Ayodhya Ram Temple Consecration: 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं रामलला को उनके सिंहासन पर विराजित करेंगे। इसके लिए रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का मुहूर्त भी सामने आ चुका है. बता दें कि इस मुहूर्त को बनारस के विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बनाया है. अयोध्या राम मंदिर निर्माण में देश के हर कोने से भक्तों द्वारा सहयोग किया है. ऐसा ही एक सहयोग रीवा के ललित मिश्रा ने भी किया है.
Who made the flag of Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का इंतजार नए साल में खत्म होगा. अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री के हाथों होगी, जिसके लिए तैयारियां अंतिम चरण पर हैं. भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकंड का होगा, जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा। इस मुहूर्त को बनारस के विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ द्वारा निकाला गया है. लेकिन हम आज बताएंगे कि रामलला मंदिर के लिए बन रहे राजध्वज को बनाने वाले ललित मिश्रा के बारे में.
Who is Lalit Mishra: दरअसल ललित मिश्र रीवा जिले हरदुआ गांव के निवासी हैं. वे अयोध्या के शोध संस्थान में यूपी सरकार के कन्वीनर हैं. भगवान श्री राम की अयोध्या को नए सिरे से स्थापित करने के प्रयास में त्रेता युग में मौजूद एक-एक वस्तु को उसी स्वरुप में तैयार किया जा रहा है. लेकिन बाल्मीकि के रामायण, कालिदास के रघुवंशम और भवभूति के उत्तर रामचरित में तत्कालीन अयोध्या राज्य के जिस राजध्वज और उसमें चित्रित जिस पेड़ का चिन्ह अंकित था, उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
Kaun hain Rewa ke Lalit Mishra: रामायण के अयोध्या कांड में अध्ययन के दौरान रीवा के ललित मिश्र का ध्यान इस ओर गया. उन्होंने इस पर शोध कर अयोध्या का राजध्वज और इसमें अंकित चिन्ह ‘वृक्ष कोविदार’ को ढूंढ निकाला। दरअसल, भगवान श्रीराम को वनवास से वापस लाने भरत जी सेना के साथ चित्रकूट की ओर जा रहे थे. उस समय के प्रसंग में राजध्वज का जिक्र लक्ष्मण ने किया है. 30 दिसंबर को न्यास कमेटी की बैठक है, जिसमें रीवा के ललित द्वारा डिजाइन किए गए अयोध्या के राजध्वज को मान्यता मिल सकती है.
राजध्वज के चिन्ह की खासियत क्या है?
Who is Lalit Mishra who made the flag of Ayodhya: ललित ने बताया कि अयोध्या के राजध्वज में अंकित चिन्ह जिस ‘कोविदार वृक्ष’ का प्रतीक है, वह बहुत मनभावन है. इसे कचनार और मंदार के मिश्रण से तैयार किया गया है. इसका प्रमाण रामायण में भी मिलता है. साथ ही इसकी मौजूदगी भी प्रयागराज से काशी के बीच सौ मील के दायरे में रही है. कोविदार वृक्ष का बॉटनिकल नाम ‘बहोनिया’ है. इस वृक्ष में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं. जिनका वर्णन भी आयुर्वेदिक ग्रंथों में है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका के राजा रावण से युद्ध के दौरान अयोध्या के इसी ध्वज का इस्तेमाल किया था.