार RLD को केंद्र और राज्य दोनों जगह मंत्री का पद दिया जाएगा साथ ही पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए 4 सीटें दी जाएंगी इसके आलावा एक राज्यसभा सीट भी ऑफर की जा सकती है. RLD के प्रवक्ता पवन आगरी ने कहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हमें 4 सीटें ऑफर की हैं. हम लोग 12 सीटों की मांग कर रहे हैं. इसके बाद से ही 2024 लोकसभा चुनाव आरएलडी के बीजेपी के साथ जाने की संभावना जाहिर की जा रही है.

यूपी की राजनीति में क्या हैसियत रखते हैं जयंत चौधरी?

जयंत चौधरी आज के समय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े नेता हैं. 1970 के दशक से पार्टी को पश्चिमी उतर प्रदेश में जाटों का समर्थन मिलता आ रहा है. UP में रहने वाले 99% जाट पश्चिमी UP के 27 लोकसभा क्षेत्रों में रहते हैं. एक समय उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऐसा भी था जब जयंत चौधरी के दादा चौधरी चरण सिंह जाट समुदाय के सबसे बड़े नेता थे. वर्ष 1969 में हुए विधानसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल BKD 402 में से 98 सीटें जीती थीं. इस दौरान पार्टी का वोट शेयर 21.29% था। इस चुनाव में चौधरी चरण सिंह जाट और मुस्लिम वोटर्स के साथ सभी समुदायों का वोट मिला था। यह इस बात से भी जाहिर होता है कि 1987 में उनके निधन के बाद तक के चुनावों में उनकी पार्टी का वोट शेयर 20% के करीब बना हुआ था। 1999 में चौधरी अजित सिंह ने दोबारा से राष्ट्रीय लोकदल यानी RLD के नाम से अपनी पार्टी लॉन्च की।

पिता की मृत्यु के बाद अजित सिंह अपने पिता चौधरी चरण सिंह के पारंपरिक वोटों को नहीं संभल पाए और वे सिर्फ मुस्लिम और जाटों के नेता बनकर रह गए. रही सही कसर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे ने पूरी कर दी। इसके चलते अजीत सिंह की रालोद (RLD) को काफी नुकसान हुआ। RLD से जाट वोट बैंक छिटक गया। हालांकि, किसान आंदोलन के समय अजित सिंह और उनके बेटे जयंत ने किसानों का समर्थन किया। किसान आंदोलन की अगुआई जाट और मुस्लिम दोनों मिलकर कर रहे थे। एक बार फिर जाट के साथ मुस्लिमों ने जयंत पर भरोसा किया। परिणाम ये हुआ कि 2017 में RLD ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी, जो 2022 में बढ़कर 8 हो गईं।

इस वजह से बीजेपी जयंत को अपने साथ जोड़ना चाहती है

पश्चिमी UP में जाटों का वोट निर्णायक है. यहां कुल 27 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मंडल की 14 सीटों पर जाटों का वोट ही जीत और हार तय करता है। इन सीटों पर जयंत चौधरी की पार्टी RLD निर्णायक भूमिका निभाती रही है। 2019 लोकसभा चुनाव में इन 14 सीटों में से सिर्फ 7 सीटों पर BJP को जीत मिली थी, जबकि 7 सीटों में से 4 पर बसपा और 3 पर सपा को जीत मिली थी। इस बार मिशन 400 पार के तहत बीजेपी जाट लैंड की सभी 14 की 14 सीटें जितना चाहती है. BJP को यह बढ़िया से पता है कि जयंत चौधरी और उनकी पार्टी के समर्थन के बिना यह संभव नहीं है. पश्चिम UP में करीब 18% जाट आबादी है, जो सीधे चुनाव पर असर डालती है। यानी जाट समुदाय का एकमुश्त वोट पश्चिमी UP में किसी भी दल की हार-जीत तय करता आ रहा है।

BJP और RLD के गठबंधन से INDI अलायंस का क्या होगा?

पॉलिटिकल पंडितों की माने तो उत्तर प्रदेश की राजनीति जातीय समीकरण से चलती है। जाट वोटों का पलटना I.N.D.I.A के लिए ताबूत में आखिरी कील जैसा होगा। वेस्टर्न यूपी की सभी 27 सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिल सकती है। सिर्फ BJP ही नहीं, RLD के लिए भी इस गठबंधन में शामिल होना मजबूरी है। इसकी वजह ये है कि राजनीतिक दलों की साख तब तक है जब तक वो सत्ता में हैं. RLD को पिछले 2 चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली है। ऐसे में जयंत चौधरी तीसरा चुनाव हारने का रिस्क नहीं उठा सकते हैं। इससे उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। 2024 लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में मुस्लिम वोटों का बंटना तय है, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में वोट नहीं बंटेगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि थोड़े बहुत मुस्लिम वोट भी अगर RLD को मिले तो इससे BJP के नंबर सपा, बसपा और कांग्रेस से कई गुना ज्यादा हो जाएंगे।

बीजेपी को जयंत चौधरी क्यों चाहिए जानने के लिए वीडियो देखे

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