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विंध्य की 4 सीटों से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन?

Who is the Congress candidate from 4 seats of Vindhya?

Who is the Congress candidate from 4 seats of Vindhya?

लोकसभा चुनाव 2024 का रण शुरू हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों को पहली लिस्ट जारी कर दी है. भगवा दल के 195 कैंडिडेट्स की लिस्ट में चार नाम मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र से हैं. बता दें कि विंध्य में लोकसभा की 4 सीटें है इन सीटों में बीजेपी ने अपने कैंडिडेट्स को उतार दिया. लेकिन कांग्रेस अभी भी जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश कर रही है. अब कांग्रेस के वो चार सिपाही कौन होंगे जो बीजेपी की कब्जे वाली सीट को कांग्रेस के खाते में कर दे. खैर वो कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, लेकिन आज हम बात विंध्य की चारों लोकसभा सीटों से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के नाम जानेंगे और लोकसभा वाइस वहां के जातीय समीकरण और वहां का राजनितिक इतिहास की चर्चा करेंगे, तो आइए शुरू करते हैं.

सबसे पहले बात करेंगे रीवा लोकसभा की, रीवा संसदीय क्षेत्र विंध्य की सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है. रीवा संभाग है जिसके अंतर्गत विंध्य की सभी लोकसभा सीटें आती हैं. यहां से भारतीय जनता पार्टी ने जनार्दन मिश्रा को तीसरी बार मौका दिया है, तो वहीं कांग्रेस अभी भी जिताऊ उम्मीदवार की खोज में है. हालांकि कांग्रेस के लिए जिताऊ उमीदवार की तलाश करना मुश्किल भरा है, फिर भी कांग्रेस को किसी ऐसे कैंडिडेट्स की तलाश करनी पड़ेगी जो अपने प्रतिद्वंदी यानि भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके. तो आइए जान लेते हैं कांग्रेस के वो संभावित चेहरे जिनके ऊपर पार्टी दांव लगा सकती है. वो चेहरे होंगे पूर्व सांसद देवराज सिंह पटेल, सेमारिया विधायक अभय मिश्रा. और महापौर अजय मिश्रा बाबा ये वो नाम जिनके ऊपर पार्टी भरोसा जाता सकती है.

रीवा लोकसभा के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां कांग्रेस वर्ष 1967 के चुनाव के बाद कमजोर स्तिथि में है, यानी 1962 के चुनाव के बाद यहां से कांग्रेस को कभी भी लगातार 2 जीत नहीं मिली है. पिछले 40 साल में कांग्रेस यहां से केवल एक बार ही जीत हासिल कर पाई है. वहीं बीएसपी ने यहां से 3 चुनाव जीते हैं. रीवा लोकसभा सीट सामान्य के लिए आरक्षित है. यह मुख्य रूप से ग्रामीण संसदीय क्षेत्र है जहां साक्षरता दर 71.62% के करीब है. यहां 8,21,800 पुरुष और 7,22,919 महिलाएं मतदाता हैं. यहां अनुसूचित जाति की आबादी 16.22% फीसदी और अनुसूचित जनजाति 13.19% के करीब है. क्षेत्र में ब्राम्हणों और ठाकुरों का अच्छा खासा वर्चश्व है.

सीधी लोकसभा का भी हाल जान लेते हैं, सीधी की राजनीति हमेशा टेडी चाल चली है. यहां से दिग्गज राजनेताओं ने चुनाव हरा है, तो सामान्य सा कार्यकार्ता चुनाव जीता भी है. भारतीय जनता पार्टी ने यहां से राजेश मिश्रा जैसे नए नवेले चेहरे पर भरोसा जताया है, तो वहीं कांग्रेस अभी भी जिताऊ कैंडिडेट्स के लिए जद्दोजहद कर रही है. हालांकि, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री इंद्रजीत कुमार पटेल के बेटे कमलेश्वर पटेल के नाम पर लगभग मोहर लगा दी है. बास देरी है तो ऑफिशियल अनाउंसमेंट की.

