न्याज़िया
मंथन। आपको नहीं लगता कभी – कभी पीछे मुड़ कर देखना चाहिए क्योंकि हमने क्या खोया क्या पाया क्या ग़लतिया की उन सबसे सबक़ लेना भी ज़रूरी है। बेशक़ वक़्त कभी लौटकर नहीं आता लेकिन वो हमें बहुत कुछ सिखाता है और कुछ नहीं तो उन पलों से जुड़ी यादें तो हमें देता ही है जो हमारे लिए अनमोल होती हैं इन अच्छी बुरी यादों से हम अपना आने वाला कल बनाते हैं क्योंकि उस पर ही हमारा इख़्तेयार होता है ,इनसे हमें क्या संजोना है किसके लिए संजोना है ये हमें पता होता है।
ग़म एक बीमारी है जिसका इलाज ज़रूरी है
हालांकि जब हम आगे बढ़ते हैं तो पीछे छूटा वक़्त अक्सर हमें तकलीफ देता है जिनसे पीछा छुड़ा कर ही हम आगे की तरफ भागते हैं लेकिन इनसे सबक़ लेके आगे बढ़ने से हम ऐसी और नई तकलीफों से बच जाते हैं, यहां तक कि कोई बड़ा ज़ख्म भी अगर हमें वक़्त ने दिया है तो जब हम कुछ वक़्त गुज़रने के बाद उसके बारे में सोचते हैं तो उसके कई पहलू हमें दिखाई देते हैं ऐसा भी हो सकता है कि आपको उस ज़ख्म के लिए मरहम भी मिल जाए जिसकी वजह से आप घायलों की तरह क़दम बढ़ा रहे थे ,उसे खुला छोड़कर और दर्द झेल रहे या उसे नासूर बनने के लिए छोड़ दिया था।
आंसू बह ही जाएं तो अच्छा है
हमारे दिल में ग़मों का और खुशियों का भी बोझ पड़ता है तो आंसू बह पड़ते हैं ,पर दोनों ही सूरत में ये हमें हिम्मत देते हैं ताकत देते हैं आगे बढ़ने की अपने हालातों का सामना करने की तो क्यों न कभी कभी आंसू बहा लिया जाए और दिल हल्का कर लिया जाए ये याद रखा जाए कि हम इंसान हैं इसलिए हम जज़्बाती हो सकते हैं कमज़ोर पड़ सकते हैं , हमें किसी के कांधे की ज़रूरत भी हो सकती है और बदक़िस्मती से किसी का सहारा न मिले तो अकेले में रो कर दिल को बहला लेना भी अच्छा है ।
हमारा जीने का तरीका ही हमें हंसाता और रुलाता है
हम मुस्कुराएंगे तो ज़िंदगी मुस्कुराएगी हम मायूस रहेंगे तो ज़िंदगी भी उदास रहेगी यानी जो हम इसको देंगे वही ये हमको लौटाएगी ,इसलिए आज को बेहतर बनाने की कोशिश करें बीते हुए कल से सीख लेकर, हमसे जुड़े लोगों को खुशियां देकर आने वाले कल में खुद को भी लोगों की यादों में सुखद स्मृति के रूप में ज़िंदा रखने के लिए ।
आगे बढ़ने का ये मतलब नहीं कि हम अपना बीता हुआ कल भूल जाए अच्छा या बुरा वो हमारा है और हमेशा हमारा
ही रहेगा। ग़ौर ज़रूर करिएगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।