Who Is Govindan Ranganathan: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत (Children die from toxic cough syrup) का सनसनीखेज मामला ने पूरे देश को हिला दिया है। तमिलनाडु की श्रीसन फार्मा प्राइवेट लिमिटेड (Srisan Pharma Pvt Ltd) कंपनी के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन (जी. रंगनाथन) (Govindan Ranganathan (G. Ranganathan), director of Srisan Pharma Pvt Ltd.)पर अब सवाल उठ रहे हैं—
क्या गोविंदन रंगनाथन मासूमों की मौत के जिम्मेदार है?
Govindan Ranganathan Arrest: कंपनी द्वारा तैयार कोल्ड्रिफ कफ सिरप में मिले जहरीले केमिकल्स ने 23 बच्चों की जान ले ली, जबकि आधिकारिक आंकड़ों में यह संख्या 24 बताई जा रही है। मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है, और अब जांच के कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं।
बुधवार रात को SIT ने चेन्नई-बेंगलुरु राजमार्ग पर रंगनाथन के 2,000 वर्ग फुट के अपार्टमेंट पर धावा बोल दिया। रंगनाथन अपनी पत्नी के साथ फरार चल रहे थे, और उन पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित था। अपार्टमेंट को सील कर दिया गया, जबकि कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस कोडम्बक्कम में बंद पाया गया। छिंदवाड़ा के एसपी अजय पांडे ने बताया, “रंगनाथन को चेन्नई कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड लिया जाएगा। उसके बाद उसे छिंदवाड़ा लाया जाएगा।” रंगनाथन (उम्र 50 वर्ष) कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और कथित तौर पर दस्तावेज छिपाने का प्रयास कर रहे थे।
कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला
यह मामला अप्रैल-मई 2025 के आसपास का है, जब छिंदवाड़ा के विभिन्न गांवों में बच्चों को सर्दी-खांसी की शिकायत पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप पिलाया गया। सिरप पीने के बाद बच्चों में उल्टी, दस्त, किडनी फेल्योर और ब्रेन में सूजन जैसे लक्षण दिखे। अब तक 23 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनमें ज्यादातर 3 से 10 साल के बीच के थे। हालिया शिकार 3 वर्षीय मयंक सूर्यवंशी था, जो उमरेठ तहसील के पचधार गांव का रहने वाला था। मयंक 25 सितंबर से नागपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती था और 8 अक्टूबर की रात इलाज के दौरान चल बसा। परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है। एक परिजन ने कहा, “हमने तो डॉक्टर की सलाह पर दवा दी, लेकिन यह जहर निकली। क्या हमारा बच्चा मरने के लायक था?”लैब जांच में सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायनों की मात्रा तय सीमा से 486 गुना अधिक पाई गई। एक वरिष्ठ केमिस्ट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह मात्रा इतनी घातक है कि न केवल बच्चों, बल्कि बड़े जानवरों जैसे हाथी की किडनी और दिमाग को भी तबाह कर सकती है।”
जांच में सामने आया कि कंपनी ने चेन्नई की सनराइज बायोटेक से 25 मार्च 2025 को 100 किलो प्रोपलीन ग्लाइकॉल खरीदा था, जो दवा निर्माण के लिए अयोग्य ‘नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड’ का था। खरीदी कैश या गूगल पे से हुई, कोई बिल या एंट्री नहीं। कंपनी ने केमिकल का टेस्ट भी नहीं कराया। बैच नंबर SR-13 वाली 589 बोतलें (60 एमएल) छिंदवाड़ा भेजी गईं, जो मई 2025 में बनी थीं और एक्सपायरी अप्रैल 2027 है। कंपनी के अन्य सिरप जैसे रेस्पोलाइट डी, जीएल, एसटी और हेपसंडिन की 5870 बोतलें स्टैंडर्ड क्वालिटी की पाई गईं, लेकिन कोल्ड्रिफ में घपला साफ दिखा। रंगनाथन ने पूछताछ में मौखिक रूप से केमिकल खरीदी स्वीकार की है।