Indian Army ने Myanmar में ULFA-I के ठिकानों पर Drone Attack क्यों किया?

भारतीय सेना ने रविवार, 13 जुलाई 2025 की तड़के म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (ULFA-I) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (NSCN-K) के आतंकी ठिकानों पर बड़े पैमाने पर सर्जिकल स्ट्राइक की। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) का इस्तेमाल किया गया, जो म्यांमार की सेना के साथ समन्वय में किया गया एक सटीक हमला था (Indian Army Surgical Strike). ULFA-I ने अपने एक बयान में हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि उनके शीर्ष कमांडर नयन मेधी उर्फ नयन असम सहित तीन वरिष्ठ नेता मारे गए, जबकि 19 अन्य घायल हुए (ULFA-I Casualties). यह ऑपरेशन पूर्वोत्तर भारत में आतंकी गतिविधियों को रोकने और सीमा पार से संचालित होने वाले आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की भारत की रणनीति का हिस्सा है।

क्यों किया गया ड्रोन हमला?

भारतीय सेना का यह हमला हाल के महीनों में पूर्वोत्तर भारत, खासकर असम और नागालैंड में ULFA-I और NSCN-K की बढ़ती आतंकी गतिविधियों के जवाब में किया गया। ये संगठन लंबे समय से म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र और नागा स्व-प्रशासित जोन (Naga Self-Administered Zone) में अपने ठिकानों से भारत में आतंकी हमले, उगाही और हथियारों की तस्करी जैसी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। खुफिया जानकारी के अनुसार, ULFA-I और NSCN-K ने हाल ही में असम और मणिपुर में हमलों की योजना बनाई थी, जिसके जवाब में भारत ने यह सटीक और घातक कार्रवाई की (Northeast Insurgency). म्यांमार की घनी जंगलों और सीमा की पारगम्यता (1,643 किमी लंबी भारत-म्यांमार सीमा) के कारण इन संगठनों को सुरक्षित ठिकाने मिले हुए थे, जिसे नष्ट करना इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य था।

ULFA-I क्या है?

What is ULFA-I: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (ULFA-I) एक अलगाववादी संगठन है, जो असम में स्वतंत्रता की मांग करता है। 1979 में स्थापित ULFA का नेतृत्व शुरू में अरबिंद राजखोवा और परेश बरुआ जैसे नेताओं ने किया था, लेकिन 2011 में राजखोवा के नेतृत्व वाली मुख्यधारा शांति वार्ता में शामिल हो गई। इसके बाद परेश बरुआ ने ULFA-I बनाया, जो भारत सरकार के साथ किसी भी शांति वार्ता का विरोध करता है (ULFA-I History). ULFA-I म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में अपने ठिकानों से आतंकी गतिविधियां, जैसे बम विस्फोट, अपहरण और उगाही, संचालित करता है। इस संगठन का पूर्वी कमांड मुख्यालय (Eastern Command Headquarters) और वाकथम बस्ती में स्थित 779 कैंप इस हमले के प्रमुख निशाने थे। ULFA-I ने दावा किया कि उनके ब्रिगेडियर गणेश असम और कर्नल प्रदीप असम भी इस हमले में मारे गए, और हमले तब हुए जब नयन असम का अंतिम संस्कार चल रहा था (ULFA-I Press Statement)

NSCN-K और उसकी भूमिका

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (NSCN-K) एक और उग्रवादी संगठन है, जो नागालैंड, मणिपुर और म्यांमार के कुछ हिस्सों में एक स्वतंत्र नागा राज्य की स्थापना के लिए लड़ता है। 2015 में इसके नेता एस.एस. खापलांग ने भारत सरकार के साथ 14 साल पुराना युद्धविराम तोड़ दिया था, जिसके बाद से यह संगठन म्यांमार में अपने ठिकानों से भारत में हमले करता रहा है (NSCN-K Insurgency). इस ऑपरेशन में NSCN-K के कई ठिकाने भी नष्ट किए गए, हालांकि हताहतों की सटीक संख्या अभी स्पष्ट नहीं है।

ऑपरेशन की खासियत

यह सर्जिकल स्ट्राइक म्यांमार की सेना के साथ मिलकर की गई, जिसमें भारतीय सेना ने ड्रोन हमलों का उपयोग करके वाकथम बस्ती में ULFA-I के 779 कैंप और होयट बस्ती में पूर्वी कमांड मुख्यालय को निशाना बनाया। खुफिया सूत्रों के अनुसार, हमले सुबह तड़के किए गए, जिसमें सटीकता और आश्चर्य का तत्व मुख्य था (Drone Strike Precision). ULFA-I ने अपने बयान में कहा कि हमले इतने तीव्र थे कि उनके कई मोबाइल कैंप नष्ट हो गए, और संगठन ने इस हमले का बदला लेने की धमकी दी है। भारतीय सेना ने अभी तक इस ऑपरेशन की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, जो इस तरह के संवेदनशील अभियानों की गोपनीयता को दर्शाता है.

पहले भी हो चुके हैं ऐसे ऑपरेशन

यह पहली बार नहीं है जब भारतीय सेना ने म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक की है। जून 2015 में ऑपरेशन हॉट परस्यूट में 70 कमांडो ने NSCN-K और KYKL के ठिकानों को नष्ट किया था, जिसमें 38 आतंकी मारे गए थे। उस ऑपरेशन का जवाब मणिपुर के चंदेल जिले में 18 सैनिकों की हत्या के लिए दिया गया था (Operation Hot Pursuit). इस बार ड्रोन के बड़े पैमाने पर उपयोग ने इस ऑपरेशन को और अधिक तकनीकी रूप से उन्नत बनाया है, जो भारत की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है।

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