अब बात होगी सीधी लोकसभा के इतिहास की, ये वही सीधी लोकसभा सीट है जो शुरुआती दौर में सोशलिस्टों के कब्जे में थी. इसके बाद कांग्रेस ने यहां अपनी पैठ जमाई, वर्ष 1962 से 1996 तक कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में रही . इसके बाद भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया. 1998 के बाद कांग्रेस के हाथ से जब ये सीट फिसली तो अब तक भाजपा के पाले में बनी हुई है. इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के कई दिग्गजों ने किस्मत आजमाई , लेकिन उन्हें करारी शिकस्त ही मिली. पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल और भाई राव रण बहादुर सिंह भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. इस संसदीय सीट पर भाजपा का भगवा रंग ऐसा चढ़ चुका है, जिसे देखकर कांग्रेस की चिंता बढ़ी हुई है. 2007 के उपचुनाव को छोड़कर 1998 से 2004 तक भाजपा का कब्जा रहा. 2009 से लेकर 2019 तक लगातार तीन चुनाव जीतकर भाजपा हैट्रिक लगा चुकी है. खास बात तो यह है कि भाजपा का वोट प्रतिशत भी लगातार बढ़ा है. भाजपा का गढ़ बन चुकी सीधी लोकसभा सीट में आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में कमजोर हाथ वाली कांग्रेस अब क्या रणनीति बनाती है. यह तो आगे आने वाला समय ही बताएगा. यहां के जातीय समीकरण की बात करें तो अनुसूचित जाति की संख्या 11 फीसदी के आसपास और अनुसूचित जनजाति की संख्या 32 फीसदी है. हालांकि, इलाके में ठाकुरों और ब्राण्हणों को बर्चश्व है. इलाके की 8 में से 3 सीटें एसटी और 1 सीट एससी के लिए रिजर्व है. हालांकि, 4 सीटों पर अनारक्षित चुनाव होता है.

सतना लोकसभा की बात की जाएं तो यहां से भारतीय जनता पार्टी ने 2004 से लगातार सांसद रहे गणेश सिंह को पांचवीं बार चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस में यहां से उम्मीदवारी करने वाले नेताओं की फेहरिस्त लम्बी है, सतना से पूर्व मुख्य्मंत्री के बेटे अजय सिंह राहुल और उनके मामा राजेंद्र कुमार सिंह के नाम की चर्चा है, तो वहीं सतना से लगातार दो बार के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा का नाम सबसे आगे चल रहा है.

अगर बात सतना संसदीय क्षेत्र के राजनितिक इतिहास कि की जाए तो, यहां से 7 बार बीजेपी, 4 बार कांग्रेस, 1 बार बसपा और 1 बार जनसंघ ने जीत दर्ज की है. 20 सालों से लगातार बीजेपी से गणेश सिंह सांसद बनते आए हैं, और एक बार फिर से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. सतना लोकसभा सीट से एक रोचक इतिहास जुड़ा है. इस सीट से एक बार एक ही चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव लड़े जिन्हें एक तीसरे प्रत्याशी ने हरा दिया. मामला साल 1996 का है. बीजेपी की ओर से मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा थे. जबकि, कांग्रेस की टिकट से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह मैदान में उतरे. लेकिन, नतीजों में BSP के सुखलाल कुशवाहा इन दोनों पर हावी पड़ गए, और चुनाव जीत लिया। यहां की जातीय समीकरण की बात की जाए तो, ब्राहम्णों की संख्या सवा तीन लाख से ऊपर, क्षत्रिय 1एक लाख से कुछ ऊपर, पटेल और कुशवाहा 1-1 लाख से कुछ ऊपर हैं. वहीं, अनुसूचित जाति के 1 लाख 47 हजार और अनुसूचित जन जाति के 1 लाख 37 हजार है. जबकि, इलाके में वैश्य 65 हजार और मुस्लिम मतदाता 37 हजार हैं.

आखिरी में बात करेंगे आदिवासी अंचल की शहडोल लोकसभा क्षेत्र की भारतीय जनता पार्टी ने जीत की जवाबदारी यहां से दूसरी बार हिमांद्री सिंह को दी है. तो कांग्रेस को शहडोल लोकसभा क्षेत्र से अभी भी जिताऊ कैंडिडेट्स की तलाश है. कांग्रेस से संभावित उम्मीदवारों की बात करें तो फुंदेलाल सिंह मार्को जिनके ऊपर पार्टी मोहर लगा सकती है.

शहडोल लोकसभा इतिहास की बात करें तो, 70 के दशक के बाद से यहां ज्यादातर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. साल 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में बीजेपी को लगातार जीत मिली. लेकिन 2009 के कांग्रेस ने वापसी की. हालांकि, 2014 में एक बार फिर बीजेपी ने वापसी कर ली. शहडोल में 2016 में उपचुनाव हुए जिसमें बीजेपी ने जीत हासिल की और उसेक बाद 2019 में भाजपा समर्थित हिमांद्री सिंह ने चुनाव जीता अब इस बार भी बीजेपी ने हिमांद्री सिंह पर विश्वास जताया है. शहडोल के जातीय समीकरण की बात करें तो. यहां की 79.25 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 20.75 फीसदी आबादी शहरी है. 44.76 अनुसूचित जनजाति और 9.35 अनुसूचित जाति के लोग हैं. वोटरों के संख्या की बात करें तो 2019 लोकसभा चुनाव के अनुसार, इलाके में कुल 1656474 वोटर है. इसमें से 848568 पुरुष और 807881 मिलाएं हैं. जबकि अन्य की संख्या महज 25 है

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