हर धर्म में अलग अलग धार्मिक संस्कार ,प्रथाएं और मान्यताएं होती हैं प्रथाओं और संस्कारों का पालन सभी को करना पड़ता है। यहूदी धर्म में एक मान्यता है की अगर किसी यहूदी ने अपने सगे सम्बन्धी की मौत की खबर सुनी तो उसे अपने पहने हुए कपड़ो को फाड़ना होता है ये प्रथा यहूदियों के धर्म में सदियों से चलती आ रही है।
यहूदियों के धर्म में किसी के मरने पर कपडे फाड़ने की प्रथा क्यों है?
यहूदियों को मूल अवधारणाओं की शिक्षा देने वाला धार्मिक ग्रन्थ तनख़, जिसमे सभी संस्कार और प्रथाएं और नीतियाँ लिखी हुई हैं। इसके अलावा तालमुद तथा मिद्रश भी इनके धार्मिक ग्रन्थ हैं। शोक पर कपडे फाड़ने की ये क्रिया एक प्राचीन परंपरा है। मान्यता है की यहूदियों के कुलपिता याकूब को लगा कि उनका बेटा यूसुफ मर चुका है, तो उन्होंने अपने कपड़े फाड़ लिए । इसी तरह राजा दाऊद और उसके साथ के सभी लोगों ने शाऊल और जोनाथन की मौत की खबर सुनकर अपने पहने हुए कपडे पकड़कर फाड़ दिया। यहूदियों का मानना है की इस तरह कपडे फाड़कर दुःख को अच्छे से व्यक्त किया जा सकता है।
यहूदियों के कपडा फाड़ने की प्रक्रिया कैसे होती है ;
सभी सगे-सम्बन्धी यानी माँ-बाप ,बच्चे, भाई, बहन एक साथ अंतिम संस्कार से पहले खड़े हो जाते हैं ये क्रिया खड़े होकर की जाती है जो दुःख में शक्ति को दर्शाता है। खड़े होकर माँ-बाप कपडे के बायीं और दिल के ऊपर थोड़ा चीर देते हैं और उनके अलावा पत्नी, बच्चे, भाई, बहन को अपने दायीं तरफ का कपडा फाड़ना होता हैं। ज्यादा दुःख व्यक्त करने के लिए बाकी रिश्तेदार बायीं तरफ कपडा फाड़कर अपनी गहरी भावना को व्यक्त करते हैं।फटे हुए कपड़ो को यहूदी सात दिन तक पहनते हैं।
यहूदियों का अंतिम संस्कार ;
कपडे फाड़ने की प्रक्रिया के बाद सभी मृत शरीर को आशीर्वाद देते है फिर मृत शरीर को साफ़ किया जाता है, जिसके बाद सफ़ेद कफ़न पहना कर उसे ताबूत में रख के ताबूत बंद कर दिया जाता है। जुलूस के साथ लेजाकर मृतक को शांति से क़ब्र में दफना दिया जाता है।