HINDU MINORITY ATROCITIES:बांग्लादेश में आम चुनाव संपन्न हुए. 300 सीटों पर हुए चुनाव में 298 सीटों के परिणाम आ चुके हैं जिसमे सत्ताधारी पार्टी आवामी लीग की प्रधानमंत्री शेख हसीना [SHAIKH HASEENA] ने 300 सीटों में से 224 सीटों पर जीत हासिल की है यानि लगातार पांचवी बार शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं. साल 2009 से अभी तक वो लगातार प्रधानमंत्री हैं.शेख हसीना की पार्टी स्वयं को सेक्युलर पार्टी बताती है और हिन्दुओं की हितैषी मानी जाती है.आज हम बात करेंगे बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की.
लम्बे समय से बांग्लादेशी हिन्दुओं के साथ हो रही अपराध की घटनाएं मानवाधिकारों का बड़े स्तर पर हनन को दर्शाती हैं.सरकारी आंकड़े के मुताबिक साल भर में हिन्दू लड़कियों के साथ हुए अपराधों की बात करें तो कुल 66 लड़कियों के साथ बलात्कार की घटना हुई है और 333 हिन्दू लड़कियों को जबरन बीफ खिलाने के मामले प्रकाश में आए हैं.
बांग्लादेश में हिन्दू अपनी पहचान छिपाने के लिए मजबूर हैं.लोग अपनी लड़कियों की शादियां जल्दी कर देते हैं ताकि उन्हें धर्मांतरण,दुष्कर्म और जबरन बीफ खिलाने की घटनाओं से बचाया जा सके.
दैनिक भास्कर में छपी एक खबर में एक डाटा हिन्दू अल्पसंख्यकों की घटती आबादी को समझाता है.
1951 से 2022 तक के ट्रेंड की ओर गौर करें तो 1951 में 22 फ़ीसदी हिन्दू आबादी थी जो 2022 में आकर मात्र 7 फीसदी रह गई है. वहीँ बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय की आबादी 1951 में 76 फ़ीसदी थी जो 2022 में बढ़कर सीधा 91 फ़ीसदी के करीब चली गयी.हिन्दुओं पर होने वाले हमलों के कारण धार्मिक,आर्थिक और राजनीतिक हैं.बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए लम्बे समय से काम कर रहे चन्दन सरकार का कहना है कि हिन्दुओं पर होने वाले हमलों के कारण सामजिक हैं. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक है लेकिन सामाजिक रूप से हिन्दू बहिष्कृत हैं.हर मोड़ पर संघर्ष है.
हिन्दुओं का ये संघर्ष मात्र सामाजिक या राजनीतिक दायरे तक ही सीमित नहीं है बल्कि शिक्षण संस्थानों में भी यही हालात हैं.ढाका यूनिवर्सिटी में यही हालात हैं.दैनिक भास्कर में छपी एक खबर में एक लड़की का किस्सा बताया गया है. उसने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और वो अभी कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर रही हैं.उनका बताना है कि वो घर से सुबह तिलक लगा कर निकलती हैं लेकिन बाहर निकलते ही उसे मिटा देती है. घर के बाहर ही बीफ की बदबू से उनका सामना होता है लेकिन अगर किसी ने उन्हें उसपर मुँह बनाते देख लिया तो क़यामत हो जाएगी।वो रास्ते में निकलकर रिक्शेवाले को भाईजान कह कर ही बुलाती हैं.उनसे ये पूछने पर कि कब तक ऐसे डर कर रहेंगी वो कहती हैं कि मै तैयारी कर रही हूँ कुछ सालों में बाहर चली जाऊंगी।
इनके हिस्से ये मौका है भी लेकिन बांग्लादेश में ऐसे कितने हिन्दू हैं खासकर लड़कियां जिनका शिक्षा का स्तर भी काफी नीचे है वो ऐसा ही जीवन जीने के लिए मजबूर हैं.स्थिति ऐसी है की धर्म के नाम पर हुए अपराधों के 80 फ़ीसदी मामले कोर्ट तक पहुँचते ही नहीं हैं और जो पहुँचते भी हैं उन्हें कोर्ट के बाहर ही निपटा दिया जाता है..
शेख हसीना की सरकार हिन्दू हितैषी मानी जाती है लेकिन वो 2009 से सत्ता पर काबिज़ हैं पर अल्पसंख्यकों की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया है.