मीसा बंदियों को पेंशन: बीजेपी सरकारों ने शुरू की योजना, कांग्रेस ने रोकी (MISA Prisoners Pension)

Whose Government Started MISA Prisoners Pension Scheme: मीसा बंदी (MISA Prisoners) वे लोग हैं जिन्हें 1975-1977 के आपातकाल (Emergency 1975) के दौरान Maintenance of Internal Security Act (MISA) के तहत बिना वारंट और मुकदमे के जेल में बंद किया गया था। इस कानून का इस्तेमाल तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और छात्रों को दबाने के लिए किया, जिसमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालू प्रसाद यादव जैसे नेता शामिल थे (MISA Arrests) मीसा बंदियों को “लोकतंत्र सेनानी” (Loktantra Senani) का दर्जा देकर कई राज्य सरकारों ने उन्हें पेंशन और सम्मान प्रदान किया। लेकिन इस पेंशन योजना को शुरू करने और रोकने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस सरकारों के बीच विवाद रहा है।

मीसा बंदियों को पेंशन कब और किसकी सरकार में शुरू हुई

When and in whose government did the pension for MISA prisoners begin?
  • मध्य प्रदेश:
    • 2008 में बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मीसा बंदियों को 25,000 रुपये मासिक पेंशन शुरू की, जिसे 2023 में बढ़ाकर 30,000 रुपये किया गया (MISA Pension Madhya Pradesh)।
  • राजस्थान:
    • 2003 में बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार ने 6,000 रुपये पेंशन और 600 रुपये चिकित्सा भत्ता शुरू किया। 2008 में इसे बढ़ाकर 20,000 रुपये पेंशन और 4,000 रुपये चिकित्सा भत्ता किया गया।
    • 2023 में भजनलाल शर्मा की बीजेपी सरकार ने पेंशन को फिर से लागू किया और 2024 में विधानसभा बिल के जरिए इसे स्थायी किया, जिसमें 40 करोड़ रुपये का प्रावधान है (Rajasthan Loktantra Rakshak Pension)।
  • छत्तीसगढ़:
    • बीजेपी की रमन सिंह सरकार ने 2008 में 8,000 से 25,000 रुपये तक पेंशन शुरू की, जो जेल में बिताए समय पर निर्भर थी।
    • 2023 में विष्णु देव साय की बीजेपी सरकार ने इसे फिर से लागू किया, जिसमें 430 लोकतंत्र सेनानियों को प्रतिवर्ष 9 करोड़ रुपये दिए जाते हैं (Chhattisgarh MISA Pension)।
  • दिल्ली:
    • मई 2025 में बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार ने मीसा बंदियों के लिए पेंशन शुरू करने की घोषणा की (Delhi MISA Pension)।
  • ओडिशा:
    • जनवरी 2025 में बीजेपी की मोहन चरण माझी सरकार ने 20,000 रुपये मासिक पेंशन शुरू की (Odisha MISA Pension)।
  • उत्तर प्रदेश और बिहार:
    • 1977 में जनता पार्टी सरकार ने केंद्र में मीसा को रद्द किया और कुछ गैर-कांग्रेसी सरकारों ने पेंशन शुरू की। उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकारों ने इसे जारी रखा, हालांकि वर्तमान राशि की स्पष्ट जानकारी नहीं है। बिहार में भी गैर-कांग्रेसी सरकारों ने पेंशन दी, लेकिन यह अनियमित रही।

किसकी सरकारों ने मीसा बंदियों पेंशन रोकी

कांग्रेस शासित सरकारों ने कई राज्यों में मीसा बंदियों की पेंशन को बंद किया, इसे बीजेपी की राजनीतिक रणनीति करार दिया:

  • मध्य प्रदेश: 2018-2020 में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने पेंशन बंद की, लेकिन 2020 में बीजेपी की वापसी के बाद इसे फिर शुरू किया गया।
  • राजस्थान: 2019 में अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने पेंशन योजना बंद कर दी, जिसे 2023 में भजनलाल शर्मा की बीजेपी सरकार ने फिर से लागू किया।
  • छत्तीसगढ़: 2018 में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने पेंशन योजना बंद कर दी। 2023 में बीजेपी की विष्णु देव साय सरकार ने इसे बहाल किया।
  • कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस सरकारों ने इन राज्यों में भी पेंशन को बंद करने या लागू न करने का रुख अपनाया, हालांकि इन राज्यों में योजना पहले से कम प्रचलित थी।

मीसा बंदी कौन हैं

मीसा बंदी वे लोग हैं जिन्हें आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। इनमें विपक्षी नेता, जैसे लालू प्रसाद यादव, अरुण जेटली, और सामाजिक कार्यकर्ता, जैसे छत्तीसगढ़ के सच्चिदानंद उपासने और टोंक, राजस्थान के 24 मीसा बंदी शामिल थे। इन लोगों ने जेल में यातनाएँ सहीं, उनकी शिक्षा और रोजगार छिन गए, फिर भी उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया। लालू यादव ने अपनी बेटी का नाम मीसा भारती इस दौर की याद में रखा (Misa Bharti)।


मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत मुख्य रूप से बीजेपी शासित सरकारों ने की, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली और ओडिशा में। कांग्रेस सरकारों ने कई राज्यों में इस योजना को बंद कर विवाद खड़ा किया। मीसा बंदियों का संघर्ष लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक है, और उनकी कहानियाँ आज भी प्रेरणा देती हैं (Loktantra Senani Honor)।

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