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मध्यप्रदेश में क्यू गिरी थी कांग्रेस सरकार, 5 साल बाद खुला राज, गरमाई सियासत

एमपी। साल 2018 में कांग्रेस पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में सत्तासीन हुई और कमलनाथ मुख्यमंत्री बनाए गए, लेकिन कांग्रेस के ही लोगो में नही बन पाई और 2020 में सरकार गिर गई। एमपी में कांग्रेस सरकार गिराने की क्या वजह रही यह राज बना हुआ था। अब 5 साल बाद दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बयान ने सरकार गिरने का राजफास कर रही है।

दिग्विजय सिंह ने सरकार गिरने की बताई वजह

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक पॉडकास्ट में खुलासे किए और बताया कि ज्योतिरादित्य सिधिंया एवं कमलनाथ के बीच मतभेद विचारधारा नही, बल्कि व्यक्तिगत थें। इसके लिए उन्होंने एक उद्योगपति से मध्यस्थता करवाई थी। चूकि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों से व्यवसाई के अच्छे संबंध थे। इस समझौता वार्ता में एक लिस्ट तैयार की गई थी। इसमें ग्वालियर-चंबल संभाग से जुड़े फैसलों पर आपस में मिलकर काम करने का आश्वासन भी शामिल था। दिग्विजय के बताया कि उन्होंने भी लिस्ट पर दस्तखत किए थे, लेकिन बाद में उसका पालन नहीं हुआ। जिसका परिणाम रहा कि सरकार गिर गई।

यही तक नही रूके पूर्व सीएम

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यही तक नही रूके। उन्होने कहा कि इस बात का उन्हे दुख है कि जिन पर पूरा भरोसा था, उन्हीं लोगों ने धोखा दिया। अगर ग्वालियर-चंबल से जुड़ी मांगें मानी जातीं तो शायद सरकार गिरने की नौबत नहीं आती, लेकिन प्रचारित किया गया कि दिग्विजय और सिंधिया की लड़ाई से सरकार गिरी, जबकि सही नहीं है। उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि स्थिति गंभीर हो सकती है, लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य है कि मुझ पर हमेशा वही आरोप लगाए जाते हैं, जिनका मैं दोषी नहीं होता हूं।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने दिया ऐसा जबाब

दिग्विजय सिंह का बयान आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखे है कि मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं है, लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिराई।

बोले बीजेपी नेता

कांग्रेस नेताओं के इस बयान बाजी के बाद बीजेपी की ओर से भी बयान सामने आ रहे है। बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल, नरोत्तम मिश्रा, विश्वास सांरग आदि नेताओं ने कहा कि गुटों में बटी कांग्रेस की स्थित दिन ब दिन खराब होती जा रही है। बीजेपी मीडिया प्रभारी ने कहा कि यह साफ हो गया कि प्रदेश को मिस्टर बंटाधार चला रहे थें।

ऐसे बनी थी कांग्रेस की सरकार

ज्ञात हो कि 2018 के चुनाव परिणाम में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी, जबकि बीजेपी के पास 109 सीटें थें। सबसे ज्यादा विधायक कांग्रेस के होने के बाद पार्टी ने 2 बसपा, 1 सपा एवं 4 निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बनाई थी। कांग्रेस नेताओं के बीच अंदरूनी तौर पर नही बन पाई और 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 विधायक लेकर बीजेपी में चले गए। जिससे कांग्रेस सरकार गिर गई। इसके बाद एक बार फिर एमपी में बीजेपी की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनाए गए। जिसके बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी नही हो पाई। कांग्रेस के दो पूर्व मुख्यमंत्रीयों के बीच चल रही जुबानी जंग से एक बार फिर मध्यप्रदेश की सियासत गर्मा गई है, बहरहाल इस सियासत में उॅट किस करवट बैठता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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