भारत ने क्यों ठुकराई अमेरिका की F-35 Fighter Jet Deal: Trump के रवैये से नाराजगी या रणनीतिक फैसला?

भारत ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि वह F-35 स्टील्थ फाइटर (Why India Rejects F-35 Deal)जेट खरीदने में दिलचस्पी नहीं रखता . यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने (Trump Tariff Threat India) भारत पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिसे 7 अगस्त तक लागू करने की समयसीमा तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया गया.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट (Modi US Visit 2025) हाउस यात्रा के दौरान ट्रम्प के F-35 प्रस्ताव को ठुकरा दिया . आइए जानते हैं कि भारत ने यह रणनीतिक फैसला क्यों लिया और क्या इसमें ट्रम्प के रवैये का कोई योगदान है.

भारत ने क्यों ठुकराई अमेरिका की F-35 Fighter Jet Deal

Why did India reject America’s F-35 Fighter Jet Deal: भारत ने F-35 फाइटर जेट को खारिज करने के पीछे कई कारण गिनाए हैं। पहला, F-35 की प्रति यूनिट कीमत करीब 80 मिलियन डॉलर (लगभग 670 करोड़ रुपये) है, और इसका प्रति उड़ान घंटा खर्च 36,000 डॉलर है, जो इसे बेहद महंगा बनाता है .

भारतीय वायुसेना, जो वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन के (Indian Air Force Squadron Shortage) साथ संचालित हो रही है जबकि स्वीकृत संख्या 42 है, लागत-प्रभावी और स्वदेशी समाधानों पर जोर दे रही है .

भारत अपनी स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) को विकसित कर रहा है, जिसके 2035 तक तैयार होने की उम्मीद है .

इसके अलावा, रूस ने भारत को Su-57 फाइटर जेट के सह-उत्पादन का प्रस्ताव दिया है, जो न केवल सस्ता है, बल्कि भारत को तकनीक हस्तांतरण और स्वदेशी निर्माण की सुविधा भी देता है F-35 के साथ ऐसी कोई सुविधा नहीं है, क्योंकि अमेरिका इसके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में संशोधन की अनुमति नहीं देता.

साथ ही, भारत की रूसी S-400 हवाई रक्षा प्रणाली के उपयोग से अमेरिका की चिंताएं बढ़ी हैं, जिसके कारण वह F-35 की तकनीक साझा करने में हिचक रहा है.

भारत का मानना है कि F-35 खरीदने से उसकी रक्षा स्वायत्तता और स्वदेशीकरण की नीति ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India Initiative) पर असर पड़ सकता है।

ट्रम्प के रवैये से भारत की नाराजगी?

ट्रम्प का भारत के प्रति हालिया रवैया तनावपूर्ण (US-India Trade Tension) रहा है, जिसने दोनों देशों के बीच रक्षा और व्यापार संबंधों पर सवाल खड़े किए हैं . ट्रम्प ने भारत के 45.8 बिलियन डॉलर के व्यापार अधिशेष और उच्च टैरिफ की आलोचना की है, और भारत द्वारा रूस से हथियार और तेल खरीदने पर नाराजगी जताई है. मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन के सशस्त्र संघर्ष को समाप्त करने में अपनी भूमिका का दावा करने वाले ट्रम्प के बयान को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया।

भारतीय अधिकारियों ने इसे ट्रम्प का आत्ममुग्ध रवैया करार दिया, जिससे नई दिल्ली में नाराजगी देखी गई. F-35 डील को ठुकराने का फैसला इस नाराजगी का परिणाम हो सकता है, क्योंकि भारत ने साफ किया है कि वह रक्षा उपकरणों की खरीद के बजाय संयुक्त डिजाइन और स्वदेशी निर्माण पर ध्यान देना चाहता है . ट्रम्प के दबाव के बावजूद, भारत ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिकी प्राकृतिक गैस, संचार उपकरण और सोने की खरीद बढ़ा सकता है, लेकिन रक्षा उपकरणों में अतिरिक्त निवेश से परहेज करेगा


भारत का F-35 डील को ठुकराना एक रणनीतिक कदम है, जो लागत, स्वदेशीकरण और रक्षा स्वायत्तता को प्राथमिकता देता है. हालांकि, ट्रम्प के आक्रामक व्यापारिक रुख और भारत के रूस के साथ रक्षा संबंधों पर उनकी आलोचना ने नई दिल्ली को सतर्क कर दिया है. यह फैसला भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति को मजबूत करता है, लेकिन यह अमेरिका के साथ रिश्तों में तनाव को भी उजागर करता है।

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