Happy Birthday Anuradha Paudwal: लता जी को अपनी संगीत की पाठशाला मानती हैं वो, सुर को साधते हुए आज भी जीवन बिता रहीं हैं वो, ऊंचे नीचे स्वरों को बड़ी शिद्दत से टटोलती हैं वो। बचपन का नाम था अल्का नागकर्णी , शादी हुई संगीतकार अरुण पौडवाल से जो थे सचिन देव बर्मन के संगीत सहायक, जिनकी वजह से उन्हें ‘अभिमान ‘ फिल्म में जया भादुड़ी के लिए एक श्लोक गाने का मौका मिला फिर एक के बाद एक दिलनशीं नग़्मे उनकी आवाज़ में आते रहे और हमारा दिल बहलाते रहे ,अभी फिल्मों से थोड़ा दूर हैं पर ‘आशिक़ी ‘और ‘ दिल है कि मानता नहीं ‘ के गीत गाकर अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं वो ,जी हां ये और कोई नहीं हम सबकी चहीती अनुराधा पौडवाल हैं। जिन्होंने अपनी बेमिसाल गायकी के दम पर राष्ट्रीय पुरस्कार , कई फिल्म फेयर अवॉर्ड और पद्म श्री भी हासिल किया है।
वो बताती हैं कि उन्होंने कई गुरुओं के सानिध्य में संगीत सीखा पर जो लता जी को सुन के सीख पाईं ,वो कहीं सीखने को नहीं मिला ।
बड़े सधे हुए सुरों से देती हैं गीतों को अंजाम :-
27 अक्टूबर 1954 को कर्नाटक के उत्तर कन्नड ज़िले के करवार में एक कोंकणी मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मी अनुराधा पौडवाल जी की आवाज़ जब फिल्म इंडस्ट्री में गूंजी तो तुरंत सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया क्योंकि ऊँचे स्वरों में भी उनकी आवाज़ का सुरीलापन और किसी स्वर को करीने से सजाकर समापन तक छोड़के आने की कला उनमें बड़ी अदभुत है ।
‘तू मेरा जानू है’ गाने ने मचाई धूम :-
शायद यही वजह थी कि ,’अभिमान ‘ फिल्म के बाद ही उन्हें गाने के मौके मिलने लगे और उन्होंने 1974 में अपने पति संगीतकार अरुण पौडवाल के संगीत निर्देशन में ‘भगवान समाये संसार में’ फ़िल्म में मुकेश और महेंद्र कपूर के साथ गीत गाए पर अनुराधा जी को फिल्म ‘हीरो’ के गानों से ज़्यादा पहचान मिली ,जिनमें मनहर उधास के साथ गीत ‘तू मेरा जानू है ‘ खूब पसंद किया गया और देखते ही देखते सबकी ज़ुबान पर चढ़ गया ,इन गानों की सफलता के बाद लोकप्रियता मिली और उनकी गिनती शीर्ष गायिकाओं में की जाने लगी। इस फिल्म में उन्होंने लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में खूब गाने गाए और ‘हीरो ‘की सफलता के बाद इस जोड़ी ने कई और फिल्मों में सफल गाने दिए जैसे, ‘मेरी जंग’, ‘बँटवारा ‘, ‘राम लखन’ और आखरी में ‘तेज़ाब’।
कैसा रहा टी-सीरीज़ से अनुबंध का फैसला :-
इसके बाद उन्होंने टी-सीरीज़ के गुलशन कुमार के साथ हाँथ मिलाया जिन्होंने कई नये चेहरों को बॉलीवुड में दाखिला दिलाया और अनुराधा जी ने भी उदित नारायण, सोनू निगम, कुमार सानू, अभिजीत के साथ काफी लोकप्रिय गाने गाए , अनु मलिक और नदीम श्रवण के संगीत निर्देशन में तो उनके गाने बेहद पसंद किए गए , फिर उन्होंने अपना ये साथ और मज़बूत करने के लिए अपनी सफलता के चरम पर केवल टी-सीरीज़ के साथ काम करने की घोषणा कर दी, और ये फैसला उनके लिए ग़लत साबित हुआ।
क्यों रहीं लम्बे अरसे तक गाने से दूर :-
क्योंकि ये वही वक्त था जब उस दौर की लगभग हर फिल्म में अनुराधा जी का गाना होता ही था और नब्बे के दशक में अनुराधा पौडवाल अपने करियर के शिखर पर पहुंच गईं थीं , लेकिन अब केवल एक म्यूज़िक कंपनी के तहत काम करने के उनके ही फैसले की वजह से उन्हें कम गाने मिलने लगे फिर उसी समय उनके पति अरुण जी की एक हादसे में मौत हो गई और अनुराधा जी उनके ग़म में टूट गईं ,,और एक लंबे अर्से के लिए गायन से दूर हो गईं पर कुछ वक्त बाद फिल्मों से हटकर भक्ति गीतों पर ध्यान देना शुरू किया और बहोत लोकप्रिय भजन गाए।
एक के बाद एक दुखों के पहाड़ टूटे :-
इसके बाद क़रीब 5 साल बाद फिर अनुराधा जी ने पार्श्व गायन की तरफ रुख किया पर कम ही गीत गाए । आखिरी फिल्म की बात करें तो 2006 में आई फिल्म ‘जाने होगा क्या’ में उन्होंने गाने गाए थे। 12 सितम्बर 2020 को उन पर फिर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उनका बेटा आदित्य पौडवाल किडनी की बामारी के चलते महज़ 35 वर्ष की उम्र में इस दुनिया से चला गया।
नहीं छोड़ी सुर साधना :-
आज भी वो भजन गाती हैं भक्ति संगीत से जुड़ी हुई हैं ,कभी कभार कुछ शोज़ में नज़र भी आती हैं पर फिल्मों से दूर हैं इसकी वजह पूछने पर कहती हैं कि ‘अब संगीत में पहले वाली मिठास नहीं लगती मुझे। ‘
संगीत के क्षेत्र में उनके श्रेष्ठ योगदान के लिये 2010 में आपको मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से नवाजा़ गया , 2011 में मदर टेरेसा अवॉर्ड मिला और 2013 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा मोहम्मद रफी पुरस्कार से सम्मानित किया गया फिर 2017 में पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया। 
उनके गाए कुछ बेमिसाल नग़्मों को याद करें तो कुछ सदाबहार गीत हमारे ज़हेन में दस्तक देते हैं जैसे -“मेरे मन बाजा मृदंग” फिल्म
‘उत्सव ‘ से ,”नज़र के सामने” फिल्म ‘आशिक़ी’ से , “दिल है के मानता नहीं” फिल्म ‘ दिल है के मानता नहीं ‘
“धक धक करने लगा” फिल्म ‘बेटा ‘ से , ये वो गीत हैं जो एक दिलनशीं दौर को अपनी आग़ोश में समेटे हैं और हम जब भी इन्हें गुनगुनाते हैं हमारे दामन में फूलों की मानिंद इनकी महक बस जाती है। अनुराधा जी ऐसे ही गाती रहें , मुस्कुराती रहें आज के दिन की मुबारकबाद के साथ यही दुआ है हमारी।

 
		 
		 
		