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मीसा बंदियों को पेंशन: बीजेपी सरकारों ने शुरू की योजना, कांग्रेस ने रोकी (MISA Prisoners Pension)

Whose Government Started MISA Prisoners Pension Scheme: मीसा बंदी (MISA Prisoners) वे लोग हैं जिन्हें 1975-1977 के आपातकाल (Emergency 1975) के दौरान Maintenance of Internal Security Act (MISA) के तहत बिना वारंट और मुकदमे के जेल में बंद किया गया था। इस कानून का इस्तेमाल तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और छात्रों को दबाने के लिए किया, जिसमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालू प्रसाद यादव जैसे नेता शामिल थे (MISA Arrests) मीसा बंदियों को “लोकतंत्र सेनानी” (Loktantra Senani) का दर्जा देकर कई राज्य सरकारों ने उन्हें पेंशन और सम्मान प्रदान किया। लेकिन इस पेंशन योजना को शुरू करने और रोकने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस सरकारों के बीच विवाद रहा है।

मीसा बंदियों को पेंशन कब और किसकी सरकार में शुरू हुई

When and in whose government did the pension for MISA prisoners begin?

किसकी सरकारों ने मीसा बंदियों पेंशन रोकी

कांग्रेस शासित सरकारों ने कई राज्यों में मीसा बंदियों की पेंशन को बंद किया, इसे बीजेपी की राजनीतिक रणनीति करार दिया:

मीसा बंदी कौन हैं

मीसा बंदी वे लोग हैं जिन्हें आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। इनमें विपक्षी नेता, जैसे लालू प्रसाद यादव, अरुण जेटली, और सामाजिक कार्यकर्ता, जैसे छत्तीसगढ़ के सच्चिदानंद उपासने और टोंक, राजस्थान के 24 मीसा बंदी शामिल थे। इन लोगों ने जेल में यातनाएँ सहीं, उनकी शिक्षा और रोजगार छिन गए, फिर भी उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया। लालू यादव ने अपनी बेटी का नाम मीसा भारती इस दौर की याद में रखा (Misa Bharti)।


मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत मुख्य रूप से बीजेपी शासित सरकारों ने की, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली और ओडिशा में। कांग्रेस सरकारों ने कई राज्यों में इस योजना को बंद कर विवाद खड़ा किया। मीसा बंदियों का संघर्ष लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक है, और उनकी कहानियाँ आज भी प्रेरणा देती हैं (Loktantra Senani Honor)।

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