क़तर की एक अदालत ने इंडियन नेवी के आठ पूर्व अधिकारियों को इजराइल के लिए जासूसी करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है, और क़तर की अदालत का ये आदेश, भारत को स्तस्ब्ध करने वाला है. क़तर और भारत के बेहतर रिश्ते रहे हैं, लिहाजा भारत बेहद सावधानी के साथ इस मामले में आगे बढ़ रहा है.
भारतीय नौसैना के आठ पूर्व अधिकारियों को क़तर में मौत की सजा सुनाई गई है. उन पर इजराइल को क़तर की सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी देने का आरोप है. अब इस मामले पर सबकी नजर भारत के अगले कदम पर है. भारत के पास मौजूद विकल्पों के आधार पर, इस मामले में आगे के प्रयासों की कमान पीएम मोदी के भरोसेमंद भारतीय राजनयिक दीपक मित्तल को सौंपी गई है.
कौन हैं दीपक मित्तल
दीपक मित्तल 1998 बैच के इंडियन फॉरेन सर्विस (IFS) ऑफिसर हैं. इस समय ये बतौर ओएसडी (Officers on Special Duty) प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात हैं. दीपक ने क़तर में दो साल तक भारत के राजदूत के तौर पर कार्य किया है. बीते साल अगस्त में इन आठ भारतीयों को क़तर में गिरफ्तार किया गया, तब वो राजधानी दोहा में ही थे. गिरफ्तारी के तुरंत बाद ,उन्होंने क़तर छोड़ दिया था. दीपक अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर संवेदनशील मामले निपटाने में माहिर माने जाते हैं. ये है कि क़तर में आला अधिकारियों के साथ उनके अच्छे सम्बन्ध हैं. इसी वजह से उन्हें ये जिम्मेदारी मिली है.
दीपक मित्तल कैसे बचाएंगे नेवी के पूर्व अफसरों को
पूर्व नेवी अफसरों की रिहाई के लिए दीपक मित्तल अब क़तर नेतृत्व से बातचीत करेंगे। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दीपक मित्तल और क़तर के अधिकारीयों मे घनिष्ठ सम्बन्ध हैं, जिसका इस्तेमाल वो नेवी के पूर्व अधिकारियों की पैरवी के लिए कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक दीपक मित्तल की रणनीति दोतरफा है. पहली रणनीति, क़तर की ऊपरी अदालत में अपील कर कानूनी सहायता प्रदान करना और दूसरी रणनीति क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से संपर्क करना। क़तर में लोकतंत्र नहीं बल्कि राजशाही शासन है. और क़तर के शाह के पास किसी दोषी को माफ करने या सजा को कम करने की शक्ति है. कतर के शाह अपनी इस शक्ति इस्तेमाल हर साल 18 दिसंबर को कतर के राष्ट्रीय दिवस पर कैदियों को रिहा करने के लिए करते हैं.
लिहाजा, साउथ ब्लॉक को उम्मीद है, कि क़तर के शाह भारत और क़तर के बेहद मजबूत संबंधों को देखते हुए आठों पूर्व नेवी अफसरों की फांसी की सजा को माफ़ कर देंगे। वहीँ भारत के पक्ष में उसका क़तर के साथ कारोबार जाता है. भारत अपनी जरूरत का करीब 45 से 50 प्रतिशत गैस क़तर से खरीदता है, लिहाजा क़तर भी अपने सबसे महत्वपूर्ण ग्राहक को नाराज नहीं करना चाहेगा।
कुलभूषण जाधव मामले में चर्चा में आए थे दीपक मित्तल
साल 2019 में दीपक तब सुर्ख़ियों में आए जब हेग में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में भारतीय नेवी के पूर्व ऑफिसर कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई चल रही थी. पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को जासूसी और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी.
भारत का कहना था कि उसका पक्ष जानने और जांचने तक जाधव की फांसी पर रोक लगाई जाए. याचिका पर सुनवाई होनी थी. दीपक मित्तल विदेश मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी थे. सुनवाई के पहले जब दोनों देशों के वकील और राजनयिक ICJ पहुंचे तो पाकिस्तानी अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान, दीपक की तरफ बढ़े और उनकी तरफ हाथ बढ़ाया तब दीपक ने उनके बढ़े हुए हाथ को इग्नोर कर दिया। सिर्फ नमस्ते से जबाबी अभिवादन की औपचारिकता पूरी की.
साल 2021 में क़तर में भारत के राजदूत के पद पर रहते हुए दीपक ने तालिबान से शीर्ष नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानेकजई के साथ बैठक की. अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद ये पहली बार था जब भारत ने तालिबान से औपचारिक राजनायिक बातचीत की थी. अब फिर क़तर से बात करने का जिम्मा दीपक मित्तल के पास है.