कौन हैं सुनीता राजवार, जो पंचायत-4 में फुलेरा की नई ग्राम प्रधान, क्रांति देवी का किरदार निभा रही हैं

Sunita Rajwar, Kranti Devi Of ​​Panchayat-4: सुनीता राजवार ने वेब सीरीज पंचायत के चौथे सीजन में क्रांति देवी के किरदार को निभाया है, जो फुलेरा गांव की नई प्रधान बनती हैं। यह किरदार सीजन 2 में पहली बार पेश किया गया था, जहां वे बनराकस अर्थात भूषण की पत्नी के रूप में नजर आई थीं। सीजन 4 में क्रांति देवी का किरदार केंद्र में है, क्योंकि वे मंजू देवी (नीना गुप्ता) के खिलाफ प्रधानी का चुनाव लड़ती हैं और आखिरी एपिसोड में दिखाया गया है कि वह जीत भी हासिल करती हैं।

क्रांति देवी का मजेदार किरदार निभा रही हैं सुनीता

पंचायत सीजन 4 में सुनीता राजवार का अभिनय काफी प्रभावशाली रहा है। उनका किरदार मजबूत, चालाक, और महत्वाकांक्षी है, जो दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ भावुक भी करता है। सीजन 4 में फुलेरा गांव में प्रधानी के लिए तगड़ा मुकाबला देखने को मिला है। जिसमें सुनीता राजवार अर्थात क्रांति देवी, अपने पति भूषण (दुर्गेश कुमार) और विधायक चंदू सिंह के समर्थन से, मंजू देवी को कड़ी टक्कर देती हैं। उनका चुनावी नारा “कुकर में लौकी पकाने” का है, और वे बड़े-बड़े वादों के साथ प्रचार करती हैं। अंत में, क्रांति देवी मंजू देवी को हराकर फुलेरा की नई प्रधान बनती हैं, जिससे कहानी में नया मोड़ आता है।

सुनीता के अभिनय को पसंद कर रहे लोग

सुनीता राजवार के क्रांति देवी के किरदार को दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा है। उनके अभिनय को जीवंत और किरदार सीरीज की कहानी को बेहद मजेदार और महत्वपूर्ण बनाती हैं। हालांकि, कुछ प्रशंसकों के अनुसार पंचायत सीजन 4, पहले की तरह उतना मजेदार नहीं रहा, लेकिन क्रांति देवी और मंजू देवी की चुनावी टक्कर ने कहानी को रोचक बना दिया है।

पंचायत में मंजू देवी का किरदार निभाना चाहती थीं सुनीता

सुनीता ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि वे पंचायत में मंजू देवी का किरदार निभाना चाहती थीं, लेकिन ऑडिशन के बाद उन्हें क्रांति देवी का रोल मिला। सुनीता राजवार ने क्रांति देवी के रूप में पंचायत सीजन 4 में एक यादगार प्रदर्शन किया है। उनका किरदार फुलेरा की राजनीति को नया रंग देता है, और उनकी मेहनत और अभिनय कौशल ने दर्शकों का दिल जीता है।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएट हैं सुनीता

सुनीता राजवार का जन्म 6 नवंबर 1969 को उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था, और उनका परिवार बाद में हल्द्वानी में बस गया। वे एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जहां उनके पिता ट्रक ड्राइवर थे। सुनीता को शुरू से ही साहित्य और नाटक में रुचि थी, और उन्होंने स्कूल-कॉलेज में ड्रामा में हिस्सा लिया करती थीं। उन्होंने 1997 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में एडमिशन लिया वहाँ से ग्रेजुएट होने के बाद, उनके अभिनय करियर की शुरुआत हुई।

बेहद साधारण पृष्ठभूमि से संबंध रखती हैं सुनीता राजवार

सुनीता बेहद साधारण पृष्ठभूमि से संबंध रखती हैं और बहुत मेहनत से इस मुकाम तक पहुंची हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि पहले अपने पिता के ट्रक ड्राइवर होने की बात को बचपन में छिपाया करती थीं, क्योंकि उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती थी। लेकिन बाद में जैसे-जैसे वह समझदार होने लगीं, उन्हें अपने पिता के पेशे पर गर्व होने लगा।

छोटे-छोटे किरदार से अभिनय की शुरुआत

सुनीता राजवार ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत छोटे-छोटे किरदारों को निभा कर की। उन्होंने पहली बार सीआईडी में एक एपीसोडिक रोल प्ले किया था। जबकि बड़े पर्दे में अभिनय की शुरुआत उन्होंने 2003 में आई फिल्म ‘मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूँ’ से किया, जिसमें उन्होंने अंतरा माली के सहेली का छोटा सा किरदार निभाया था। लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान पंचायत सीरीज से ही मिली।

सुनीता ने पंचायत के अलावा केदारनाथ, बाला, स्त्री, और शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्मों में काम किया है। टीवी पर हिटलर दीदी, ये रिश्ता क्या कहलाता है, गुल्लक और संतोषी मां जैसे धारावाहिकों में भी नजर आईं। लेकिन पंचायत में क्रांति देवी के किरदार ने उन्हें व्यापक लोकप्रियता दिलाई है। इसके अलावा, उन्होंने थिएटर आर्टिस्ट, स्क्रीन राइटर, और निर्देशक के रूप में भी काम किया है।

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