Shivaji Maharaj Jayanti : छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सुनते ही मन में वीरता और स्वशासन की छवि उभरती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका शासन सिर्फ युद्ध जीतने तक ही सीमित नहीं था? वे सामाजिक एकता और सभी धर्मों के सम्मान के बड़े समर्थक थे। उनके राज्य में हिंदू, मुस्लिम और सभी जाति-धर्म के लोग एक साथ रहते थे। यही संदेश महबूब इमाम हुसैन मदुनवार पिछले 30 सालों से मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर ढोल बजाकर दे रहे हैं।
तीन दशकों से एक अनूठी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं!
1986 में छत्रपति उदयनराजे भोसले की मां छत्रपति कल्पनाराजे भोसले ने गेटवे ऑफ इंडिया पर शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने ढोल रखा था। तब पहली बार इस ढोल को डॉ. डी.वाई. पाटिल ने बजाया था। इसके बाद बाबूराव जाधव ने यह जिम्मेदारी संभाली, लेकिन उनके तबादले के बाद यह काम महबूबजी को सौंप दिया गया। तब से महबूबजी सूर्यास्त के समय यह ढोल बजाकर शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि देते आ रहे हैं।
क्या धर्म ने उन्हें रोका? जवाब है नहीं! Shivaji Maharaj Jayanti
महबूब इमाम हुसैन से अक्सर पूछा जाता है, “क्या आपके धर्म ने आपको यह काम करने से रोका?” इस पर वे गर्व से जवाब देते हैं, “शिवाजी महाराज सिर्फ़ हिंदुओं के नहीं, बल्कि सभी धर्मों के राजा थे। उनकी सेना में हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल थे। उन्होंने कभी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। वे एक न्यायप्रिय शासक थे जिन्होंने स्वराज्य के लिए लड़ाई लड़ी।” शिवाजी महाराज के इन गुणों से प्रेरित होकर महबूबजी ने उनके सम्मान में यह सेवा जारी रखी है।
पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते आज भी सेवा जारी है!
महबूबजी पहले फ़ोटोग्राफ़र थे, लेकिन इससे उनकी आय ज़्यादा नहीं थी। उनके दो बच्चे हैं, जिन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर ली है। एक बैंक में काम करता है और दूसरा फ़ूड डिलीवरी का काम करता है। इसके बावजूद महबूबजी बिना किसी स्वार्थ के हर दिन यह सेवा कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता, फिर भी वे इसे जारी रखे हुए हैं। हालांकि, उनके सहकर्मी चाहते हैं कि प्रशासन उनके योगदान को पहचाने और उसकी सराहना करे।
युवाओं के लिए सबक: इतिहास से जुड़ें! Shivaji Maharaj Jayanti
महबूबजी सिर्फ़ ढोल बजाने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे युवाओं को प्रेरित भी करते हैं। वे कहते हैं, “शिवाजी महाराज के किले देखें, उनका इतिहास पढ़ें, आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपको बता दें महबूब जी का यह सब करने का बस एक ही ध्येय है वह चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी अदम्य साहस के प्रतीक वीर मराठा योद्धा शिवाजी महाराज के न्याय, साहस और स्वशासन के संघर्ष को समझे, और भारत के प्रति उनके योगदान को सदैव स्मरण में रखें।