Aatm Manthan :महाभारत सही थी या ग़लत, शायद सही ही थी क्योंकि कभी-कभी बिना महाभारत किए काम नहीं चलता हर कोई क्षमा कर देने से, हमें परेशान कर देना नहीं छोड़ देता क्योंकि अक्सर बुरे इंसान शराफ़त दिखाने पर हमें बेवक़ूफ़ समझ लेते हैं और बार- बार परेशान करते हैं और फिर बिना मुक़ाबला किये मैदान से हट जाओ तो ऐसे लोग हमें कायर भी तो बुलाते हैं। तो क्यों न एक बार महाभारत कर ही ली जाए।
महाभारत करने से क्या सिद्ध होता है :-
यूँ तो युद्ध को टालना ही समझदारी है पर जब टाले न टले तो डट कर मुक़ाबला करना भी समझदारी है। जंग से जहाँ बहोत से नुकसान होते हैं तो वहीं कुछ फायदे भी होते हैं ,जैसे – हमें अपनी और सामने वाले की ताक़त का अंदाज़ा लग जाता है,उस हिसाब से हम अपने आप को जीत के लिए तैयार करते हैं और अगर हम सच्चे हैं तो यक़ीन मानिये किसी भी बुरे और झूठे इंसान से हममें ज़्यादा ताक़त होगी भले ही हम सामने वाले को कितने भी कमज़ोर दिखें हम उस पर भारी ही पड़ेंगे तो फिर डरना क्या जब बातों से काम न बने तो शस्त्र उठा ही लेना उचित है।
महाभारत क्या देती है :–
रोज़ रोज़ के तनाव से एक बार की महाभारत भली ही है क्योंकि इससे या तो हम किसी को परास्त करेंगे या स्वयं पराजित होंगे और इससे या तो हम अपने दुश्मन को ख़त्म कर देंगे या हम उससे दब कर अपना रास्ता बदल लेंगे लेकिन जहाँ सुख मिले हम उधर चल देंगे और हम हारने वाले हों या जीतने वाले दोनो स्थिति में हमें संतुष्टि मिल जाएगी।
कहाँ हो रही है ये महाभारत :-
यूँ तो हार जाने से हम कमज़ोर पड़ जाते हैं लेकिन बिना लड़े हार मान लेने से हम और ज़्यादा टूट जाते हैं , ऐसे बिखर जाते हैं कि खुद को समेटना ,संभालना मुश्किल हो जाता है लेकिन जब हम मुक़ाबला करते हैं, कोशिश करते हैं जीतने की तो उतनी शर्मिंदगी नहीं होती बल्कि ये तसल्ली होती है कि हमने खुद को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और ये महाभारत केवल बाहरी ही नहीं होती है अंदरूनी भी होती हैं आंतरिक अस्त्रों-शास्त्रों से युक्त ,जिनसे हम अपने अंतर्मन में चल रहे विवादों को शांत करा सकते हैं। तो क्या कहते हैं आप महाभारत करें कि न करें ,विचार ज़रूर करियेगा इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में ,धन्यवाद।