Site icon SHABD SANCHI

कहाँ छुपी है आपके मन शांति ,आपका सबसे बड़ा धन !

shanti (5)

shanti (5)

Aatm Manthan :मन की शांति से बड़ी कोई संपत्ति है क्या ! शायद आप खोजते रह जाएंगे पर नहीं मिलेगी क्योंकि लाख जतन कर लो मन की शांति आसानी से नहीं मिलती और अगर मिल जाए तो इससे बड़ा सुख कोई नहीं इसके आगे हर संपत्ति फीकी है। क्योंकि ये तो बाज़ार में बिकती भी नहीं हमारे अंदर ही छुपी होती है बस उसे ढूँढना पड़ता है।

क्या त्याग करना ज़रूरी है :-

ऐसा ही है न ! पर कभी -कभी हम अपने मन को खुश करने की, शांति पाने की बहोत कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी हम अफ़सोस के दायरे में ऐसे उलझ जाते हैं कि सुख की अनुभूति होने ही नहीं पाती शायद इसलिए कि कभी – कभी इस शांति के लिए हमें भारी क़ीमत चुकानी पड़ जाती है फिर चाहे उसे पाने के लिए अपनी मेहनत की कमाई खर्च की हो या फिर किसी और तरह से अपने आपको मुश्किल में डाला हो पर कोई न कोई त्याग तो हमें करना ही पड़ता है मन की शांति पाने के लिए।

मन की संपत्ति और दुनियाबी दौलत में फर्क :-

लेकिन ये वो सुख है जिसके सामने हम दुनियाबी दौलत लुटा भी दें तो भी हमें दुःख नहीं होता, हम एक ऊर्जा महसूस करते हैं उस दौलत को भी दोबारा पा लेने की हिम्मत होती है हमारे अंदर ,आगे बढ़ने की, तेज़ क़दमों से अपनी अगली मंज़िल तक पहुंचने की ,पर ये काम आसान नहीं होता, मसलन मान लीजिये आपने खूब मेहनत से कुछ जमा पूँजी इकट्ठी की हो, जी जान एक कर दिया हो उसे जुटाने में पर अब आप बहोत थक गए हों इतना कि अब आपसे, आपका काम भी न हो रहा हो , जो आय का साधन है। थोड़ा सा सुकून थोड़ी सी शांति आप चाहते हों और वो वही पैसे खर्च करके कहीं ख़ास आपके मन की जगह जाके या कोई ख़ास काम करके आपको मिलेगी और आपने न न करके आखिरकार पैसे खर्च ही कर दिए तो क्या आप दुखी होंगे शायद नहीं क्योंकि खुद को तसल्ली देने के लिए आपके पास बहोत कुछ होगा जैसे कोई बात नहीं आखिर अपने ही पैसे थे खुद पर लगा ही दिए तो क्या हुआ ! बीमार हो जाता अगर ब्रेक न लेता फिर डॉक्टर को भी फीस तो देनी ही पड़ती उससे तो अच्छी ही जगह पैसे लगे हैं वगैरह -वगैरह।

जो करके मन को शांति मिले वो करें :-

आप को जो भी काम करके सुकून मिलता है ये कोई और नहीं समझेगा ये आपके अंतर्मन की बात है इसलिए सबको समझाने में क्या वक़्त बर्बाद करना ,हमें पता होना चाहिए कि क्या करके हम ये दौलत पा सकते हैं ,तो क्यों न धनवान बन जाए इस दौलत को हासिल करके फिर ज़रुरु भी नहीं कि ये हमें अपने लिए ही कुछ करके मिले क्या पता किसी के चेहरे पर मुस्कराहट सजाकर ही हमें शांति मिल जाए इसलिए मन की शांति के लिए, भी कुछ काम करना ज़रूरी हैं ,भले ही उसके लिए हमें किसी चीज़ की क़ुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े , फिर ज़रूरी भी नहीं की इसके लिए आपको कोई बड़ा त्याग ही करना पड़े कभी- कभी छोटे छोटे प्रयासों से भी मन शांत हो जाता है सुख की अनुभूति हो जाती है जिससे बड़ा हमारे लिए कुछ नहीं। तो ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में ,धन्यवाद।

Exit mobile version