Who Is Hemant Khandelwal, MP BJP President: मध्य प्रदेश भाजपा को आखिरकार उसका नया अध्यक्ष (Madhya Pradesh BJP Adhyaksh) मिल गया. संगठन ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और बैतूल से विधायक हेमंत विजय खंडेलवाल (Hemant Vijay Khandelwal) को अपना प्रेसिडेंट चुना है. वैसे मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनने की रेस में कई बड़े-बड़े नेता थे, जैसे नरोत्तम मिश्रा, अरविन्द भदौरिया, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते, नंदिता पाठक लेकिन अगले तीन साल की कमान खंडेलवाल को सौंप दी गई. वे निर्विरोध चुन लिए गए, सीएम मोहन यादव (Mohan Yadav) ने खुद उनका हाथ थामकर उनका नामांकन दाखिल करवाया। सवाल ये है कि जिस पद के लिए बड़े-बड़े दिग्गज हाथ-पैर मार रहे थे वो अचानक से हाथ मलने को मजबूर कैसे हो गए और हेमंत विजय खंडेलवाल (Why Hemant Khandelwal Elected MP BJP President) को ही पार्टी की कमान क्यों मिली?
हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक सफर
61 साल के हेमंत खंडेलवाल वर्तमान में बैतूल से विधायक हैं, एक कारोबारी भी हैं और सांसद भी रह चुके हैं. हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय खंडेलवाल भी 4 बार के बीजेपी सांसद थे, 2007 में उनके निधन के बाद उन्हें उनकी पिता की सीट बैतूल से उपचुनाव में उतारा गया और वे पार्लियामेंट पहुंचे। इसके बाद उन्हें 2013 में बैतूल विधानसभा से विधायक बने, 2018 में भी जीते और 2023 में फिर से विधायक बने. इस दौरान वे बैतूल के बीजेपी जिलाध्यक्ष भी रहे. उन्होंने बीजेपी प्रदेश कोषाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली है, यूपी चुनाव में 15 जिलों में इन्हे कार्यकर्ता समन्वय का भी काम सौंपा गया था इसी लिए उनकी संगठन में मजबूत पकड़ भी है.
संगठन में हेमंत खंडेलवाल की छवि एक साफ सुथरे नेता की है, ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी है। अच्छा आपको ये हैरान करने वाली बात लगी होगी कि बीजेपी में इतने सालों से सक्रीय राजनीति कर रहे हेमंत खंडेलवाल कभी विवादों में या सुर्ख़ियों में नहीं रहे, इसकी वजह ये है कि उन्हें लाइमलाइट से दूर रहकर जनता का काम करने के लिए जाना जाता है।
किसी खेमे से नहीं आते खंडेलवाल
वैसे ये कहा जा रहा है कि हेमंत खंडेलवाल सीएम मोहन यादव की पसंद हैं, इसी लिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष चुना गया, कुछ यह भी कह रहे हैं कि प्रदेश में 30 फीसदी वैश्य है इसी लिए पार्टी ने राजनितिक समीकरण बैठाने के लिए उन्हें यह पद सौंपा है. जैसे सीएम मोहन यादव OBC हैं, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल सवर्ण हैं, दूसरे डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा अनुसूचित जाति से हैं, एमपी से केंद्रीय मंत्री डीडी उइके आदिवासी हैं इसी लिए किसी वैश्य समाज से आने वाले नेता को यह जिम्मेदारी दे दी गई है.
लेकिन जो अंदर की बात है वो ये है कि खंडेलवाल किसी नेता के खास आदमी नहीं हैं यानी किसी बीजेपी लीडर के खेमे में नहीं आते हैं. दरअसल संगठन को अपना नया अध्यक्ष चुनने में देरी इसी लिए हो रही थी क्योंकी बड़े नेता अपने अपने खेमे वाले किसी व्यक्ति को इस पोजीशन में देखने के लिए जद्दोजहत कर रहे थे. कोई जातीय समीकरण बैठा रहा था, कोई शिवराज के खेमे से दावेदार था तो कोई वीडी शर्मा के खेमे से था. अगर संगठन खेमे वाली राजनीती के चक्कर में पड़ता तो एमपी बीजेपी के लिए आने वाले दिन बड़े मुश्किल भरे हो जाते। हेमंत खंडेलवाल की गुडविल यही है कि वो खेमे वाली राजनीति का हिस्सा नहीं हैं और संगठन को इस समय ऐसे ही नेता कि तलाश थी जो किसी गुटबाजी का हिस्सा न हो और कार्यकर्ताओं में समन्वय स्थापित कर सके. खैर ये देखने वाली बात होगी कि हेमंत खंडेलवाल को कमान मिलने से एमपी बीजेपी में क्या बदलाव होता है?