Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव से जुड़ा एक बड़ा अपडेट साझा किया, जिसमें बिहार में चुनाव की संभावित समयसीमा का संकेत दिया गया है। चुनाव आयोग ने घोषणा की कि वह बिहार में “मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण” शुरू करेगा और सभी पात्र नागरिकों का नामांकन सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेगा। आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया 25 जून से शुरू होगी। उसने कहा कि मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की जाएगी और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
‘अक्टूबर में हो सकती है चुनाव तिथियों की घोषणा’
चुनाव आयोग की यह समयसीमा संकेत देती है कि बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अक्टूबर के पहले सप्ताह में की जा सकती है। बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर में होंगे क्योंकि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। सूत्रों की मानें तो आमतौर पर मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के एक सप्ताह के भीतर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी जाती है। इसका मतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अक्टूबर के पहले सप्ताह में की जा सकती है।
चुनाव आयोग ने 4 महीने का कार्यक्रम घोषित किया
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कैलेंडर के अनुसार:
- 25 जून से 26 जुलाई, 2025 तक: बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर निर्धारित प्रपत्रों में मतदाताओं के नाम जोड़ने, हटाने या संशोधित करने से संबंधित आवेदन स्वीकार करेंगे।
- 27 जुलाई से 31 जुलाई तक: प्राप्त प्रपत्रों के आधार पर मतदाता सूची को अपडेट किया जाएगा।
- 1 अगस्त, 2025: इसी आधार पर मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशित किया जाएगा।
- 1 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक: प्रारूप मतदाता सूची के आधार पर दावे और आपत्तियां ली जाएंगी।
- 25 सितंबर तक: दावे और आपत्तियों का निपटारा चुनाव रजिस्ट्रार अधिकारियों द्वारा किया जाएगा या पूरा किया जाएगा।
- 30 सितंबर, 2025: दावे और आपत्तियों का निपटारा करने के बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
एक भी मतदाता न छूटे। Bihar Elections
यह प्रक्रिया इसलिए की जा रही है ताकि कोई भी पात्र नागरिक न छूटे और कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो। साथ ही मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता लाई जा रही है। आपको बता दें कि आयोग द्वारा बिहार के लिए अंतिम बार व्यापक पुनरीक्षण 2003 में किया गया था।
वर्तमान में तीव्र शहरीकरण, निरंतर पलायन, 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद नए युवाओं का मतदाता बनने के योग्य हो जाना, मृत्यु की सूचना समय पर न मिल पाना और अवैध विदेशी नागरिकों के नाम सूची में शामिल हो जाने जैसी स्थितियों के कारण यह व्यापक पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है ताकि त्रुटिरहित और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार की जा सके।
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